भक्ति. या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
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पंडालों व मंदिरों में उमड़े श्रद्धालु
भक्ति. या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: मां के दर्शन में झमाझम बारिश भी बाधक नहीं बन पायी. पूजा पंडालों व मंदिरों में मां के दर्शन के बाद भक्तों ने वरदान मांगा. पूर्णिया : रविवार को समूचे शहर में आस्था और धर्म का अलौकिक दृश्य दिखा. पंडालों व मंदिरों में मां […]
मां के दर्शन में झमाझम बारिश भी बाधक नहीं बन पायी. पूजा पंडालों व मंदिरों में मां के दर्शन के बाद भक्तों ने वरदान मांगा.
पूर्णिया : रविवार को समूचे शहर में आस्था और धर्म का अलौकिक दृश्य दिखा. पंडालों व मंदिरों में मां दुर्गा के पूजन और दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. झमाझम बारिश का भी श्रद्धालुओं पर असर नहीं दिखा. या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: के मंत्रोच्चारण से समग्र वातावरण गुंजायमान हो उठा. देवी पूजन को श्रद्धालु पूजन सामग्री लेकर मंदिरों और पूजा पंडालों के तरफ निकल पड़े. लगातार बारिश के बीच मां दुर्गा के उपासक महागौरी की पूजा में मग्न रहे. महागौरी को श्वेतांबरा भी कहा जाता है. कहते हैं कि पति रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए महागौरी ने कठिन तपस्या की थी.
इसी वजह से इनका शरीर काला पड़ गया, लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धो कर कांतिमय बना दिया. नवरात्र के आठवें दिन शहर का नजारा मेले जैसा दिखा. शहर के रजनी चौक, जेल चौक, कोर्ट स्टेशन, लायंस क्लब, पूर्णिया सिटी, माता स्थान, पूरणदेवी मंदिर, गुलाबबाग के सोनौली चौक, सार्वजनिक दुर्गा मंदिर, चंदन नगर चौक के पूजा स्थलों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. बच्चों एवं युवाओं ने भी मेले का लुत्फ उठाया.
कन्या पूजन की रही है परंपरा: महानवमी के दिन कुंवारी कन्या के पूजन की परंपरा रही है. कहते हैं कि जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवताओं का भी वास होता है. कन्या पूजन में दो से 10 वर्ष तक की कन्याओं को पूजे जाने का विधान है. खास बात यह है कि सभी अलग-अलग उम्र की कन्याओं के पूजन का भी अलग-अलग महत्व है. शास्त्र के अनुसार दो वर्ष की कन्या को पूजन से दुख-दरिद्रता दूर होती है. वहीं तीन वर्ष की कन्या के पूजन से परिवार में सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है.
चार वर्ष की कन्या के पूजन से विद्या में बढ़ोतरी होती है. जबकि पांच वर्ष की कन्या को पूजन से व्यक्ति को रोग से मुक्ति मिलती है. जबकि छह वर्ष की कन्या के पूजन से राजयोग की प्राप्ति होती है. वहीं सात वर्ष की कन्या के पूजन से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. वहीं आठ वर्ष की कन्या के पूजन से वाद-विवाद में विजयी प्राप्त होता है. जबकि नौ वर्ष की कन्या को पूजन से शत्रुओं का नाश होता है. दस वर्ष की कन्या को पूजने से सभी मनोरथ पूरे होते हैं.
जागरण में उमड़ी भीड़: नवरात्र के उत्सव में चार चांद लगाने के लिए कई पूजा समितियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं जागरण का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया है. शनिवार को सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में बंगाल के कलाकारों द्वारा भव्य जागरण की प्रस्तुति से श्रद्धालुओं में उत्साह का प्रवेश होता रहा. इस दौरान सैकड़ों महिला, पुरुष, युवक, युवती मंदिर प्रांगण में आयोजित जागरण में घंटो जमे रहे.
लिया जायजा: दुर्गापूजा पंडालों एवं शहर में सुरक्षा-व्यवस्था तथा जारी प्रशासनिक निर्देशों के अनुपालन पूजा कमेटियों द्वारा किया जा रहा है या नहीं, इसको लेकर जिला प्रशासन सतर्क नजर आ रहा है.
इस संदर्भ में अधिकारियों ने विभिन्न पूजा-पंडालों का निरीक्षण किया. शनिवार को एडीएम रवींद्र नाथ और एसडीएम रवींद्र नाथ प्रसाद सिंह ने विभिन्न सार्वजनिक दुर्गापूजा समिति के पंडाल का जायजा लिया. सुरक्षा के मद्देनजर सभी संवेदनशील स्थानों पर और पूजा पंडालों पर पुलिस की प्रतिनियुक्ति की गयी है. जिला नियंत्रण कक्ष स्थापित कर जिले भर में निगाह रखी जा रही है.
पूर्णिया सिटी में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा.
आज होगी मां सिद्धिदात्री की पूजा
नवरात्र के नौवें दिन मां भगवती के सिद्धिदात्री स्वरूप का पूजन किया जायेगा. शास्त्रों में कहा गया है कि इनकी अनुकंपा से ही समस्त सिद्धियां प्राप्त होती है. ऐसा कहा गया है कि अन्य देवी-देवता भी मनोवांछित सिद्धियों की प्राप्ति के लिए इनकी आराधना करते हैं. मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं.
उनकी चारों भुजाओं में शंख, चक्र, गदा और पद्म कमल विराजमान है. इनका वाहन सिंह है. आज नवरात्र के अंतिम दिन उपासक मां सिद्धिदात्री के उपासना के बाद अनुष्ठान को विराम देंगे. सर्व सिद्धियों की दाता मां सिद्धिदात्री देवी दुर्गा का नौवां व अंतिम स्वरूप हैं. नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा और कन्या पूजन के साथ ही नवरात्र का समापन होता है.
मंत्र और पूजन सामग्री
मां सिद्धिदात्री के पूजन के लिए ‘ सिद्धगन्धर्वयक्षाघैरसुरैरमरैरपिसेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ‘ मंत्र का प्रयोग करना चाहिए. वहीं सिद्धिदात्री की पूजन में भगवती को धान का लावा अर्पित करके ब्राह्मण को दान देना चाहिए. इस दिन देवी को अवश्य भोग लगाना चाहिए. पुराणों के अनुसार देवी सिद्धिदात्री के पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व यह आठ सिद्धियां हैं. देवी पुराण के मुताबिक सिद्धिदात्री की उपासना करने का बाद ही शिव जी ने सिद्धियों की प्राप्ति की थी. शिव जी का आधा शरीर नर और आधा शरीर नारी का इन्हीं की कृपा से प्राप्त हुआ था. इसलिए शिव जी विश्व में अर्द्धनारीश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुए थे.
रजनी चौक दुर्गा मंदिर.
पंडाल बने हैं आकर्षण का केंद्र
दुर्गापूजा समिति द्वारा भट्ठा कालीबाड़ी चौक, रजनी चौक, कप्तानपाड़ा, प्रभात पाठागार, कोर्ट स्टेशन, सार्वजनिक दुर्गा मंदिर गुलाबबाग में बना हुआ पूजा पंडाल एवं सिटी सराय मंदिर स्थित पूजा पंडाल लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए है. पंडालों की साजो-सज्जा और कई महत्वपूर्ण सार्वजनिक विषयों पर पंडालों में लगे स्लोगन तथा देश के वीर सपूतों के फ्लैक्स एवं उस पर लिखे स्लोगन लोगों को आकर्षित कर रहे हैं.
पंडालों की साजो-सज्जा के साथ पूजा स्थलों के आसपास एवं सपोर्टिंग सड़कों को भी सजाया गया है. रंगीन बल्बों की रोशनी और आस्था का समावेश वातावरण को अलौकिक बना रहा है. इन रंगीन रोशनी के बीच मेले के आयोजन में श्रद्धालु नवरात्र के उत्सव का लुत्फ उठाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
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