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जाली लॉटरी के माध्यम से होता है सीमांचल में करोड़ों का कारोबार

मुजफ्फरपुर का उपेंद्र सहनी है सरगना दालकोला से सोनू चौधरी द्वारा होता है कारोबार का संचालन दिल्ली से प्रत्येक माह 50 लाख जाली लॉटरी की होती है प्रिटिंग मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम स्टेट लॉटरी के नाम पर बिकता है टिकट पूर्णिया : मुजफ्फरपुर का उपेंद्र सहनी जाली लॉटरी कारोबार का सरगना माना जाता है. उसका बिहार […]

मुजफ्फरपुर का उपेंद्र सहनी है सरगना

दालकोला से सोनू चौधरी द्वारा होता है कारोबार का संचालन
दिल्ली से प्रत्येक माह 50 लाख जाली लॉटरी की होती है प्रिटिंग
मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम स्टेट लॉटरी के नाम पर बिकता है टिकट
पूर्णिया : मुजफ्फरपुर का उपेंद्र सहनी जाली लॉटरी कारोबार का सरगना माना जाता है. उसका बिहार में एक महीने में लगभग 05 करोड़ का जाली लॉटरी का कारोबार हो रहा है. इसमें से 02 करोड़ का कारोबार केवल कोसी और सीमांचल के इलाके में होता है. ऐसा माना जाता है कि पुलिस की पकड़ से बचने के लिए वह अपने कर्मियों तथा कारोबार की जगह को बदलता रहता है. लॉटरी के जैकपॉट को जीत कर रातों-रात करोड़पति बनने का ख्वाब देखने वाले सैकड़ों लोग जमा पूंजी भी लगा कर कंगाल हो रहे हैं. जबकि दूसरी ओर इस धंधे से जुड़े कारोबारी खाकपति से करोड़पति बन चुके हैं.
राज्य में लॉटरी पर प्रतिबंध के बावजूद भले ही कारोबारियों की परेशानी बढ़ी, लेकिन इसका भी धीरे-धीरे निदान निकल गया. अब हाल यह है कि अवैध लॉटरी का कारोबार कोसी और सीमांचल इलाके में पुलिसिया संरक्षण में खूब फल-फूल रहा है. इतना ही नहीं अवैध लॉटरी के साथ जाली लॉटरी का कारोबार भी धड़ल्ले से जारी है. सूत्रों की मानें तो लॉटरी के धंधे से जुड़े कारोबारियों का करोड़पति होने का राज नकली लॉटरी ही है. आम लोग असल और नकल के खेल से वाकिफ नहीं हैं और हर दिन लॉटरी बाजार में लूट रहे हैं.
हर माह होता है 50 लाख लॉटरी प्रिंट : सूत्रों की मानें तो उपेंद्र सहनी हर माह दिल्ली से 50 लाख जाली लॉटरी प्रिंट दिल्ली से करवा कर मुजफ्फरपुर मंगवाता है. बताया जाता है कि 50 लाख जाली टिकट की प्रिंट पर 50 हजार रूपये का खर्च आता है. जबकि लॉटरी बाजार में असली के नाम पर 10 रूपये प्रति टिकट के दर पर 05 करोड़ का कारोबार केवल बिहार में किया जा रहा है. जाली लॉटरी में मिजोरम, नागालैंड एवं सिक्किम स्टेट की लॉटरी प्रिंट की जाती है. आम आदमी को असली और नकली की पहचान नहीं होती है. लॉटरी के खेल में शामिल लोग बाद में अधिक पूछताछ भी नहीं करते हैं, क्योंकि मामला महज 10-20 या 100 रूपये का होता है. इस प्रकार यह काला कारोबार खूब फल-फूल रहा है.
सोनू चौधरी बना है सीमांचल का मैनेजर
दालकोला का सोनू चौधरी उर्फ विकास चौधरी उपेंद्र सहनी के जाली लॉटरी कारोबार का स्थानीय मैनेजर है. उसे बंगाल पुलिस ने 06 माह पूर्व गिरफ्तार किया था, लेकिन साक्ष्य के अभाव में उससे बांड भरवा कर छोड़ दिया गया. सोनू चौधरी कोसी एवं सीमांचल के इलाकों में जाली लॉटरी की आपूर्ति एजेंट के द्वारा करता है. वहीं कोसी और सीमांचल के सभी जिले में उसका एक-एक मुख्य एजेंट मौजूद है. इस कारोबार में खुश्कीबाग और गुलाबबाग के कुछ सफेदपोशों की भी सहभागिता है, जो इस काले धंधे में एक निश्चित कमीशन का हकदार है.
कई बार जेल जा चुके हैं उपेंद्र के सहकर्मी
सदर पुलिस ने वर्ष 2012 में 40 बंडल जाली लॉटरी के साथ उपेंद्र सहनी के कर्मी विकास सहनी को गिरफ्तार किया था. वहीं 2013 में सदर पुलिस ने ही 50 लाख के इनामी लॉटरी टिकटों के साथ पुन: विकास सहनी को गिरफ्तार किया. बताया जाता है कि हिरासत में कुछ ऐसे लोगों को भी रखा गया, जिन्हें टिकटों पर इनाम मिला था. इस गिरफ्तारी के बाद विकास सहनी को पुलिस की पहचान से बचने के लिए सीमांचल छोड़ कर दूसरे जगहों पर रखा गया. उसकी जगह बीरबल सहनी को जाली लॉटरी कारोबार के लिए भेजा गया. बीरबल सहनी भी दो बार जाली टिकटों के साथ पुलिस के हत्थे चढ़ा और उसे भी पूर्णिया से अन्यत्र जगह भेजा गया. वर्तमान में दालकोला का सोनू चौधरी उपेंद्र सहनी के जाली लॉटरी का कारोबार चला रहा है.
जाली लॉटरी कारोबार में 100 फीसदी का होता है मुनाफा
आम लोग असल व नकल के खेल से वाकिफ नहीं हैं और हर दिन लॉटरी बाजार में लुट रहे हैं
हर अवैध इंट्री पर फिक्स होता है कमीशन

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