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जमीन अधिग्रहण की राह में अतिक्रमण का रोड़ा

पूर्णिया : शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए जिला प्रशासन भले ही एनएच 107 और एनएच 131 (ए) के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए तैयारी तेज कर दी है. लेकिन प्रशासन के लिए अधिग्रहण की राह में अतिक्रमण बड़ा रोड़ा साबित हो सकता है. विशेष तौर पर एनएच 107 के लिए जमीन अधिग्रहण […]

पूर्णिया : शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए जिला प्रशासन भले ही एनएच 107 और एनएच 131 (ए) के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए तैयारी तेज कर दी है. लेकिन प्रशासन के लिए अधिग्रहण की राह में अतिक्रमण बड़ा रोड़ा साबित हो सकता है. विशेष तौर पर एनएच 107 के लिए जमीन अधिग्रहण प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर साबित होगी. इसकी मूल वजह यह है कि शहर के बाहरी हिस्से से मरंगा तक एनएच 107 को जिस नहर के रास्ते विस्तार दिया जाना है,

उस पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है. इसमें सबसे अधिक संख्या महादलित परिवारों की है, जो भूमिहीन भी हैं. वही इसी की आड़ में दर्जनों अन्य लोगों ने भी पक्के की मकान नहर की जमीन पर ही बना डाली है.

नहर की जमीन पर हैं बने पक्का मकान : एक ओर जहां नहर की जमीन पर भूमिहीन महादलितों का कब्जा है. वही सामान्य लोगों की तादाद भी कम नहीं है. बताया जा रहा है कि नहर की जमीन पर करीब दो दर्जन से अधिक सामान्य लोगों का भी कब्जा है. यहां तक कि लोगों द्वारा नहर की जमीन पर पक्के की मकान भी बना ली गयी है. इसमें से कुछ लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर मकान बना लिया है, तो कुछ ऐसे भी लोग हैं जो ठगी का शिकार हुए हैं. नहर की जमीन के फर्जी कागजात तैयार कर लोगों को यह जमीन बेची गयी है. ऐसे में इन लोगों के समक्ष भी विकट समस्या उत्पन्न होने वाली है.
हालांकि प्रशासन की मुसीबत यह है कि जब तक महादलितों से जमीन खाली नहीं करायी जाती है, ये लोग भी जमीन खाली करने को तैयार नहीं होंगे. लिहाजा संभव है कि अधिग्रहण के पूर्व प्रशासन व अतिक्रमणकारियों में टकराहट भी उत्पन्न हो. बहरहाल अधिग्रहण के लिए प्रशासन द्वारा आरंभ की गयी प्रक्रिया के बाद अतिक्रमणकारियों में भी भय का माहौल व्याप्त है.
मधुबनी-मरंगा नहर दो दशक से सूखी नहर पर महादलितों ने जमाया कब्जा
मधुबनी से मरंगा के बीच मधुबनी नहर करीब दो दशक से सूखी हुई है और इसकी सफाई भी लंबे समय से नहीं करायी गयी है. नतीजा है कि धीरे-धीरे पूरी नहर पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है. नहर के पूर्वी और पश्चिमी तटबंध के अलावा बीच नहर में भी लोगों ने अपना मकान बना लिया है. इसमें अकेले महादलित परिवारों की संख्या 150 से अधिक है. जानकार बताते हैं कि नहर के तटबंधों पर बसे महादलित परिवार भूमिहीन हैं. ऐसे में नहर को अतिक्रमण मुक्त कराना भी प्रशासन के लिए आसान नहीं होगा. हालांकि राहत की बात यह है कि अधिग्रहण के लिए फिलहाल केवल 3-डी राज्य गजट का प्रकाशन हुआ है. जबकि 3-जी गजट प्रकाशन साल के अंत तक होने की संभावना है. जिसके बाद अधिग्रहण की प्रक्रिया आरंभ होगी. ऐसे में प्रशासन को सभी संभावनाओं पर राय बनाने के लिए पर्याप्त समय उपलब्ध है.
3-जी गजट प्रकाशन के बाद होगा अिधग्रहण
3-जी गजट प्रकाशन के बाद जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया आरंभ की जायेगी. अतिक्रमणकारियों से जमीन को खाली कराया जायेगा. वही रैयत से अधिग्रहण पर उन्हें एमवीआर के अनुसार राशि का भुगतान किया जायेगा. साल के अंत तक अधिग्रहण आरंभ होने की संभावना है.
अर्जुन प्रताप चंद्रा, जिला भू-अर्जन पदाधिकारी, पूर्णिया

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