गोरखधंधा. न मानक न पंजीयन की दरकार, फिर भी संचालित हैं कई स्कूल
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विभागीय संरक्षण में शिक्षा से िखलवाड़
गोरखधंधा. न मानक न पंजीयन की दरकार, फिर भी संचालित हैं कई स्कूल मानकों को लेकर जिले में शिक्षा विभाग का रवैया सवालों के घेरे में रहा है. यहां तक कि विभाग को स्कूलों के पंजीयन से भी कोई विशेष वास्ता नहीं रह गया है. पूर्णिया : माउंट जियोन स्कूल में छात्र अदिति की मौत […]
मानकों को लेकर जिले में शिक्षा विभाग का रवैया सवालों के घेरे में रहा है. यहां तक कि विभाग को स्कूलों के पंजीयन से भी कोई विशेष वास्ता नहीं रह गया है.
पूर्णिया : माउंट जियोन स्कूल में छात्र अदिति की मौत के बाद स्कूल के मानक को लेकर बहस छिड़ी हुई है. कहा जा रहा है कि स्कूल आरटीइ के तहत निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करता है. इसलिए स्कूल प्रबंधन के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जायेगी, लेकिन इसके पीछे का एक सच यह भी है कि मानकों को लेकर खुद जिले में शिक्षा विभाग का रवैया सवालों के घेरे में रहा है. यहां तक कि विभाग को स्कूलों के पंजीयन से भी कोई विशेष वास्ता नहीं रह गया है. विभागीय आंकड़ों के अनुसार अब तक जिले में कुल 104 निजी विद्यालयों का पंजीयन आरटीई के तहत किया गया है.
इन विद्यालयों को कक्षा 01 से 08 तक वर्गकक्ष संचालन की अनुमति दी गयी है. जबकि 26 अन्य निजी विद्यालय पंजीयन के लिए प्रत्याशा सूची में शामिल हैं. जानकार बताते हैं कि अकेले जिला मुख्यालय में 200 से अधिक निजी विद्यालय संचालित हैं. जबकि जिले में यह आंकड़ा 01 हजार के पार हो जाता है. ऐसे में विभागीय कार्यशैली सवालों के घेरे में है.
ये सुविधाएं भी हैं निजी विद्यालय के लिए अनिवार्य : आरटीई एक्ट के तहत निजी विद्यालयों में पर्याप्त वर्गकक्ष व कार्यालय कक्ष का होना अनिवार्य है. खेल मैदान व खेलकूद की सामग्री का होना भी अनिवार्य है. इसके अलावा निजी विद्यालयों में पुस्तकालय तथा उसमें पुस्तकों की उपलब्धता भी अनिवार्य की गयी है. यहां तक कि पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों व समाचार पत्र / पत्रिकाओं का विवरण संचालक को डीइओ कार्यालय को निर्धारित समय पर उपलब्ध कराना होता है.
पेयजल व शौचालय की व्यवस्था अनिवार्य
स्कूल में शुद्ध पेयजल और शौचालय की व्यवस्था भी अनिवार्य है. इसमें विशेष तौर पर पुरुषों व महिलाओं के लिए अलग-अलग शौचालय व मूत्रालय की व्यवस्था सुनिश्चित करना है. इसके अलावा विद्यालय में साफ-सफाई की नियमित व्यवस्था भी होनी चाहिए. स्कूल में प्राथमिक उपचार के लिए भी संचालक को सभी व्यवस्था सुनिश्चित करना है.
वर्गकक्ष में बच्चों के बैठने के लिए पर्याप्त संसाधन होना अनिवार्य है. यहां प्राथमिक (कक्षा 01 से 05 तक) के लिए न्यूनतम 15 गुणा 20 तथा उच्चतर (कक्षा 06 से 08 तक) के लिए 20 गुणा 25 स्क्वायर फीट का कमरा होना चाहिए. कमरे में रोेशनी और हवा की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए.
20 फीसदी विद्यालय भी नहीं पूरा करते हैं मानक
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीइ) के तहत जिले में कुल 104 निजी विद्यालयों को पंजीकृत किया गया है. लेकिन सूत्र बताते हैं कि इन विद्यालयों की भी विभागीय स्तर पर कोई जांच नहीं की गयी. जिला शिक्षा विभाग ने स्कूलों का स्थलीय जांच करना भी मुनासिब नहीं समझा. केवल आवेदन फॉर्म के आधार पर ही विद्यालयों को पंजीयन संख्या निर्गत कर दिया गया. नतीजा है कि पंजीकृत विद्यालयों में 20 फीसदी भी अधिनियम के प्रावधानों को पूरा नहीं करते हैं.
जबकि बिना पंजीयन के जिन विद्यालयों का संचालन हो रहा है, उनमें अधिकतर के संचालक को आरटीई के प्रावधानों की जानकारी तक नहीं है. इसमें सबसे मूल सुविधा विद्यालय भवन और शिक्षकों की है. अधिनियम के अनुसार संचालक को यह सुनिश्चित करना है कि जितने वर्गकक्ष का संचालन हो,
उस अनुपात में विद्यालय के पास कमरे व शिक्षक उपलब्ध हों. शहरी इलाके में छात्र-शिक्षक अनुपात 40:01 व ग्रामीण क्षेत्रों में 60:01 से अधिक न हो. मूलभूत संरचनाओं के अलावा विद्यालय परिसर में खेल मैदान की अनिवार्यता है. वही विद्यालय ऐसे स्थान पर होना अनिवार्य है, जहां आवागमन की बेहतर सुविधा उपलब्ध हो या आवागमन में किसी प्रकार का अवरोध उत्पन्न न हो.
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