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एमएनडी की बहाली में अनुभव व पात्रता की उपेक्षा

पूर्णिया : जिले के पीएचसी में एमएनडी बहाली में बरती गयी मनमानी अब परत-दर-परत खुलती नजर आ रही है. इतना तो तय है कि बहाली के लिए गठित कमेटी ने जाने-अनजाने दिशा-निर्देश का उल्लंघन किया है और उसकी मनमानी व्याख्या की है. इस बहाली में अनुभव और पात्रता की उपेक्षा हुई है, यह बात भी […]

पूर्णिया : जिले के पीएचसी में एमएनडी बहाली में बरती गयी मनमानी अब परत-दर-परत खुलती नजर आ रही है. इतना तो तय है कि बहाली के लिए गठित कमेटी ने जाने-अनजाने दिशा-निर्देश का उल्लंघन किया है और उसकी मनमानी व्याख्या की है. इस बहाली में अनुभव और पात्रता की उपेक्षा हुई है,

यह बात भी सामने आ रही है. हालांकि कमेटी से जुड़े लोग यह दलील देते हैं कि पूरी बहाली की प्रक्रिया नियमानुकूल है. लेकिन कई सवाल ऐसे हैं, जिनका जवाब दिखायी नहीं दे रहा है और यही बात पूरी प्रक्रिया को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा करती है.

अनुभवहीनों को मिली प्राथमिकता : अभ्यर्थियों का दावा है कि चयनित सूची में ग्यारह ऐसे अभ्यर्थी हैं, जिसके पास एचएमआइएस/एमसीटीएस पर कार्य करने का अनुभव नहीं है.अभ्यर्थियों का दावा है कि एक अभ्यर्थी 01सितंबर 2013तक स्नातक नहीं था.फिर उसे किस आधार पर चयन किया गया.आरोप है कि चयनित अभ्यर्थियों में से तीन अभ्यर्थियों को छोड़ कर शेष किसी भी अभ्यथियों के पास किसी प्रकार का अनुभव नहीं है.ऐसे में पूरी चयन प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में है.
बताया जाता है कि इस पद के लिए किसी भी संकाय से स्नातन की डिग्री, 30 से 40 शब्द प्रति मिनट टंकण ज्ञान, छह माह का कंप्यूटर एप्लीकेशन में डीओइएसीसी,एचएमआइएस,एमसीटीएस और अन्य एमएंडइ की जानकारी समेत कई अनुभव आवश्यक है. जानकार बताते हैं कि इन योग्यताओं को चयनित में से अधिकांश पूरा नहीं करते हैं. हैरान करने वाली बात यह है कि चार-पांच वर्षों से कार्यरत डाटा ऑपरेटर को टाइपिंग में सबसे कम अंक दिया गया है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर अगर वे इतने अयोग्य थे तो फिर इतने वर्षों तक उनसे काम कैसे लिया गया.
बहाली की प्रक्रिया पर उठ रहे सवाल
स्वास्थ्य विभाग की ओर से एमएनडी चयन प्रक्रिया पर सवाल उठना तेज हो गया है. विभाग की ओर से बनाये गये मेधा सूची के क्रमांक 31के अभ्यर्थी के विषय में स्पष्ट लिखा गया है कि शपथ पत्र उपलब्ध नहीं है.वहीं क्रमांक संख्या 44 में लिखा गया है कि शैक्षणिक योग्यता उपलब्ध नहीं है.क्रमांक 50 के अभ्यर्थी के पास भी किसी प्रकार का तकनीकी अनुभव नहीं होने की बात बतायी जा रही है. क्रमांक 57 के अभ्यर्थी ने वर्ष 2015 में स्नातक किया है.
जबकि नियुक्ति संबंधी विज्ञापन वर्ष 2013 में प्रकाशित हुआ था. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर कैसे नियमों को धता बता कर नियुक्ति की गयी है. एक बड़ा सवाल यह भी है पहली बार उम्मीदवारों की सूची एनआइसी के वेबसाइट पर लोड तो की गयी, लेकिन दूसरी बार सूची को सार्वजनिक नहीं किया गया.
सवाल यह भी है कि वर्ष 2016 में किसकी अनुमति से दुबारा विज्ञापन प्रकाशित किया गया और अगर प्रकाशित भी किया गया तो दोनों सूची मिला कर मेधा सूची क्यों नहीं बनायी गयी. इसके अलावा जिस अभ्यर्थी को पहले डाटा ऑपरेटर के पद पर बहाल किया जाता, फिर उसके बाद उसी को आउटसोर्स का कार्यभार भी सौंपा जाता है.
एमएनडी के चयन में बरती गयी है पूरी पारदर्शिता
जिन डाटा ऑपरेटर ने बेहतर कार्य नहीं किया था और उनसे स्पष्टीकरण पूछा गया था, वही अब सूची से बाहर हैं. इस प्रकार के लोगों की ओर से ही अनावश्यक आरोप लगाये जा रहे हैं. चयन में पूरी पारदर्शिता बरती गयी है.
ब्रजेश कुमार सिंह,डीपीएम,जिला स्वास्थ्य समिति,पूर्णिया

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