महिला दिवस आज. बदला माहौल, साइकिल के बाद अब स्कूटी बनी महिलाओं की पसंद
Advertisement
नया दौर, हवा से बातें कर रही है महिलाएं
महिला दिवस आज. बदला माहौल, साइकिल के बाद अब स्कूटी बनी महिलाओं की पसंद पूर्णिया : कभी काला पानी के नाम से विख्यात पूर्णिया की आवोहवा अब पूरी तरह बदल चुकी है तो इससे आधी आबादी भी अछूती नहीं है. महज तीन दशक पूर्व जब कोई बालिका साइकिल सवार नजर आती थी तो लोग कौतूहलवश […]
पूर्णिया : कभी काला पानी के नाम से विख्यात पूर्णिया की आवोहवा अब पूरी तरह बदल चुकी है तो इससे आधी आबादी भी अछूती नहीं है. महज तीन दशक पूर्व जब कोई बालिका साइकिल सवार नजर आती थी तो लोग कौतूहलवश उसे तब तक देखा करते थे, जब तक नजरों से ओझल नहीं हो जाती थी. वक्त ने करवट बदली तो स्कूलों में साइकिल योजना का चलन बढ़ा तो साइकिल पर सवार मुनिया बिटियां गांव से लेकर शहर तक की सड़कों पर फर्राटा भरते नजर आयी.
अब महिलाओं ने एक कदम आगे बढ़ते हुए हवा से बातें करना आरंभ कर दिया है. बहरहाल जिले में 300 से अधिक महिलाएं बाइक व स्कूटी की सवारी कर रही है तो तीन दर्जन से अधिक महिलाएं बेहिचक अपने उंगलियों पर चार चक्का वाहन को नचा रही है. दरअसल महिलाएं घर की चहारदीवारी को लांघ कर सड़क पर आयी है तो सड़क पर फर्राटा भरने लगी है. साइकिल से सशक्तिकरण की वह शुरूआत अब स्कूटी क्रांति में तब्दील हो चुकी है. जाहिर है नारी सशक्तिकरण का यह नया दौर है, जो सीमांचल में अब आम बात हो गयी है.
शिक्षिका व छात्राएं सबसे आगे. तीन साल के अंदर तीन सौ से अधिक महिलाओं ने टू एवं फोर व्हीलर को अपना रोजमर्रा का साधन बनाया है. इसमें सबसे अधिक नियोजित शिक्षिकाएं एवं कॉलेज की छात्राएं शामिल हैं. पूर्णिया की अधिकांश सीडीपीओ एवं कामकाजी महिलाएं फोर-व्हीलर से चल रही हैं जबकि अधिकांश नियोजित शिक्षिकाएं स्कूटी से स्कूल तक पहुंच रही है. वहीं बड़ी संख्या में कोचिंग व कॉलेज जाने वाली छात्राएं भी धड़ल्ले से स्कूटी की सवारी कर रही है. इसकी देखादेखी अब शहर में रहनेवाली हाउस वाइफ भी पीछे नहीं रही हैं. वे भी अब मार्केटिंग से लेकर लंबी दूरी की यात्रा के लिए स्वाबलंबी होती जा रही हैं. इस तरह पूर्णिया की महिलाओं का जज्बा सामाजिक परिवर्तन को नया आयाम दे रहा है.
जिले में पिछले तीन साल में दस हजार लोगों ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया है. इनमें में साढ़े तीन सौ महिलाएं हैं. हर साल महिला आवेदिकाओं की संख्या में वृद्धि होती जा रही है. वित्तीय वर्ष 2014-15 में 81 महिलाओं ने लाइसेंस लिए. इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2015-16 में 63 एवं वित्तीय वर्ष 2016-17 में 201 महिलाओं ने ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया है.
कृष्ण मोहन सिंह, डीटीओ, पूर्णिया
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement