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अनचाहे गर्भ से चाहती हैं छुटकारा, पर नहीं करतीं गर्भ निरोधक का इस्तेमाल

सहरसा : बेहतर प्रजनन स्वास्थ्य एवं जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए परिवार नियोजन साधनों की उपयोगिता को लेकर सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. सरकारी प्रयासों के इतर सामुदायिक सहभागिता भी परिवार नियोजन कार्यक्रमों की सफलता के लिए बेहद जरूरी है. दो बच्चों में अंतराल एवं शादी के बाद पहले बच्चे के जन्म में […]

सहरसा : बेहतर प्रजनन स्वास्थ्य एवं जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए परिवार नियोजन साधनों की उपयोगिता को लेकर सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. सरकारी प्रयासों के इतर सामुदायिक सहभागिता भी परिवार नियोजन कार्यक्रमों की सफलता के लिए बेहद जरूरी है. दो बच्चों में अंतराल एवं शादी के बाद पहले बच्चे के जन्म में अंतराल रखने की सोच के बाद भी महिलाएं परिवार नियोजन साधनों का इस्तेमाल नहीं कर पाती है. इससे ही अनमेट नीड में वृद्धि होती है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विकासशील देशों में 21 करोड़ से अधिक महिलाएं अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाना चाहती हैं. लेकिन तब भी उनके द्वारा किसी गर्भ निरोधक साधन का उपयोग नहीं किया जाता है. इसके पीछे आम लोगों में परिवार नियोजन साधनों के प्रति जागरूकता का अभाव दिखता है.
सामुदायिक स्तर पर उपलब्ध होंगे निरोधक: सिविल सर्जन डॉ ललन सिंह ने बताया अनमेट नीड परिवार नियोजन में काफी बाधक है. इसके लिए जिला स्तर से लेकर सामुदायिक स्तर तक परिवार नियोजन साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है. इसके लिए सामूहिक सहभागिता की काफी जरूरत है. जिसमें अन्य सहयोगी संस्थाओं द्वारा भी सहयोग किया जा रहा है. इससे शीघ्र ही अनमेट नीड में कमी दिखेगा.
उन्होंने कहा कि बिहार सर्वाधिक कुल प्रजनन दर वाले राज्यों की सूची में सबसे आगे है. सैंपल रेजिस्ट्रेशन सर्वे-2016 के आंकड़ो के अनुसार बिहार की कुल प्रजनन दर 3.3 है. जिसका अर्थ है बिहार में प्रति महिला बच्चों की संख्या 3.3 है. वहीं देश की कुल प्रजनन दर 2.2 है. इसे ध्यान में रखते हुए राज्य के 36 जिलों में परिवार नियोजन कार्यक्रम को विशेष प्रोत्साहित करने के लिए मिशन विकास परिवार की शुरुआत की गयी है.
अब उत्प्रेरक को मिलेंगे चार सौ रुपये
इसके तहत गर्भनिरोधक साधनों के प्रति आम लोगों को जागरूक करने पर बल दिया गया है.
इसके लिए आशा एवं एएनएम को प्रोत्साहित करने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि का भी प्रावधान किया गया है. पहले जहां महिला एवं पुरुष नसबंदी के लिए उत्प्रेरक को तीन सौ रुपए दिये जाते थे, अब प्रोत्साहन राशि बढ़ाकर प्रति महिला नसबंदी चार सौ रुपया दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के अनुसार जिले में कुल 19.8 प्रतिशत अनमेट नीड है.
जिले में 19.8 प्रतिशत महिलाएं बच्चों में अंतराल एवं परिवार सीमित करना चाहती हैं, लेकिन किसी कारणवश वह परिवार नियोजन साधनों का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है. जबकि जिले में 10.3 प्रतिशत ऐसी महिलाएं भी हैं जो कि बच्चों में अंतराल रखने के लिए इच्छुक है, लेकिन फिर भी किसी परिवार नियोजन साधन का प्रयोग नहीं कर रही है.

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