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खांसते रहिये, नहीं मिलेगी दवा

सदर अस्पताल. मरीज ही नहीं, व्यवस्था के भी इलाज की है जरूरत बाहर से खरीदते हैं दवा सहरसा : सदर अस्पताल सहित जिले के सरकारी अस्पतालों में कई जीवन रक्षक दवाओं की कमी के कारण मरीजों को घोर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. मरीजों को अधिकांश दवाएं बाहर के दुकानों से खरीदनी पड़ […]

सदर अस्पताल. मरीज ही नहीं, व्यवस्था के भी इलाज की है जरूरत

बाहर से खरीदते हैं दवा
सहरसा : सदर अस्पताल सहित जिले के सरकारी अस्पतालों में कई जीवन रक्षक दवाओं की कमी के कारण मरीजों को घोर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. मरीजों को अधिकांश दवाएं बाहर के दुकानों से खरीदनी पड़ रही है. आलम यह है कि अस्पताल में मामूली खांसी का सिरप तक नहीं है. मामूली खांसी से ग्रसित कई गरीब मरीजों को बाहर से दवाएं लेनी पड़ रही है. ऐसे में यहां सस्ता इलाज व मुफ्त दवा पाने की उम्मीद लिए ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले गरीब वर्ग के मरीजों को महंगे दामों पर अस्पताल से बाहर जाकर दवा खरीदनी पड़ रही है. परेशानी का सबब यह कि चिकित्सक अस्पताल की पर्ची पर बाहर की दवा भी नहीं लिख सकते. डाक्टरों द्वारा लिखी दवा की पर्ची लेकर मरीज दवा काउंटर पर जाते तो हैं, लेकिन वहां से उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है.
ऐसे में सदर अस्पताल में इलाज कराना महज औपचारिकता बन कर रह गयी है. सदर अस्पताल में दवाई के नाम स्लाइन की बोतल मिल जाय तो वहीं गनीमत है. आइसीयू बन जाती है लेकिन मरीज के काम नहीं आ पाती है. सोमवार की रात प्रभात खबर की टीम द्वारा अस्पताल में किये गये पड़ताल में कई सच सामने आये. प्रस्तुत है प्रभात खबर टोली की रिपोर्ट.
भवन चकाचक, दवा भंडार खाली
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही व अदूरदर्शिता की वजह से सदर अस्पताल में करोड़ों रुपये भवन निर्माण पर खर्च किये जा रहे हैं, लेकिन दवाओं की कमी होने से मरीजों को स्वास्थ्य लाभ देने के उद्देश्य पर पानी फिर रहा है. जिले के सोनवर्षा निवासी उमेश ¨साह ने बताया कि सदर अस्पताल के दवा काउंटर पर जाने पर एक-दो टेबलेट देकर लौटा दिया जाता है. पूछने पर काउंटर पर बैठे स्वास्थ्यकर्मी बताते हैं कि जो दवा यहां उपलब्ध है, वही मिलेगा.
दवाओं की सूची है दवाएं गायब : सदर अस्पताल के आउटडोर में 33 प्रकार की जीवन रक्षक दवाओं की सूची लगायी गयी है. लेकिन वर्तमान में सदर अस्पताल में जरूरत की दवाएं भी परिसर में संचालित मेडिकल स्टोर से लेनी पड़ती है. 33 प्रकार की दवाओं में से लगभग 10 जरूरी दवाओं की हमेशा कमी रहती है. स्थिति यदि ऐसी ही रही तो कई महीनों से दवाओं का टोटा झेल रहा सदर अस्पताल महज दिखावा बन कर रह जायेगा.
मरीजों से होती रहती है कहासुनी : चिकित्सक को दिखाने के बाद जब मरीज दवा काउंटर पर आते हैं, तो उन्हें अस्पताल के स्टॉक में दवा नहीं होने की जानकारी दी जाती है. जिससे वे भड़क जाते हैं. कई बार नौबत कहासुनी व हंगामे तक की आ जाती है. जिससे अस्पताल प्रशासन को बीच-बचाव करना पड़ता है. स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि मरीजों को लगता है कि स्टॉक में दवा है, लेकिन उनसे बहाना किया जा रहा है. जिससे इस तरह की स्थिति पैदा होती रहती है.
एक ग्लब्स से कई ड्रेसिंग: सामान्य वार्ड में भरती पटुआहा के सुजीत कुमार कहते हैं कि संक्रमण से निजात के बजाय अस्पताल में इसका प्रसार किया जाता है. उन्होंने बताया कि ड्रेसिंग के दौरान एक ही ग्लब्स से कई मरीजों के ड्रेसिंग करने पर जब टोका जाता है तो कर्मी आग-बबूला हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा कई प्रकार की परेशानी है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को देखने की फुरसत नहीं रहती है.
सभी बेड को चादर भी नसीब नहीं: सदर अस्पताल के जायजे के दौरान व्यवस्था प्रत्येक कदम पर खराब मिलती गयी. अस्पताल में कुछेक बेड को छोड़ कहीं भी अस्पताल द्वारा दिया जाने वाला चादर नहीं दिखा. मरीज के परिजनों ने कहा कि घर से ही ले आते है. ठंड दस्तक दे चुकी है. जिनके घर करीब हैं उन्हें तो कंबल मिल गयी थी. लेकिन दूर दराज से आने वाले मरीजों को कंबल नहीं दिया गया था. मरीज सर्दी से बचाव के लिए अंग वस्त्र को ओढ़े हुए थे.

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