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मजदूरों की तब तक होती थी पिटाई, जब तक नहीं हो जाता था बेहोश

पूर्णिया / रानीपतरा. साहब, वह आदमी नहीं जल्लाद था. उसने कई लठैत भी पाल रखे थे. जब हम मजदूर काम करने से इनकार करते या फिर तनख्वाह की मांग करते तो तब तक पिटाई होती थी, जब तक एक-दो मजदूर बेहोश नहीं हो जाता था. न केवल लोहा फैक्टरी के मालिक सुशार साहब पिटाई किया […]

पूर्णिया / रानीपतरा. साहब, वह आदमी नहीं जल्लाद था. उसने कई लठैत भी पाल रखे थे. जब हम मजदूर काम करने से इनकार करते या फिर तनख्वाह की मांग करते तो तब तक पिटाई होती थी, जब तक एक-दो मजदूर बेहोश नहीं हो जाता था. न केवल लोहा फैक्टरी के मालिक सुशार साहब पिटाई किया करते थे, बल्कि उनके लठैत भी चमड़े के चाबुक और लाठी से पिटाई करते थे. चाबुक जब शरीर पर पड़ता था तो लगता था कि पूरा शरीर फट जायेगा. यह कहते-कहते बीरबल ऋषि की आंखें डबडबा जाती है और चेहरे पर भय के कई रंग एक साथ नजर आते हैं. बीरबल ने बताया कि भरपेट भोजन भी नहीं दिया जाता था और 12 से 18 घंटे तक काम लिया जाता था. इतना ही नहीं बीमार होने की स्थिति में भी काम करना पड़ता था.
यह वही बीरबल है, जो चार महीने तक रजीगंज पंचायत के साहेब कामत महादलित टोला के सात मजदूरों के साथ महाराष्ट्र के कोल्हापुर बाजार के कागले बाजार में एक लोहा फैक्ट्री में बंधक बना रहा. बीरबल किसी प्रकार भाग कर अपने गांव साहेब कामत टोला पहुंचा. इसके बाद परिजनों ने बुधवार को मुफस्सिल सहायक थाना में घटना के बाबत लिखित आवेदन दिया. दूसरी तरफ बंधक बने मजदूरों की चिंता में परिजनों की आंखें पथराने लगी है. गुरुवार को बंधक बने मजदूरों के परिजनों ने एसपी निशांत कुमार तिवारी से मिल कर गुहार लगायी. मामले की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय पुलिस बंधकों को छुड़ाने की कवायद में जुट गयी है. गौरतलब है कि वहां मोनू ऋषि, गुलशन ऋषि, विकास ऋषि, पप्पू ऋषि, मुन्ना ऋषि, संजय ऋषि और अमर ऋषि लोहा फैक्टरी में बंधक बने हुए हैं. वे सभी एक ही गांव के रहने वाले हैं.
परिजनों ने ही भेजे रुपये
बरसौनी के हनुमान टोला का ठेकेदार रिंकू ऋषि और करण ऋषि सबों को कपड़े की फैक्टरी में काम दिलाने और एवज में 10 हजार रुपये प्रतिमाह दिलाने का वादा कर गांव से कोल्हापुर ले गया था.
लेकिन वहां कपड़ा फैक्टरी की जगह लोहे की फैक्टरी में जबरन काम कराने लगा. इतना ही नहीं बीते चार महीने में एक रुपये भी उक्त मजदूरों ने अपने परिजन को नहीं भेजा. उल्टे करीब एक माह पहले कोल्हापुर से यह खबर आयी कि सबों की तबीयत बहुत खराब है, इसलिए तत्काल प्रति व्यक्ति एक हजार रुपये भेजने की जरूरत है. सजनी ने अपनी नाक के जेवर बेच डाले तो संजय ऋषि के परिजनों ने बकरी बेच कर रुपये इकट्ठा किया. पप्पू की बहन ने मुरगे बेच डाले. इस प्रकार सबों ने कहीं न कहीं से रुपये की व्यवस्था कर एक-एक हजार रुपये इकट्ठा कर आठ अगस्त को 5500 रुपये एसबीआइ की खाता संख्या 32693606504 में भेजा गया.
बंधक मजदूरों को किया जा चुका है स्थानांतरित
साहेब कामत महादलित टोला में मातमी सन्नाटा पसरा है और हर जगह केवल बंधक बने मजदूरों की चर्चा हो रही है. बीरबल ने बताया कि जब वह कागले से फरार हुआ तब इस बात की सूचना जब फैक्टरी मालिक को मिली तो अन्य सभी मजदूरों की जम कर पिटाई हुई. आशंकित खतरे को भांपते हुए हाल ही में सभी बंधक बने मजदूरों को पास के ही एक सटे हुए फैक्टरी में स्थानांतरित कर दिया गया. बीरबल के अनुसार दोनों फैक्टरी का मालिक एक ही व्यक्ति है. वहीं काम कर रहे एक कर्मचारी से मोबाइल से गुरुवार को विकास ने बीरबल से संपर्क साधा था. चंद मिनटों की बातचीत में विकास ने बताया कि उन्हें दूसरे फैक्टरी के अंदर में अब काम करना पड़ रहा है. पूरी बात हो पाती, उससे पहले ही फोन बंद हो गया.
कार्रवाई आरंभ
गुरुवार को बंधक बने मजदूरों के परिजन एसपी निशांत कुमार तिवारी से मिले. परिजनों के आवेदन पर पूर्व में ही मुफस्सिल सहायक थाना में थाना कांड संख्या 333/16 दर्ज कर लिया गया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी श्री तिवारी ने कोल्हापुर के एसपी प्रदीप देशपांडे से तत्काल ही दूरभाष पर बातचीत की. एसपी श्री देशपांडे ने एसपी श्री तिवारी को हरसंभव सहयोग का भरोसा दिलाया. एसपी श्री तिवारी ने एक टीम गठन कर टीम को कोल्हापुर रवाना होने का निर्देश दिया है. दूसरी ओर बचपन बचाओ आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने प्रभात खबर में छपी खबर पर संज्ञान लेते हुए अपने स्तर से बंधक बने मजदूरों को छुड़ाने की कोशिश में जुट गये हैं.

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