सहरसा : इन दिनों एक, दो, पांच व दस रुपये के सिक्के देख छोटे से बड़े सभी दुकानदारों का आंख लाल-पीला हो रहा है. वे ग्राहकों से किसी सामान के बदले सिक्के ले ही नहीं रहे हैं. लिहाजा न के बराबर महत्व होने के कारण ग्राहकों के लिए ये सिक्के सरदर्द बन कर रह गये हैं.
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नोट के बराबर महत्व होने के बाद भी परेशानी का सबब बना सिक्का
सहरसा : इन दिनों एक, दो, पांच व दस रुपये के सिक्के देख छोटे से बड़े सभी दुकानदारों का आंख लाल-पीला हो रहा है. वे ग्राहकों से किसी सामान के बदले सिक्के ले ही नहीं रहे हैं. लिहाजा न के बराबर महत्व होने के कारण ग्राहकों के लिए ये सिक्के सरदर्द बन कर रह गये […]
झोला भर दिया था, मुट्ठी भर भी नहीं ले रहे
बीते साल नवंबर महीने में नोटबंदी के बाद बैंक व डाकघरों ने लोगों को झोला भर-भर सिक्के दिए थे. नोट के अभाव होने के कारण इन सिक्कों का रोटेशन तो होता रहा. लेकिन ये सिक्के वापस बैंक अथवा डाकघरों में नहीं जा सके. यहां मुट्ठी भर भी जमा नहीं लिया जा रहा है. जिससे यह लोगों व दुकानदारों के पास ही घुमता रह गया. आज स्थिति यह हो गई है कि न तो ग्राहक दुकानदार से और न ही दुकानदार से ग्राहक सिक्के लेना चाह रहे हैं. ग्राहकों का कहना है कि दुकानदार वापसी में सौ-सौ रुपये के रेजगारी सिक्के थमाने लगे हैं. जिससे उनकी जेब जरूरत से अधिक भारी होने लगी है.
इधर दुकानदार का तर्क यह है कि उनके पास ग्राहकों के द्वारा दिए सिक्के काफी जमा हो गए हैं. वे तो उन्हें ही देकर इसे खपाएंगे. छोटे दुकानदार कहते हैं कि थोक विक्रेताओं (होल सेलर) ने किसी भी तरह के सिक्के लेने से मनाही कर दी है. सिक्के लेकर जाने के बाद उन्हें कोई सामान नहीं दिया जा रहा है. जबकि होलसेलर का कहना है कि बैंक इन सिक्कों को जमा लेता ही नहीं है. पहले से ही उनके पास बोरा भर-भर सिक्का जमा हो गया है. वे उसे बढ़ा कर क्या करेंगे.
कहीं नहीं है सिक्का काउंटिंग मशीन: जिले में लीड बैंक एसबीआइ सहित अन्य किसी बैंकों में सिक्का काउंटिंग मशीन नहीं है. बैंक अधिकारी सहित कई उपभोक्ताओं ने बताया कि यदि बैंकों में सिक्का काउंटिंग की व्यवस्था कर ली जाए तो सारी समस्याओं का हल हो जायेगा. नोट गिनने वाली मशीन की तरह सिक्के भी पल भर में जमा लिए जा सकेंगे. इस तरह सिक्कों का रोटेशन बाजार के बाद बैंकों तक हो सकेगा और नोट के बराबर राशि का महत्व रखने वाले ये सिक्के किसी को बोझ नहीं लगेंगे.
जिले के किसी बैंक में नहीं है सिक्का गिनने की मशीन
1000 सिक्के गिनने में एक घंटा
इधर बैंकों की परेशानी इन सिक्कों के गिनने को लेकर है. बैंक के अधिकारियों ने दिसंबर महीने के आखिरी में ही कहा था कि जनवरी से सिक्के बैंक में जमा लिए जाने लगेंगे. लेकिन सितंबर माह तक ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की जा सकी है. बैंक के अधिकारी कहते हैं कि उनके पास कर्मियों का अभाव है. जितनी देर में वे एक हजार रुपये के सिक्कों को गिनेंगे. उतनी देर में कतार में लगे दस बैंक उपभोक्ताओं का काम हो जायेगा.
बैंक सूत्रों ने बताया कि कुछ दिन पूर्व एक उपभोक्ता ने अनुनय-विनय पर एक हजार रुपये का सिक्का जमा कराया. कैशियर को एक रुपये के एक हजार सिक्के गिनने में एक घंटा का समय लग गया. तब तक कतार में पीछे लगे सात बैंक उपभोक्ता वापस चले गये. बैंक ने बताया कि बैंक में जब तक काउंटर नहीं बढ़ाये जायेंगे या सिक्का जमा लेने का अलग काउंटर नहीं बनाया जाता है तब तक यह परेशानी बनी रहेगी.
नोटों के साथ जमा कराएं सिक्के
शहर से लेकर गांव तक सिक्कों को लेकर परेशानी बरकरार है. लोगों की परेशानी पर एसडीएम सौरभ जोड़वाल ने सिक्का नहीं लेने वालों के विरुद्ध एफआइआर तक करने की बात कह डाली थी. उनके अनुरोध पर बैंक ने एक खाता धारक से एक बार में एक हजार रुपये के सिक्के जमा लेने की बात कही थी. एसडीएम ने यह भी कहा था कि यदि खाते में बीस हजार रुपये जमा कराने जा रहे हों तो 19 हजार के नोटों के अलावे एक हजार के सिक्के भी जमा करायें. इससे उपभोक्ताओं सहित बैंकों को जमा करने व जमा लेने में परेशानी नहीं होगी. लेकिन ऐसे व्यवसायी जिनके पास लाखों रुपये के सिक्के जमा हो गये हैं.
वे एक माह में तीन हजार रुपये के सिक्के ही जमा करा पायेंगे. इस तरह जमा सिक्कों को बैंक तक पहुंचाने में उन्हें वर्षों का समय लग जायेगा. क्योंकि रिजर्व बैंक के नियम के अनुसार एक खाता धारक अपने खाते में महीने में तीन बार ही कैश जमा करा सकता है. चौथी बार या उससे अधिक बार जमा कराने पर उसे हर बार 50 रुपये का चार्ज देना होता है.
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