पूर्णिया : श्रीनगर हाता स्थित राजा कीर्त्यानंद सिंह मेमोरियल हॉल में रविवार का पूरा दिन शास्त्रीय संगीत को समर्पित रहा. मौक़ा था, बनैली के संगीत भास्कर राजकुमार श्यामानंद सिंह की शताब्दी जयंती का. श्यामानंद सारंग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में स्थानीय संगीत साधकों ने अपनी प्रस्तुतियां देकर समां बांध दिया. दिवस और संध्या के दो […]
पूर्णिया : श्रीनगर हाता स्थित राजा कीर्त्यानंद सिंह मेमोरियल हॉल में रविवार का पूरा दिन शास्त्रीय संगीत को समर्पित रहा. मौक़ा था, बनैली के संगीत भास्कर राजकुमार श्यामानंद सिंह की शताब्दी जयंती का. श्यामानंद सारंग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में स्थानीय संगीत साधकों ने अपनी प्रस्तुतियां देकर समां बांध दिया.
दिवस और संध्या के दो सत्रों में बंटे कार्यक्रम की शुरुआत स्व संगीतज्ञ के तस्वीर पर माल्यार्पण से हुई. इसके उपरांत राजकुमार की गायी दुर्लभ बंदिशों की सीडी का लोकार्पण किया गया. स्व राजकुमार की फोटो प्रदर्शनी का अनावरण किया गया, जिसमें उनकी 10 वर्ष की उम्र से लेकर शेष जीवन के विभिन्न अवसरों को प्रदर्शित किया गया था. इस अवसर स्व राजकुमार के पारिवारिक सदस्य, उनके शिष्य, उस परंपरा के अन्य संगीत साधक, शहर के संगीत रसिक और बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे.
गीत-संगीत और लहरियों से झुमते रहे श्रोता. महज 16 वर्षीय अंकुर विप्लव ने कार्यक्रम के शुरुआत में ही अपनी सधी गायकी से श्रोताओं को झूमने पर मज़बूर कर दिया. अंकुर ने राग भैरव में ख्याल गाकर वहां मौज़ूद संगीत के सभी दिग्गजों का मन लुभा लिया. ज्ञात हो कि आगरा घराने के स्वनामधन्य उस्ताद वसीम अहमद खान का अंकुर शागिर्द है, जिनसे उसने आगरा की वैशिष्ट्यता पायी है. नोम तोम के आलाप से शुरू हुई सुबह के सत्र की पहली प्रस्तुति के बाद मुकेश कुमार झा के द्वारा तबले का सोलो बजाया गया. इसके बाद अंतर्मुखी प्रतिभा के धनी स्वरुप दास का गिटार वादन था.
स्वरुप दा के नाम से मशहूर श्री दास के साथ तबले पर सत्यप्रिय दत्ता ने संगत की. स्वरूप दा ने गिटार जैसे क्लिष्ट वाद्य यंत्र पर हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में राग देस में मसीदखानी गत, रजाखानी गत और झाला की प्रस्तुति दी. बाद में राग पीलू में धुन बजा कर उन्होंने उपस्थित दर्शकों का मन मोह लिया. इसके बाद श्री उदय नारायण राय उर्फ़ बाला जी ने जौनपुरी और भैरवी में ख्याल की प्रस्तुति दी. पहले सत्र का समापन इलाके के सुप्रसिद्ध एवं वयोवृद्ध गायक पंडित कौशल किशोर दूबे ने राग धानी, जौनपुरी इत्यादि की प्रस्तुति के साथ हुआ.
वही संध्या बेला में आयोजित दूसरे सत्र में पंडित शंभू मिश्र ने शास्त्रीय बांसुरी वादन कर दर्शकों का मनोरंजन किया. तत्पश्चात प्रॉफेसर गजेंद्र नारायण यादव की स्वर लहरियों ने संध्या को सुरमय कर छटाएं बिखेरीं. इसके बाद इलाके के नामी तबला वादक वीरेंद्र घोष के तालों से भवन गुंजायमान रहा. संध्या के सत्र का समापन भी शहर के वयोवृद्ध गायक पंडित कौशल किशोर दूबे के गायन से हुआ.
संगीतज्ञ को संगीत से दी गयी श्रद्धांजलि. श्यामानंद सारंग के तत्वावधान में आयोजित यह कार्यक्रम पूरी तरह गीत-संगीत के नाम रहा. मौके पर राजकुमार स्व सिंह के के शिष्यों ने कहा कि स्व राजकुमार ताउम्र संगीत सेवा में लगे रहे. कलकत्ता के उस्ताद भीष्मदेव चटर्जी ने उन्हें अपना शिष्य बनाया और बारीकियों का ज्ञान दिया. कुमार साहब की जयंती पर उनके शिष्यों का यह प्रयास रहता है कि गीत संगीत के माध्यम से ही उन्हें याद किया जाये. क्योंकि एक संगीतज्ञ के प्रति संगीत ही सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है. मौके पर काफी संख्या में राजकुमार के शिष्य व प्रबुद्धजन मौजूद थे.