सासाराम : शहर में जाम की समस्या पोस्ट ऑफिस चौक से शुरू होती है. हर रोज छह पुलिस वालों की ड्यूटी भी होती है. इसके बावजूद सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक सड़क जाम होती है. लोग परेशान होते है. व्यवस्था को कोसते है और अपने गंतव्य को निकल जाते है.
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पोस्टऑफिस चौक पर 24 घंटे हो ट्रैफिक इंस्पेक्टर की तैनाती
सासाराम : शहर में जाम की समस्या पोस्ट ऑफिस चौक से शुरू होती है. हर रोज छह पुलिस वालों की ड्यूटी भी होती है. इसके बावजूद सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक सड़क जाम होती है. लोग परेशान होते है. व्यवस्था को कोसते है और अपने गंतव्य को निकल जाते है. जाम के […]
जाम के दौरान लोगों का समय और पेट्रोल डीजल के रूप में धन भी बर्बाद होता है. सवाल उठाता है कि करीब छह पुलिस वाले की नियुक्ति के बावजूद सड़क पर यातायात निर्बाध क्यों नहीं रहता. इसके पीछे का कारण लोग बताते हैं कि पोस्ट ऑफिस चौराहे पर नियुक्त पुलिस बल को निर्देशित करने के लिए कोई अधिकारी क्यों नहीं रहता.
इसी परिपेक्ष में स्थायी रूप से एक इंस्पेक्टर की दरकार महसूस होती है, जो पुलिस बल को चौक पर डटाये रखे, जिससे यातायात सुगम बना रहे. हालांकि, चौक पर एक इंस्पेक्टर की नियुक्ति है, जो दूज की चांद की तरह कभी कभार ही दिखते है. सच्चाई यह है कि शहर में जाम की समस्या को लेकर प्रशासन कभी गंभीर नहीं दिखा. सब्र कुछ पुराने ढर्रे पर चल रहा है. जिसका खामियाजा लोग भुगत रहे है.
फाइलों में अटकी ट्रैफिक कार्यालय बनाने की योजना : जुलाई 2017 में ही सासाराम शहर में ट्रैफिक कार्यालय खोलने की योजना अाधिकारिक स्तर पर बनी थी. पटना प्रक्षेत्र के आइजी आलोक राज ने प्रेस वार्ता में ट्रैफिक पोस्ट बनाने को कहा था.
योजना थी कि शहर में एक ट्रैफिक डीएसपी कि प्रतिनियुक्ति होगी. ट्रैफिक सिग्नल लगाने व सभी चौक चौराहे पर सीसीटीवी कैमरा लगाने की योजना स्वीकृत है. लेकिन दो वर्ष बीतने के बाद भी यह योजना धरातल पर नहीं उतरा.
पोस्टऑफिस चौक पर एक इंस्पेक्टर दो दारोगा व आठ जवानों की नियुक्ति है. जवान तो दिखते है लेकिन अधिकारियों का कभी कभार दर्शन होता है. जवान मनमानी करते है. बस वालों से पैसा लेकर पहले उनको निकालते है. अन्य वाहन जाम में फंसे रहते हैं. जिससे जाम की समस्या गहराता है. पुलिस के वरीय अधिकारी इस मामले में कभी कार्रवाई नहीं करते है.
इस जगह जाम का बड़ा कारण बस पड़ाव
शहर में जाम कि समस्या का बहुत हद तक प्रशासन दोषी है. प्रशासन के बड़े अधिकारी जाम की समस्या से निबटने के लिए कभी प्रयास ही नहीं किये. पिछले तीन वर्षों से नये बस पड़ाव का निर्माण कार्य चल रहा है. निर्धारित समय के एक वर्ष बीत जाने के बाद भी निर्माण कार्य अधर में है.
इस वर्ष के अंत तक निर्माण कार्य पूरा हो जाये तो बड़ी बात होगी. डीएम अगर निर्माण कार्य कंपनी पर दबाव बनाते तो कब का बस पड़ाव बनकर तैयार हो जाता. शहर में बस पड़ाव होने से जाम की समस्या उत्पन्न हो रही है. अंतरराज्यीय बस पड़ाव होने के कारण शहर में प्रतिदिन चार सौ से पांच सौ बसों आ आना जाना होता है.
इसके साथ करीब पांच सौ छोटी सवारी गाड़ियां है. जो पुराने जीटी रोड से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई सिर्फ दिखावे के लिए करती है. सड़क के फुटपाथों पर अतिक्रमण से पैदल चलना भी मुश्किल है. शहर में फजलगंज से लेकर बौलिया मोड़ तक करीब तीन किलोमिटर लमबा जाम लगना रोजमरी की समस्या बन गयी है. जाम में स्कूली बस कैदी वाहन व एम्बुलेंश फंस जाते है. पोस्ट ऑफिस चौक पर पुलिस तमाशबीन बनी रहती है.
ट्रैफिक नियमों का नहीं होता पालन
शहर में जाम की समस्या का मूल कारण बस पड़ाव है. लोग भी ट्रैफिक नियम का पालन नहीं करते है. इंतजार नहीं करते है. गलत लेन में घुस जाते है. जिससे जाम की समस्या उत्पन्न हो रही है. जिन अधिकारियों व जवानों को ट्रैफिक की जिम्मेदारी दी गयी है. अगर वह लापरवाही करते पकड़े जायेंगे, तो सख्त विभागीय कार्रवाई होगी.
राजेश कुमार, एएसपी, सासाराम
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