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गुमराह युवा चल रहे नक्सलियों की राह

सुनील की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने भी माना बेरोजगार युवाओं को जोड़ कर चलाया जा रहा संगठन सासाराम नगर : कैमूर पहाड़ी व तराई के इलाकों से नक्सलियों का लगभग सफाया हो गया है. इन दिनों जो नक्सलियों के नाम पर निर्माण कंपनी के ठेकेदारों से लेवी के लिए फोन पर धमकी दे रहे […]

सुनील की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने भी माना बेरोजगार युवाओं को जोड़ कर चलाया जा रहा संगठन

सासाराम नगर : कैमूर पहाड़ी व तराई के इलाकों से नक्सलियों का लगभग सफाया हो गया है. इन दिनों जो नक्सलियों के नाम पर निर्माण कंपनी के ठेकेदारों से लेवी के लिए फोन पर धमकी दे रहे हैं, वे नक्सली नहीं भटके हुए स्थानीय युवा है, जो पैसे के लोभ में नक्सलियों के राह पर चल पड़े हैं. मंगलवार को बड्डी थाना क्षेत्र के कैमूर पहाड़ी के हथियार के साथ पकड़े गये आलमपुर निवासी सुनिल यादव उर्फ भोपू की गिरफ्तारी से इसकी पुष्टि होती है.

सुनील यादव का नक्सल गतिविधि में शामिल होने का पुलिस के पास कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है, ऐसा पुलिस सूत्र बताते हैं.

यह कभी भी नक्सली संगठन में शामिल नहीं रहा है. टीपीसी के हार्डकोर नक्सली 50 हजार का इनामी अनिल कुशवाहा उर्फ संदेश व टीम की गिरफ्तारी के बाद पैसे के लोभ में अपने साथ बेरोजगार युवकों को जोड़ कर नक्सली के नाम पर निर्माण कंपनी के ठेकेदार से पैसे की उगाही में लगा था. कैमूर पहाड़ी व तराई क्षेत्र करीब तीन दशक से नक्सलियों से पीड़ित रहा है. इस लिए जैसे ही कोई अपराधी या असमाजिक तत्व नक्सलियों के नाम पर लेवी मांगते हैं. ठेकेदार सहजता से इनके झांसे में आ जाते है.

सात माह में लाखों रुपये वसूली लेवी

अनिल उर्फ संदेश की गिरफ्तारी के बाद सुनील यादव नक्सली के नाम पर ठेकेदारों से करीब 30 लाख लेवी वसूला. सूत्र बताते है कि इधर कुछ महिनों से सुनील के रहन-सहन में अचानक बदलाव आ गया था. सौ-पांच सौ के लिए तरह रहे सुनिल के पास काफी पैसा देखा जाने लगा.

इसके साथ आधा दर्जन युवा देखे जाते थे. हमेशा इन लोगों की पहाड़ी में पार्टी होती थी. मुर्गा व शराब का दौर चलता था. गांव के लोग भी सकते में थे आखिर इसको कौन सी लॉटरी लग गयी. पुराने घर को तोड़ कर आलिशान मकान बनवा रहा था. सधारण घर वाले हमेशा मुश्किल से घिरे रहता था अचानक बदलाव से सभी इसको व परिवार को शक कि नजरों से देखते थे.

पहाड़ी क्षेत्र में बेरोजगारों की बड़ी फौज

जिले में कैमूर पहाड़ी पर बसे चार दर्जन गांवों में बेरोजगारी की लंबी फेहरिस्त है. यहीं स्थिति तराई के क्षेत्रों में स्थित गांवों की. रोजगार कि लौ अभी इन क्षेत्रों तक नहीं पहुंच सकी है.

पहले नक्सलियों के भय से इस क्षेत्र के युवा शांति से भगवान भरोसे जिदंगी काट रहे थे. जैसे ही नक्सलियों का सफाया हुआ. इनके पर निकल आये है. नक्सलियों के सफाये के बाद वनकर्मियों को भी वन बचाने की चिंता कुछ ज्यादा ही हो गयी है. पहले वनवासी वन सम्पदा बेच कर जीवन बसर करते थे. अब वन संपदा भले ही सड़ जाये वनकर्मी इन्हें हाथ नहीं लगाने देते. यह भी युवाओं को भटकने का कारण बना है.

शराब का धंधा बना मुख्य व्यवसाय

प्रदेश में शराबबंदी के बाद पहाड़ी क्षेत्रों में महुआ शराब की सैकड़ों भट्टी नजर आने लगी है. सैकड़ों युवा इस धंधे से जुड़े है. इन क्षेत्रों में काफी कम कीमत पर महुआ इन लोगों को उपलब्ध हो जा रहा है. तैयार महुआ शराब की अच्छी कीमत मिल रही है. शहरी क्षेत्र के धंधेबाज भट्टी से ही नकद शराब खरीद कर ले जा रहें हैं. इन धंधेबाजों से वहीं लोग नक्सली के नाम पर लेवी वसूल रहे है. शराब का धंध करने वाले लोग लेवी देने में आना-कानी भी नहीं कर रहे हैं. जब भी पुलिस कार्रवायी के दौरान शराब भट्टियों को ध्वस्त कर देती है. अगले दिन पुन: शराब भट्टी स्थापित करने में मदद करते है. इनके ठिकानों तक महुआ भी पहुचाते है ऐसा सूत्र बताते है.

कुछ अापराधिक तत्व भड़का रहे बेरोजगार युवाओं को

कैमूर पहाड़ी पर नक्सलियों की चहलकदमी की कोई सूचना नहीं है. लगातार पहाड़ी पर कॉबिंग ऑपरेशन चलाया जा रहा है. नक्सलियों के नाम पर गतिविधि चलानेवाले बेरोजगार भटके हुए युवा है. कुछ अपराधिक तत्व इन्हें भड़का कर अपने साथ जोड़ रहे हैं. बड्डी थाना क्षेत्र अंतर्गत कैमूर पहाड़ी से गिरफ्तार सुनील यादव नक्सलियों के नाम पर लेवी वसूलने में लगा था. फिलहाल जिले में नक्सल गतिविधि नहीं है.

दुर्गेश कुमार, एएसपी, नक्सल

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