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बैंक की माली हालत ठीक नहीं, नियुक्ति से बढ़ेगा बोझ

सफलता. कोऑपरेटिव बैंक में अवैध बहाली का भंडाफोड़ कोऑपरेटिव बैंक में कर्मियों की अवैध बहाली का भंडाफोड़ हो चुका है. यह सब कुछ बैंक की अध्यक्ष की कुरसी के लिए हुई थी. इसको लेकर बैंक के उपाध्यक्ष समेत िनदेशक मंडल के सदस्यों ने मैनेजिंग डाइरेक्टर से जवाब-तलब किया है. इधर, बताया जा रहा है िक […]

सफलता. कोऑपरेटिव बैंक में अवैध बहाली का भंडाफोड़

कोऑपरेटिव बैंक में कर्मियों की अवैध बहाली का भंडाफोड़ हो चुका है. यह सब कुछ बैंक की अध्यक्ष की कुरसी के लिए हुई थी. इसको लेकर बैंक के उपाध्यक्ष समेत िनदेशक मंडल के सदस्यों ने मैनेजिंग डाइरेक्टर से जवाब-तलब किया है. इधर, बताया जा रहा है िक बैंक की माली हालत ठीक नहीं है. इस तरह की िनयुक्ति से बैंक पर वित्तीय बोझ और बढ़ जायेगा.
पूर्णिया : कोऑपरेटिव बैंक में अध्यक्ष की कुरसी को लेकर चल रही खींचतान के बीच कर्मियों की अवैध बहाली किये जाने का मामला उजागर हुआ है. सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक लि के उपाध्यक्ष समेत निदेशक मंडल के सदस्यों ने जहां इस मामले में प्रबंध निदेशक से जवाब-तलब किया है वहीं रजिस्ट्रार को मामले से अवगत कराते हुए बहाली रद्द करने की मांग की है.
इस संबंध में प्रबंध निदेशक वीरेंद्र ठाकुर ने बताया कि नियमों को ध्यान में रखते हुए नियुक्ति की प्रक्रिया की गयी है. उन्होंने किसी प्रकार की गड़बड़ी से इनकार किया है. जबकि उपाध्यक्ष नौशाद आलम ने बताया कि निदेशक परिषद की जिस बैठक का हवाला देकर नियुक्ति की गयी है, वह बैठक हकीकत में नहीं हुई है. उस बैठक का ब्योरा देने में टालमटोल किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि अभी बैंक की माली हालत ठीक नहीं है. इस नियुक्ति से बैंक पर वित्तीय बोझ और बढ़ जायेगा.
16 कर्मचारियों की हुई अनुकंपा पर नियुक्ति : हाल में ही 16 कर्मचारियों की अनुकंपा पर नियुक्ति की गयी है. इनमें से सात लिपिक और नौ चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के रूप में नियुक्त किये गये हैं. इसके लिए नौ मार्च को अनुमोदन किया गया था. 16 अप्रैल को नवनियुक्त कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र देते हुए योगदान करने का हुक्म दिया गया था.
20 साल से लंबित नियुक्ति में हुई जल्दबाजी : निदेशक मंडल के अरुण कुमार यादव ने बताया कि करीब 20 साल से अनुकंपा पर बहाली नहीं की गयी है. अभी अध्यक्ष पद पर हाइ कोर्ट का अंतरिम फैसला आया है. चंद रोज में अध्यक्ष पद के लिए हाइ कोर्ट का अंतिम निर्णय आ जायेगा. इसके बाद बहाली की प्रक्रिया की जानी थी. यह बहाली जल्दबाजी में करने पर ही सवाल उठने लाजिमी हैं.
दिसंबर 2015 में नहीं हुई निदेशक परिषद की बैठक : निदेशक मंडल के पूनम देवी, विनोद कुमार यादव, कलानंद सिंह आदि ने बताया कि अनुकंपा पर बहाली के लिए 27 दिसंबर 2015 की निदेशक परिषद की बैठक के प्रस्ताव 11 का हवाला दिया गया है. सदस्यों का आरोप है कि उक्त तिथि में निदेशक परिषद की कोई बैठक नहीं हुई थी. जब बैठक ही नहीं हुई तो प्रस्ताव लेने का सवाल ही नहीं उठता है.
सदस्यों का आरोप है कि पिछले नौ मार्च को निदेशक परिषद की बैठक में प्रस्ताव तीन के तहत सिर्फ चतुर्थवर्गीय पद पर अनुकंपा पर नियुक्ति करने पर विचार किया गया. इसके लिए उपाध्यक्ष समेत पांच निदेशकों की उपसमिति का गठन किया गया. हालांकि उपसमिति की बैठक और उसके निर्णय से पहले ही न सिर्फ चतुर्थवर्गीय पद बल्कि लिपिक की भी नियुक्ति कर ली गयी. जबकि अनुमोदन में लिपिक की बहाली पर कोई विचार नहीं किया गया था.
नियुक्ति के लिए निदेशक परिषद की बैठक कागज पर करने का आरोप
निदेशक मंडल के सदस्यों ने रजिस्ट्रार से की कार्रवाई की मांग
उपसमिति की बैठक और उसके िनर्णय से पहले ही चतुर्थवर्गीय पद के साथ-साथ लिपिक के पद पर भी कर ली गयी िनयुक्ति

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