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भिखारियों को दान की जगह अब मिल रहा सम्मान

पूर्णिया : पूर्णिया की सड़कों व चौक-चौराहों पर भीख मांगने वालों की संख्या उत्तरोत्तर घटती जा रही है. अब यहां न तो महिला भिक्षुक ही दिखाई देती हैं और न ही पुरुष भिक्षुक. बाल भिक्षावृति पर भी काफी हद तक विराम लग गया है. ऐसा नहीं कि भिक्षुकों को पूर्णिया से कहीं दूर भगा दिया […]

पूर्णिया : पूर्णिया की सड़कों व चौक-चौराहों पर भीख मांगने वालों की संख्या उत्तरोत्तर घटती जा रही है. अब यहां न तो महिला भिक्षुक ही दिखाई देती हैं और न ही पुरुष भिक्षुक. बाल भिक्षावृति पर भी काफी हद तक विराम लग गया है. ऐसा नहीं कि भिक्षुकों को पूर्णिया से कहीं दूर भगा दिया गया है, बल्कि सच्चाई यह है कि मुख्यमंत्री भिक्षावृति योजना अंतर्गत पूर्णिया में दो पुनर्वास केंद्र खोले गये हैं. इनमें महिला भिक्षुकों के लिए शांति कुटीर एवं पुरुष भिक्षुकों के पुनर्वास के लिए सेवा कुटीर स्थापित किया गया है. अधिकांश भिक्षुक इन कुटीरों में भरती कराये गये हैं और अब खुद को मुख्य धारा से जुड़ा हुआ महसूस कर रहे हैं.

सशक्तीकरण के होते हैं प्रयास : इन कुटीरों में भिक्षुकों एवं निराश्रितों के लिए बुनियादी सुविधाओं के अतिरिक्त काउंसेलिंग, जीविकोपार्जन पर प्रशिक्षण, कल्याणकारी योजनाओं के लाभ तक लाभार्थियों की पहुंच सुनिश्चित कर उनके सशक्तीकरण के प्रयास जारी हैं. भिक्षुकों को सामाजिक समावेशन व आर्थिक सशक्तीकरण के लिए रोजगारपरक प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गयी है. इसके तहत चयनित लाभार्थियों को प्रशिक्षण के बाद रोजगार के अवसरों से जोड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं. स्वास्थ्य शिविर व धन्वंतरि रथ की भी सुविधा मुहैया कराया जा रही है. खास बात यह है कि इन भिक्षुकों का अपना एक परिवार है, जहां परायेपन का दूर-दूर तक एहसास नहीं होता है.
सम्मान के साथ मिलता है जीने का संबल
यह कार्यक्रम सामाजिक सुरक्षा कोषांग की देखरेख में चल रहा है. शहर में भिक्षुकों का कम दिखना इस योजना की सफलता का परिणाम है. इन कुटीरों में भिक्षुकों को उनके अधिकार व पुनर्वास के संबंध में जागरूक कर मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया जा रहा है. इस योजना के डीपीएम इकबाल आसिफ ने बताया कि अब तक 100 से अधिक भिक्षुकों को इस योजना का लाभ दिलाया गया है. एक दर्जन भिक्षुकों को सरकारी पेंशन का लाभ दिलवाया जा रहा है. 40 भिक्षुकों को लाभान्वित कराने की प्रक्रिया चल रही है. शेष भिक्षुकों का पुनर्वास करवाया गया है. उन्होंने बताया कि संप्रति शांति कुटीर भी 76 महिला भिक्षुक एवं सेवा कुटीर में 50 पुरुष भिक्षुक योजना का लाभ ले रहे हैं. श्री आसिफ ने कहा कि जिले के एक भी भिक्षुक अथवा निराश्रितों को किसी भी सूरत में अपमानित नहीं होने दिया जायेगा. उन्हें जीवन भर सम्मान के साथ जीने के लायक बनाया जायेगा.
अब तक 112 भिक्षुकों को किया गया लाभान्वित
12 भिक्षुकों को मिलने लगा सरकारी पेंशन
महिला भिक्षुकों के लिए चल रहा शांति कुटीर
पुरुष भिक्षुकों के लिए चल रहा सेवा कुटीर
समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा
जिले में करीब 200 भिक्षुक चिह्नित किये गये हैं. इनमें 112 को लाभान्वित कराया गया है. अभी दोनों पुनर्वास केंद्र में 126 भिक्षुक आवासन कर रहे हैं. उन्हें जीवनोपयोगी संसाधन उपलब्ध करा कर समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया जा रहा है. हर हाल में भिक्षुकों को सम्मान दिया जायेगा.
पंकज कुमार पाल, डीएम

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