15 तक प्रवेश करेगा माॅनसून, मिलेगी गरमी से राहत
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15 तक प्रवेश करेगा माॅनसून, मिलेगी गरमी से राहत
15 तक प्रवेश करेगा माॅनसून, मिलेगी गरमी से राहत पूर्णिया : जिले में बीते एक सप्ताह से उमस भरी गरमी का असर देखा जा रहा है. इस बीत शहर का अधिकतम तापमान 34 से 37 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जा रहा है. वही न्यूनतम तापमान भी 21 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच रह रहा […]
पूर्णिया : जिले में बीते एक सप्ताह से उमस भरी गरमी का असर देखा जा रहा है. इस बीत शहर का अधिकतम तापमान 34 से 37 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जा रहा है. वही न्यूनतम तापमान भी 21 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच रह रहा है. जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. मौसम विशेषज्ञ व विभाग के अनुसार अगले एक सप्ताह से अधिक समय तक मौसम का यही तेवर बरकरार रहेगा.
मौसम वैज्ञानिक डाॅ देवन चौधरी ने बताया कि फिलहाल इलाके में माॅनसून पूर्व हवा का दबाव बना हुआ है. उन्होंने बताया कि अगले कुछ दिनों में आंधी-बारिश की भी संभावना है. हालांकि मानसून का प्रवेश 15 जून तक होगा. उन्होंने बताया कि इस बार माॅनसून के बेहतर लक्षण प्रतीत हो रहे हैं और बारिश की स्थिति भी गत वर्ष से बेहतर रहने के आसार हैं. श्री चौधरी ने बताया कि मानसून आने के बाद लोगों को गरमी से राहत मिलने की उम्मीद है. हालांकि बीच में भी आंधी-बारिश की उम्मीद है, जिससे तापमान में गिरावट दर्ज की जायेगी.
फर्जी पैथोलॉजी में ठगे जा रहे मरीज
मनमानी. मरीज को अलग कमरे में बिठातेे हैं बिचौलिये
केस स्टडी-1
कटिहार जिले के कोढ़ा प्रखंड के बहरयार गांव निवासी लीला देवी डाक बंगला चौक स्थित एक डॉक्टर को दिखाने गुरुवार को आयी. वह जांच कराने पैथोलॉजी जा रही थी.पोस्टमार्टम रोड स्थित एक डॉक्टर के कंपाउंडर से पैथोलॉजी का पता पूछा. कंपाउंडर ने उसके हाथ से परचा छीन कर एक कमरे में ले गया. जांच के नाम पर सात सौ रुपये के साथ सैंपल लिया. जब मरीज को पता चला कि वह जिस पैथोलॉजी में जाना चाहती थी, यह वह नहीं है तो इस बात पर काफी हंगामा हुआ.
केस स्टडी-2
डगरुआ प्रखंड के बेलगच्छी गांव से सावेरा खातुन गुरुवार को एक तथाकथित पैथोलॉजी संचालक बहला-फुसला कर शिव मंदिर रोड स्थित एक लॉज में ले गया. जहां उससे सैंपल लेने के बाद जांच शुल्क ग्यारह सौ रुपये लिये गये.महज आधा घंटा में ही तमाम रिपोर्ट दे दी गयी. इस बात का राज तब खुला जब उसकी ग्यारह वर्षीया पुत्री ने अपनी मां को बताया कि संचालक सैंपल लेकर नाले में फेंक दिया.
पूर्णिया : लाइन बाजार में पैथोलॉजी माफियाओं के हौसले बुलंद हैं. अब इन माफियाओं के बिचौलिये मरीजों के हाथ से भी डॉक्टर का परचा छीनने में परहेज नहीं कर रहे हैं. ऐसे बिचौलिये द्वारा मरीजों को ऐसे फर्जी पैथोलॉजी में ले जाया जाता है, जहां जांच के नाम पर मनमाना शुल्क वसूला जाता है. पहले केवल बस स्टैंड में इस तरह के दृश्य देखने को मिलते थे, जब बस के बिचौलिये जबरन यात्रियों को अपने बस में ले जाकर बैठा देते थे.
लेकिन इस परिपाटी की शुरुआत अब लाइन बाजार में मरीजों के साथ भी होने लगी है. लाइन बाजार में रोजाना लीला एवं सावेरा जैसे सैकड़ो मरीज इन फर्जी पैथोलॉजिस्टों के शिकार हो रहे हैं. फर्जी एवं मानक विहीन पैथोलॉजी के मामले में विभाग सुस्त तो हैं ही. प्रशासन भी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है.
लिहाजा उम्मीद के विपरीत यहां आने वाले मरीज लूट कर वापस लौटते हैं.
फर्जी पैथोलॉजी की आयी है बाढ़: लाइन बाजार के चप्पे -चप्पे में मानक विहीन व अवैध पैथोलॉजी की बाढ़ आयी हुई है. इन दिनों लाइन बाजार में लगभग डेढ़ सौ से भी अधिक ऐसे पैथोलॉजी हैं, जिनके बिचौलिये डॉक्टरों के क्लिनिक के आगे खड़े रहते हैं. डॉक्टर के क्लिनिक से मरीज के बाहर निकलते ही बिचौलिये उसके साथ-साथ चलने लगते हैं. मौका पाकर उक्त बिचौलिये मरीजों को अपने बातों में फंसा कर अपने वाले पैथोलॉजी ले कर जाते हैं.
मरीजों द्वारा बात नहीं माने जाने पर ऐसे बिचौलिये जोर-जबरदस्ती पर भी उतर आते हैं. अधिकांश मामले में मरीज बाहर से आये हुए होते हैं, लिहाजा खामोश रहना ही बेहतर समझते हैं. जानकार बताते हैं कि जब मरीज उक्त फर्जी पैथोलॉजी से जांच रिपोर्ट डॉक्टर को दिखाते हैं तो डॉक्टर उस रिपोर्ट को नकार कर फिर से जांच कराने को कहता है. जिससे गरीब मरीजों को दोहरी मार झेलनी पड़ती है.
होता है खून का कारोबार
लाइन बाजार में अधिक से अधिक पैथोलॉजी के आबाद होने के पीछे खून का काला कारोबार माना जा रहा है. लाइन बाजार में अधिकांश मरीज गांव-देहात से आते हैं. जानकार बताते हैं कि गांवों के भोले-भाले मरीज जो खून की तलाश में शहर पहुंचते हैं, यहां रक्त के बहाने भी उनका शोषण होता है.
इसके अलावा पेशेवर रक्तदाताओं की यह शरण स्थली मानी जाती है. विडंबना यह है कि यहां रक्त के मामले में किसी भी प्रकार की औपचारिकता नहीं पूरी की जाती है. जबकि यहां से रक्त की आपूर्ति बड़े-बड़े नर्सिंग होम और अस्पतालों में की जाती है. इस प्रकार अवैध एवं मानक विहीन पैथोलॉजी संचालक दोहरी कमाई ले रहे हैं. शायद यही कारण है कि लाइन बाजार में अन्य किसी कारोबार से पैथोलॉजी का कारोबार कामधेनु साबित हो रहा है.
अब निबंधन की हो रही तैयारी
इन दिनों क्लिनिकल स्थापन एक्ट के तहत निबंधन की प्रक्रिया चल रही है. निबंधन में असली पैथोलॉजी तो कम दिलचस्पी ले रहे हैं, किंतु नकली एवं मानक विहीन पैथोलॉजी के आवेदनों की ढेर लग गया हैं. तमाम मानक विहीन एवं अवैध पैथोलॉजी जोड़-तोड़ कर के अपने धंधे को एक नंबर बनाने की जुगत में लगे हैं. निबंधन कराने वाले ऐसे संस्थानों की संख्या तीन दर्जन के आस पास बतायी जा रही है.विभाग भी आंख बंद कर के तमाम ऐसे पैथोलॉजी सेंटरों को वैध करार दे रही है.
निबंधन में तमाम बारीकियों को देखकर ही निबंधन किया जा रहा है. जहां तक मानक विहीन एवं अवैध पैथोलॉजी की बात है. विभाग शीघ्र ही प्रशासन से विचार कर कार्रवाई करने की सोच रहा है.
डॉ एम एम वसीम, सिविल सर्जन,पूर्णिया
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