हाइकोर्ट में दी दस्तक, आतंकी गतिविधि के आरोप में 18 जनवरी 2010 को हुआ था गिरफ्तार
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मिर्जा खान ने कहा, अफगानी नहीं, मैं भारतीय हूं
हाइकोर्ट में दी दस्तक, आतंकी गतिविधि के आरोप में 18 जनवरी 2010 को हुआ था गिरफ्तार 13 दिसंबर, 2012 को न्यायालय ने विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत सुनायी सजा 18 जनवरी, 2013 को हो चुकी है सजा पूरी, अब भी पूर्णिया केंद्रीय कारा में है कैद विदेशी नागरिक के तहत विभागीय प्रक्रिया के पेच में […]
13 दिसंबर, 2012 को न्यायालय ने विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत सुनायी सजा
18 जनवरी, 2013 को हो चुकी है सजा पूरी, अब भी पूर्णिया केंद्रीय कारा में है कैद
विदेशी नागरिक के तहत विभागीय प्रक्रिया के पेच में फंसा है मामला
पूर्णिया : सेंट्रल जेल में विदेशी नागरिक मामले में बंद अफगानी नागरिक गुलाम रसूल उर्फ मिर्जा खान ने उच्च न्यायालय में दस्तक देकर भारतीय नागरिक होने का दावा पेश किया है. अपने दावे उसने कहा है कि वह अपनी साली की हत्या के मामले में आंध्र प्रदेश के सेंट्रल जेल चंचलगोरा में 18 जनवरी, 2001 तक कैद था. इस दौरान उसे 6 जुलाई, 2002 को चेरापल्ली जेल में स्थानांतरित किया गया. इस क्रम में वह विशाखापट्टनम एवं राजमुदरी जेल से कडापा जेल भेजा गया, जहां वह तीन अक्तूबर, 2009 को रिहा हो गया. कहा है कि कडापा जेल से उसके भारतीय होने के प्रमाण प्राप्त किये जा सकते हैं. इसमें उसके घर के पता का प्रमाण मिल जायेगा.
उसने अपने घर का पता आंध्र प्रदेश के हैदराबाद के बहारापुर स्थित विलालनगर मकान नंबर 19/2/145 बताया है. विदेशी नागरिक अधिनियम के अंतर्गत सजा पूरी होने के बाद रिहाई की विभागीय प्रक्रिया में शिथिलता को देखते हुए मिर्जा ने हाइकोर्ट से न्याय की गुहार लगायी है.
जनवरी, 2010 से केंद्रीय कारा में है कैद : गुलाम रसूल खान उर्फ मिर्जा खान की रिहाई का मामला कारा विभाग की प्रक्रियाधीन है. वह 18 जनवरी, 2010 से पूर्णिया सेंट्रल जेल में बंद है. प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा 13 दिसंबर, 2012 को विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत तीन वर्ष कैद व 3000 रुपये जुर्माने की सजा सुनायी थी. मिर्जा खान की सजा पूरी हुए तीन वर्ष से अधिक समय गुजर जाने के बावजूद वह जेल से बाहर नहीं निकल पाया है. हालांकि न्यायालय में मिर्जा खान के आतंकी होने का सबूत पुलिस देने में विफल रही. वहीं विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत सजा मिलने के बाद मिर्जा के अधिवक्ता द्वारा उच्च न्यायालय में भारतीय होने के दावे का मामला दायर किया गया, जिसे न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया था.
तीन वर्ष से चल रही विभागीय प्रक्रिया : जेल अधीक्षक जवाहर लाल प्रभाकर ने बताया कि मिर्जा खान की सजा पूरी होने के बाद विदेशी नागरिक होने के कारण उसे विभागीय प्रक्रिया के बाद ही मुक्त किया जा सकता है. इसके लिए राज्य कारा मुख्यालय से लगातार पत्राचार जारी है. मार्च, 2014 को सहायक कारा महानिरीक्षक कारा एवं सुधार सेवाएं द्वारा सरकार के उपसचिव गृह (विशेष) विभाग द्वारा विदेशी अफगानी बंदी मिर्जा खान को जेल से मुक्त करने के लिए दिशा निर्देश देने का अनुरोध किया गया था. जेल अधीक्षक ने बताया कि सजा पूरी होने के बाद मिर्जा को जेल से बाहर सुरक्षित जगह पर तब तक रखने का निर्देश मिला, जब तक उसकी रिहाई की विभागीय प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है. पर, जेल से बाहर रखने की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण उसे जेल में ही अलग से विशेष सुरक्षा में रखा गया है.
यासिन भटकल से बताये गये थे संबंध
जुलाई, 2015 में एसपी (सी) विशेष शाखा पटना द्वारा पूर्णिया एसपी को भेजे गये निर्देश में हैदराबाद के जेल में बंद आतंकवादी यासीन भटकल से मिर्जा खान के तार जुड़ने की बात कही गयी थी. पत्र में कहा गया था कि भटकल अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन आइएसआइएस के सहयोग से जेल से भागने की फिराक में है. पत्र में कहा गया था कि भटकल का संबंध मिर्जा खान से होने से इंकार नहीं किया जा सकता. इस निर्देश के बाद जेल के अंदर व बाहर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गयी थी. यहां तक की जेल में बंद मिर्जा खान के कक्ष के बाहर संतरी की भी तैनाती कर दी गयी थी.
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