मालूम हो कि 31 मई 2015 को बिहार स्टेट बार काउंसिल द्वारा लिए गए प्रस्ताव के निर्णय के आलोक में निमA न्यायपालिका में पनप रहे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए राज्य के मुख्य न्यायाधीश व बिहार सरकार से निमA न्यायपालिका में विजिलेंस की दखलंदाजी की मांग की गयी थी. लेकिन इस दिशा में अब तक मुख्य न्यायाधीश व राज्य सरकार द्वारा कोई भी कदम नहीं उठाये जाने के विरोध में बुधवार को अधिवक्ताओं ने न्यायिक प्रक्रिया से अलग रह कर प्रतिरोध जताया.
स्थानीय व्यवहार न्यायालय के मुख्यद्वार पर अधिवक्ताओं ने स्टेट बार काउंसिल के आह्वान पर उक्त मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. जिला विधि वेत्ता संघ के अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह व सुदेश कुमार सिंह ने कहा कि यदि निमA न्यायपालिका में विजलेंस को अनुमति प्रदान कर दी जाती है तो भ्रष्टाचार को रोकने में यह काफी सहायक सिद्ध होगा. निमA न्यायपालिका में पनप रहे भ्रष्टाचार को लेकर न्यायपालिका ने भी चिंता जाहिर की है. इसलिए बार काउंसिल के उक्त मांगों पर यदि एक महीने के अंदर विचार नहीं किया गया तो काउंसिल इसके लिए दुबारा उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगी. काउंसिल द्वारा राज्यव्यापी सांकेतिक हड़ताल को लेकर न्यायाधीश प्रभारी अवधेश कुमार ने कहा कि बुधवार को सभी न्यायाधीश समय पर न्यायालय पहुंचे.
इजलास पर बैठने के दौरान एक भी सुनवाई नहीं हो पायी. विरोध प्रदर्शन करने वालों में संघ के उपाध्यक्ष अमरनाथ झा, अमरेंद्र त्रिवेदी, कोषाध्यक्ष सुरेशचंद्र यादव, पूर्व सचिव हरिशेखर मिश्र, राजकुमार ठाकुर, अधिवक्ता शक्तिनाथ मिश्र, अवधेश कुमार सिंह, रामचंद्र कुमार, सुगंधी कुमार यादव, राजकुमार सिंह, राजेंद्र यादव, उमर फारूक, संजय महतो, वीरेंद्र ठाकुर, विकास राय, राजीव पांडेय सहित दर्जनों अधिवक्ता शामिल थे.