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शौचालय के अभाव से फैल रही गंदगी

प्रस्ताव पारित करने में अक्षम है नगर िनगम एक दशक से शहर में नहीं बना है शौचालय व यूरिनल दो वर्ष बाद भी प्रस्ताव पर नहीं हुआ अमल शौचालय निर्माण की राशि नगर निगम के 13वीं वित्त योजना के फंड से खर्च होनी थी. इस बैठक में शहर में यूरिनल की व्यवस्था को लेकर भी […]

प्रस्ताव पारित करने में अक्षम है नगर िनगम

एक दशक से शहर में नहीं बना है शौचालय व यूरिनल
दो वर्ष बाद भी प्रस्ताव पर नहीं हुआ अमल
शौचालय निर्माण की राशि नगर निगम के 13वीं वित्त योजना के फंड से खर्च होनी थी. इस बैठक में शहर में यूरिनल की व्यवस्था को लेकर भी चर्चा हुई थी, लेकिन यह विडंबना है कि इस प्रस्ताव पर अब तक कोई अमल नहीं किया जा सका है.
पूर्णिया : शहर में स्वच्छता और आम आदमी की जरूरतों के मद्देनजर निगम के सशक्त स्थायी समिति की बैठक में पारित प्रस्ताव दो वर्ष बाद भी प्रस्ताव पुस्तिका में कैद है. प्रस्ताव शहर में सुलभ शौचालय के निर्माण का है.
कई बैठकों में हुए बहस और आये प्रस्ताव के बाद 10 नवंबर 2014 को हुई सशक्त स्थायी समिति की बैठक में लाखों की लागत से शहर में शौचालय बनाने का प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित किया गया था लेकिन यह शहर के लाखों लोगों की भावनाओं की उपेक्षा का ही परिणाम है कि दो वर्षों से पारित प्रस्ताव भी फाइल से बाहर निकल सरजमीं पर नहीं उतर पाया है.
08 लाख 92 हजार 300 में बनना था एक यूनिट
10 नवंबर के बैठक में पारित प्रस्ताव संख्या 4 के मुताबिक शहर के कुष्ठ कॉलोनी, खीरू चौक, दरगाह शरीफ, चिमनी बाजार, खीरू चौक तथा मियां बाजार में प्रति यूनिट 8 लाख 92 हजार 300 की लागत से शौचालय का निर्माण होना था. शौचालय निर्माण की राशि नगर निगम के 13वीं वित्त योजना के फंड से खर्च होनी थी. इस बैठक में शहर में यूरिनल की व्यवस्था को लेकर भी चर्चा हुई थी परंतु यह विडंबना है कि इस प्रस्ताव पर अब तक कोई अमल नहीं किया जा सका है.
फैसले लागू नहीं कर सका निगम
यह दीगर बात है कि बीते कुछ माह पहले खीरू चौक पर बनने वाले शौचालय के निर्माण का स्थानीय लोगों ने विरोध कर दिया और वह शौचालय निर्माण नहीं हो सका. परंतु इसके बाद भी शहर के अन्य चयनित जगहों पर भी निगम द्वारा कोई पहल नहीं की गयी. इतना ही जानकारों की माने तो उक्त बैठक में शौचालय निर्माण के साथ-साथ जनहित के कई और प्रस्तावों पर भी निगम अब तक अमल नहीं कर पाया है. जिससे आम शहरी लोगों में निराशा का भाव उत्पन्न हो रहा है.
एक दशक से होती रही है मांग
बीते डेढ़ दशक में शहर में बेतहाशा आबादी बढ़ी है बल्कि शहर के विस्तार के साथ-साथ शिक्षा, चिकित्सा, व्यापार के साथ बाहरी लोगों के आवागमन में भी वृद्धि हुई है. लिहाजा स्वच्छता और शौच के जरूरतों के लिहाज से शहर में यूरिनल और शौचालय की आवश्यकता भी बढ़ी जिसके चलते जन आवाज के साथ तत्कालीन पार्षदों ने भी निगम की बैठकों में अपनी आवाज बुलंद कर अंतत: इस प्रस्ताव को पारित कराया था.
कई बार हुए सर्वे, पर नहीं हुआ काम
बैठक में पारित शौचालय निर्माण के प्रस्ताव के बाद निगम द्वारा स्थल सर्वे कराया गया था. बल्कि लगे हाथ 2014 में नगर निगम ने शहर में यूरिनल लगाने को लेकर भी योजना के साथ सर्वे कराया था. तब शहर वासियों को ऐसा लगा था कि हमारा शहर स्वच्छ होगा और खुले में शौच, गंदगी से मुक्ति मिलेगी. लेकिन वर्ष 2014 से 2015 के प्रवेश करते ही निगम के सुर भी बदले और प्रस्ताव पुस्तिका भी नहीं खुली न तो प्रस्तावित जगहों पर शौचालय का निर्माण हुआ और न ही कहीं यूरिनल लगा, जिससे लोगों को परेशानी होती है.

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