लगातार थैलीसीिमया मरीजों के बढ़ने से सौ के पार पहुंची संख्या
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थैलीसिमिया के मरीज बढ़े, ब्लड बैंक पर दबाव
लगातार थैलीसीिमया मरीजों के बढ़ने से सौ के पार पहुंची संख्या थैलीसीमिया मरीजों को रक्त आपूर्ति को लेकर हमेशा किचकिच की स्थिति बनी रहती है. तकनीकी समस्या यह है कि रक्त की हमेशा किल्लत बनी रहती है. पूर्णिया : जिले में थैलीसीमिया मरीजों की सख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. थैलीसीमिया मरीजों की संख्या […]
थैलीसीमिया मरीजों को रक्त आपूर्ति को लेकर हमेशा किचकिच की स्थिति बनी रहती है. तकनीकी समस्या यह है कि रक्त की हमेशा किल्लत बनी रहती है.
पूर्णिया : जिले में थैलीसीमिया मरीजों की सख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. थैलीसीमिया मरीजों की संख्या लगभग एक सौ के आसपास पहुंच गयी है. इससे यहां के रक्त अधिकोष पर लगातार दबाब बढ़ता जा रहा है. थैलीसीमिया मरीजों को रक्त आपूर्ति को लेकर हमेशा किचकिच की स्थिति बनी रहती है. तकनीकी समस्या यह है कि रक्त की हमेशा किल्लत बनी रहती है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि सभी मरीजों को कहां से रक्त की आपूर्ति हो सकती है.
समस्या उपजी, कहां से आयेगा अतिरक्त रक्त
थैलीसीमिया से पीड़ित लगभग एक सौ मासूम हर हमेशा जिंदगी की जद्दोजेहद में जुटे रहते हैं. इन मासूमों को जिंदगी जीने के लिए हर माह एक यूनिट रक्त चाहिए. इनकी जिंदगी बचाने के लिए विभागीय स्तर के साथ साथ सामाजिक संगठनों को भी आगे बढ़कर अतिरिक्त रक्त की व्यवस्था करनी होगी. रक्तदान के क्षेत्र में काम करना होगा. साथ ही सक्षम थैलीसिमिया मरीजों के परिजनों को भी रक्तदान को बढ़ावा देने की दिशा में काम करना होगा. तब कहीं इन नौनिहालों की जिंदगी को बचाया जा सकेगा. अन्यथा रक्त अधिकोष शून्य होने पर थैलीसीमिया मरीजों की जिंदगी भी शून्य में
चली जायेगी.
बिना एक्सचेंज के करते हैं रक्त की मांग
थैलीसिमिया मरीजों के परिजन हमेशा बिना एक्सचेंज किये रक्त लेने की तमन्ना ले कर सदर अस्पताल पहुंचते हैं. बीच बीच में रक्त की किल्लत होने पर यदि एक्सचेंज करने का प्रस्ताव दिया जाता है तो अभिभावकों को नागवार गुजरता है. जिसके कारण विवाद भी उत्पन्न होते रहते हैं. उदाहरण के लिए मधुबनी में दो भाइ-बहन थैलीसिमिया से पीड़ित है. उसे सदर अस्पताल के रक्त अधिकोष से पिछले बाइस माह में 22 युनिट रक्त बिना एक्सचेंज के दिये जा चुके हैं.
जबकि इसी मरीज को रेडक्रॉस सोसाइटी के द्वारा भी रक्त आपूर्ति की गयी है. इस प्रकार हर माह थैलीसिमिया मरीजों को रक्त देने के लिए कम से कम एक सौ यूनिट रक्त की अतिरिक्त आवश्यकता महसूस की जा रही है.
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