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हैकरों के कब्जे में रेलवे का तत्काल दिल्ली व मुंबई से बन रहा टिकट

टिकट का फर्जीवाड़ा. छापेमारी के बाद मुख्य बाजार से गायब है सॉफ्टवेयर होली में दिखेगी दलालों की हरकत सहरसा : अगर आपको या आपके परिवार में किसी अन्य सदस्य को होली के दौरान सफर करना है तो यह खबर आपके लिए बेहद काम की है क्योंकि अभी से ही सहरसा से खुलने वाली लगभग सभी […]

टिकट का फर्जीवाड़ा. छापेमारी के बाद मुख्य बाजार से गायब है सॉफ्टवेयर

होली में दिखेगी दलालों की हरकत
सहरसा : अगर आपको या आपके परिवार में किसी अन्य सदस्य को होली के दौरान सफर करना है तो यह खबर आपके लिए बेहद काम की है क्योंकि अभी से ही सहरसा से खुलने वाली लगभग सभी ट्रेनें फूल हो चुकी है. इसमें सबसे ज्यादा मारामारी दिल्ली व अमृतसर रूट के लिए अभी से ही शुरू हो गयी है. ऐसे में त्योहारों के सीजन में आपको अगर यात्रा करनी है तो ट्रेनों में आपको कंफर्म टिकट मिल पाना बेहद ही मुश्किल है. इतना ही नहीं, त्योहार में टिकट की बढ़ती डिमांड को देखते हुए दलाल भी पूरी तरह सक्रिय हो गये हैं और उन्होंने तत्काल कोटे के कंफर्म टिकट के एवज में मुंह मांगी कीमत भी वसूलना शुरू कर दिया है. इसे लेकर टिकट दलालों ने कई नये हथकंडे अपनाना शुरू कर दिये हैं. इसमें आइआरसीटीसी की वेबसाइट को हैक कर फास्ट करने वाले सॉफ्टवेयर का तो यूज हो ही रहा है, साथ ही सहरसा के लिए दिल्ली व मुबंई से टिकट बनकर आ रहा है.
पल में ही गायब हो जाते हैं टिकट: आइए आपको बताते हैं कि दलाल किस तरह चंद सेकेंड्स में ही सभी टिकट बुक कर ले रहे हैं और आम पब्लिक लाइन में खड़ी निराश हो रही है. जब प्रभात खबर द्वारा इस मामले की जानकारी ली गयी तो इसमें कई चौंकाने वाले मामले सामने आये हैं. ऐसा नहीं है कि सहरसा, सुपौल, मधेपुरा या अन्य किसी शहर से तत्काल टिकट नहीं मिल सकता और मुबंई व दिल्ली में आसानी से मिल जाता है. बल्कि जानकारों के अनुसार सहरसा में छापेमारी के बाद दिल्ली व मुबंई में बैठे बड़े एजेंट्स आईआरसीटीसी की वेबसाइट को हैक करने वाले सॉफ्टवेयर यूज कर स्थानीय दलालों की मदद कर रहे हैं. जिसके जरिये चंद सेकेंड्स में ही टिकट बुक कर लिए जाते हैं. हालांकि त्योहार व सीजन के डिमांड को देखते हुए ऐसे सॉफ्टवेयर्स का यहां सहरसा और आसपास के इलाके में भी धड़ल्ले से यूज हो रहा है. फर्क सिर्फ इतना है कि इसका मंथली रेन्यूअल चार्ज काफी अधिक होने से यहां के एजेंट्स इसे नियमित यूज नहीं कर पाते हैं. ऐसे में वे दूसरे जगह के एजेंट्स से सेटिंग कर वहां से टिकट बुक कर मंगाते हैं. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि तत्काल टिकट बुकिंग के लिए पूरे देश में बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है. इसके लिए इस गिरोह के लोग यू-ट्यूब और सोशल मीडिया पर अपने-अपने सॉफ्टवेयर का खूब एड भी कर रहे हैं.
सहरसा में भी है सॉफ्टवेयर एजेंट: सूत्रों के अनुसार इसमें सबसे गौर करने वाली बात तो यह है कि ऐसे तो इन सॉफ्टवेयर की खरीद-फरोख्त करने वाले तमाम एजेंट्स मार्केट में काम कर रहे हैं. इसके लिए बकायदा ऑनलाइन मार्केटिंग की जा रही है. सोशल मीडिया के नंबरों पर संपर्क करने पर यह एजेंट्स पहले तो अपने प्रोडक्ट का डेमो वर्जन देते हैं. जिसे एजेंट्स दो-चार दिन यूज करने के बाद जब संतुष्ट हो जाता है तो फिर उसे खरीदने की बात होती है लेकिन यह सबकुछ होता है सिर्फ फोन पर. इसके लिए टिकट दलालों को पहले इन एजेंट्स के बैंक अकांउट में पैसे ट्रांसफर करने होते हैं और इसके बाद यह लोग उनके कंप्यूटर या लैपटॉप को रिमोट पर लेकर इन सॉफ्टवेयर को इंस्टाल कर देते हैं. इतना ही नहीं मुंह मांगी कीमत पर मिलने वाले इन सॉफ्टवेयर्स की वैलीडिटी सिर्फ एक महीने ही होती है. इंस्टाल करने के ठीक 30 दिनों के बाद यह सॉफ्टवेयर अपने आप काम करना बंद कर देता है. इसके बाद अगर इसे रेन्यूअल कराना होता है तो टिकट दलाल इसके लिए फिर अगले महीने का पैसा एजेंट्स को ट्रांसफर करते हैं. शहर में रहने वाले एजेंट काउंटर पर पहुंच रुपये की वसूली भी करते हैं. इस तरह के लोग दुकान के बजाय अपने घरों से ही काम कर रहे हैं.
कम टाइमिंग ज्यादा कीमत
मिली जानकारी के अनुसार शहर में कई टिकट एजेंट्स के लैपटॉप में इस तरह के सॉफ्टवेयर देखे जाते रहे हैं. फिलवक्त बाजार में दुकानदारी करने वालों के स्क्रीन से सॉफ्टवेयर गायब हैं. लेकिन आउट साइड में उपयोग किये जा रहे है. ऐसे तो आईआरसीटीसी की वेबसाइट को हैक कर फास्ट करने वाले दर्जनों सॉफ्टवेयर इन दिनों मार्केट में छाये हुए हैं. इनमें एचपी, रेड मिर्ची, नियो, नियो प्लस, जियो, साइकिल, स्मार्ट, आई स्मार्ट जैसे तमाम सॉफ्टवेयर हैं, लेकिन इनमें सबसे अधिक डिमांड उन सॉफ्टवेयर्स की होती है, जिनकी टाइमिंग सबसे कम होती है. यानी कि जिन सॉफ्टवेयर के जरिए महज 15 से 30 सेकेंड के अंदर ही टिकट बुक हो सके.
पीएनआर स्लॉट का भी है महत्व
इन सॉफ्टवेयर्स का रेट पीएनआर स्लॉट के मुताबिक भी तय होता है. यानी कि एक बार में कितने अधिक से अधिक पीएनआर नंबरों पर टिकट निकाला जा सकता है. ऐसे में इस तरह के सॉफ्टवेयर के जरिए दलाल महज चंद सेकेंड्स में दर्जनों टिकट निकाल रहे हैं. ज्ञात हो कि आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर तत्काल टिकटों की बुकिंग के लिए रोजना करीब सामान्य दिनों में लाख रुपया का ट्रांजेक्शन होता है. सीजन के दिनों में यह रकम बढ़ जाती है. साथ ही एसी क्लास के तत्काल टिकट बुकिंग सुबह 10 बजे शुरू होती है. जबकि स्लीपर क्लास की बुकिंग सुबह 11 बजे शुरू होती है. तत्काल टिकट की बुकिंग यात्रा की तारीख से एक दिन पहले होती है.

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