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हाशिये पर हो गया विभाग मानकों का हो रहा उल्लंघन

जिले में पंजीकृत व बिना पंजीकृत निजी स्कूलों के मामले में शिक्षा विभाग हाशिये पर है. निर्धारित अवधि में मानक पूरा नहीं करने पर संचालक को तीन वर्ष के अंदर स्कूल बंद करने का प्रावधान है. लेकिन, जिले में अब तक ऐसा कोई नियम प्रभावी होता नजर नहीं आया है. पूर्णिया : जिले में पंजीकृत […]

जिले में पंजीकृत व बिना पंजीकृत निजी स्कूलों के मामले में शिक्षा विभाग हाशिये पर है. निर्धारित अवधि में मानक पूरा नहीं करने पर संचालक को तीन वर्ष के अंदर स्कूल बंद करने का प्रावधान है. लेकिन, जिले में अब तक ऐसा कोई नियम प्रभावी होता नजर नहीं आया है.
पूर्णिया : जिले में पंजीकृत व बिना पंजीकृत निजी स्कूलों के मामले में शिक्षा विभाग हाशिये पर है. इसकी मूल वजह यह है कि पंजीयन को लेकर खुद शिक्षा विभाग का रवैया उदासीन रहा है.
आवेदन प्राप्त करने के लिए विभागी स्तर पर कभी कोई पहल नहीं की गयी और न ही कभी पंजीयन की प्रक्रिया को सार्वजनिक किया गया. वहीं जिन स्कूल संचालकों ने पंजीयन के लिए आवेदन किया, उसे भी ठंडे बस्ते में डाल कर छोड़ दिया गया. जबकि बिहार राज्य बच्चों की मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा नियमावली 2011 के तहत आवेदन के तीन माह के अंदर विभाग को इस पर निर्णय लेना था.
जिला स्तर पर गठित तीन सदस्यीय समिति को निर्धारित मानकों की जांच करनी थी. वहीं मानक पूरा नहीं करने पर आवेदकों को एक वर्ष तक का समय देना था. निर्धारित अवधि में मानक पूरा नहीं करने पर संचालक को तीन वर्ष के अंदर स्कूल बंद करने का प्रावधान है. लेकिन, जिले में अब तक ऐसा कोई नियम प्रभावी होता नजर नहीं आया है.
प्रशासनिक स्तर पर कवायद हुई तेज . निजी स्कूलों पर नियंत्रण के लिए गठित जिलास्तरीय त्रिसदस्यीय कमेटी की बैठक लंबे अरसे के बाद 17 अगस्त को हुई. हालांकि इस बैठक से बहुत कुछ नतीजा सामने नहीं आया. शीघ्र ही बैठक फिर आयोजित होने की संभावना है.
समिति के अध्यक्ष सह जिला शिक्षा पदाधिकारी मो मंसूर आलम ने बैठक के बाद बताया था कि बैठक में निजी स्कूलों के मानक व पंजीयन संबंधित विभिन्न बिंदुओं पर विमर्श हुआ, जिसमें अवैध तरीके से संचालित निजी स्कूलों के विरुद्ध कार्रवाई का भी निर्णय लिया गया. निजी स्कूलों पर पंजीयन के लिए दबाब बनाने हेतु दंडात्मक कार्रवाई आरंभ करने का भी निर्णय हुआ है. हालांकि इसका क्रियान्वयन समिति की अगली बैठक के पूर्व आरंभ करना संभव नहीं होगा. देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में पंजीयन समेत मानक के मामले में विभाग क्या कदम उठा पाती है.
80 फीसदी स्कूल हैं मानक से दूर
जिले में निजी स्कूलों के पंजीयन के मामले में शिक्षा विभाग का रवैया सवालों के घेरे में रहा है. इसकी वजह यह है कि पंजीयन निर्गत करने के पूर्व अब तक स्कूलों के जांच की परंपरा नहीं रही है.
विभागीय सूत्र बताते हैं कि अब तक जिन 104 स्कूलों को पंजीयन संख्या प्रदान किया गया है, उनमें से एक-आध को छोड़ किसी भी स्कूल के मानक की स्थलीय जांच नहीं की गयी. यही कारण है कि करीब 80 फीसदी स्कूल मानकों को पूरा नहीं करते हैं. वही जिन 26 स्कूलों को प्रत्याशा सूची में रखा गया है, उनकी भी स्थलीय जांच नहीं हुई. गौरतलब है कि प्रत्याशा सूची में शामिल सभी स्कूलों को शीघ्र पंजीयन संख्या निर्गत किया जाना है.
संदेह के दायरे में हैं अधिकांश पंजीकृत स्कूल
यह तय माना जा रहा है कि जिस प्रकार पंजीयन निर्गत करने में लापरवाही बरती गयी है, अन्य स्कूलों में भी मानकों का खुला उल्लंघन हुआ है. सूत्रों की मानें तो अधिकतर वैसे स्कूलों को ही पंजीयन निर्गत किया गया है, जिनके संचालकों की पहुंच विभाग के अधिकारियों तक थी. वही कुछ ऐसे स्कूल भी इस सूची में शामिल हैं, जो ऊंची रसूख रखते हैं.
उनकी राजनीतिक हैसियत और पहुंच के कारण भी विभाग ने जांच की जहमत नहीं उठायी. जबकि कुछ ही स्कूल ऐसे थे, जिनके संचालक नियम और कानून के जानकार थे. उन्होंने मानकों को पूरा किया और फिर दवाब बना कर पंजीयन भी प्राप्त किया. सूत्रों के अनुसार स्थलीय जांच भी केवल इन्हीं स्कूलों की हुई है.

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