सहरसा : प्रमंडलीय अस्पताल कहे जाने वाला सदर अस्पताल खुद वेंटीलेटर पर चल रहा है. मरीज भगवान भरोसे अपना इलाज करा रहे हैं. अधिकारियों की लापरवाही से मरीज व उसके परिजन को स्वयं स्लाइन की बोतल व अन्य दवाई एक वार्ड से दूसरे वार्ड ले जानी पड़ती है. इतना ही नहीं आपातकालीन वार्ड में मरीज […]
सहरसा : प्रमंडलीय अस्पताल कहे जाने वाला सदर अस्पताल खुद वेंटीलेटर पर चल रहा है. मरीज भगवान भरोसे अपना इलाज करा रहे हैं. अधिकारियों की लापरवाही से मरीज व उसके परिजन को स्वयं स्लाइन की बोतल व अन्य दवाई एक वार्ड से दूसरे वार्ड ले जानी पड़ती है. इतना ही नहीं आपातकालीन वार्ड में मरीज का नाम पता लिख मौजूद कर्मी उसे बीएचटी के साथ स्लाइन की बोतल थमा दूसरे वार्ड भेज देते हैं.
इस दौरान वार्ड में कर्मियों के नहीं मिलने से मरीज व उसके परिजनों को आपातकालीन वार्ड से दूसरे वार्ड का कई चक्कर लगाना पड़ता है. मंगलवार को भी एक ऐसा ही नजारा देखने को मिला. सुपौल जिला के भपटियाही थाना क्षेत्र के राजेश कुमार इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंचे. पहले तो उन्हें बाहर से सिरिंज व आइवी सेट लाने का निर्देश दिया गया. उसके बाद उसका नाम व पता लिख मौजूद चिकित्सक ने दवा लिखा.
लगाता रहा चक्कर
आपातकालीन वार्ड में चिकित्सक के द्वारा दवा लिखने के बाद तैनात कर्मी ने कुछ स्लाइन की बोतल उसके हाथ में थमा उसे आइसोलेसन वार्ड जाने की सलाह दे डाली. बाहर जिला के होने के कारण उसे अस्पताल के वार्डो की जानकारी नहीं थी. हाथ में स्लाइन लिए मरीज व उसके परिजन अस्पताल के कई वार्डो का चक्कर लगाता रहा. परिजन ने बताया कि आपातकालीन वार्ड में कई बार यहां ही स्लाइन चढ़ा देने का आग्रह किया. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई और आइसोलेसन वार्ड जाने का निर्देश दिया. ऐसे में मरीज को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. परिजन भी परेशान हुए.
बाजार से खरीदना पड़ता है सीरिंज व अन्य सामान
सीरिंज की होगी आपूर्ति
मामले की जानकारी वरीय अधिकारियों को दी गयी है. सीरिंज का आपूर्ति होते ही सभी विभागों में उपलब्ध करा दिया जायेगा.
डॉ अनिल कुमार, उपाधीक्षक
अस्पताल परिसर में जलजमाव, नहीं है किसी का ध्यान
एक तरफ अस्पताल परिसर में कई भवनों का निर्माण किया जा रहा है तो वहीं अस्पताल परिसर घुसते ही लोगों को जलजमाव का दर्शन हो रहा है. लोगों को अधीक्षक से मिलने या अपने बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र या मातृत्व लाभ चेक लेने के लिए जूता उतार कर या कपड़ा को ऊपर उठाकर जाना मजबूरी बन गयी है. ऐसी बात नहीं है कि इस बात की जानकारी विभागीय अधिकारियों को नहीं है. जानकारी के बावजूद अनजान बने हुए हैं. मालूम हो कि कुछ दिन पूर्व एक बच्चा नाला में डूब गया था.
जिसे आननफानन में इलाज कर बचाया गया था. लोगों ने कहा कि अधिकारी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं. नाला की सफाई व जलनिकासी की व्यवस्था नहीं होने के कारण अभी ही जल जमा हो गया है. बारिश के समय में क्या होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.