तीन दिनों से सूरज के नहीं हुए हैं दर्शन
अब तक नहीं जला प्रशासन का अलाव
सहरसा: हड्डी को छेद करने वाली सर्द हवाओं से सिर्फ आग ही बचा पा रही है. पारा लगातार लुढ़कता ही जा रहा है. मंगलवार को यह लुढ़क कर सात तक पहुंच गया था. बुधवार को भी कमोबेश यही आलम रहा. तीन दिनों से सूरज के दर्शन नहीं हुए हैं. चल रही शीतलहर के मुकाबले स्वेटर, टोपी, मफलर, जैकेट, विंड-चीटर सब बेकार साबित हो रहे हैं. कनकनी से बचने के लिए लोग शरीर पर आवश्यकता से अधिक कपड़े तो लाद ले रहे हैं, लेकिन उन्हें निजात सिर्फ अलाव ही दे रहा है. आग की तपन ठंड से ऐंठे शरीर को सीधा कर रही है तो उसकी गरमी से ही हाथ भी किसी काम को कर पाने में सक्षम हो पा रहा है. लिहाजा सुबह होने के साथ ही सभी घरों में अलाव जलनी शुरू होती है, जो लगातार दिन भर और रात में सोने से पहले तक जलता रहता है. जिन गरीबों के घर लकड़ियां नहीं होती वे या तो देर तक रजाई के अंदर ही दुबके रहते या फिर चौक -चौराहों पर जलने वाले अलाव का सहारा लेने निकल पड़ते हैं.
बूढ़ी हड्डी भी हो गयी परेशान
बच्चों की तरह बूढ़ों को भी इस कनकनाती ठंड में परेशानी होती है. उनके सुबह का सैर बंद हो गया है. रोजाना स्नान व पूजा-पाठ करने वालों की दिनचर्या भी बिगड़ने लगी हैं. पुरानी बीमारी भी इस ठंड में लौट कर आ रही है. खासकर दर्द की शिकायत ने तो उनकी समस्या कई गुनी बढ़ा दी है.
नहीं जल रहा प्रशासन का अलाव
ठंडी हवा हड्डी को गला रही है. अलाव ही एकमात्र सहारा बना हुआ है. फिर भी शहरी अथवा ग्रामीण इलाकों में कहीं भी प्रशासन का अलाव नहीं जल रहा है. शुरुआती ठंड में कहीं-कहीं लकड़ियां गिरायी भी गयी थी, लेकिन इस शीतलहर में प्रशासन के अलाव का धुआं तक उठता नहीं दिख रहा है. शहर के रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, रैन बसेरा, थाना चौक, शंकर चौक, महावीर चौक, चांदनी चौक, कचहरी चौक, प्रशांत मोड़ पर अलाव के लकड़ियों की सख्त आवश्यकता महसूस की जा रही है. यदि प्रशासन शीघ्र इस दिशा में कदम नहीं उठाता है तो दर्जनों गरीब व लाचार शीतलहर के शिकार होंगे और प्रशासन की मुसीबतें बढ़ जायेंगी.
दाताओं को आना होगा आगे
दान पुण्य करने वाले जिले भर के दाताओं को आगे आकर अपना धर्म निभाना होगा. गरीब जरूरत मंदों के बीच गर्म कपड़े सहित अन्य सामानों के वितरण का यही समय है. जिला प्रशासन ने तो पहले ही हाथ खड़ा कर दिया है. एक योजना के तहत सभी 153 पंचायतों व 40 वार्डो में एक – एक महादलितों को कंबल दिया जायेगा. रेडक्रॉस सोसाइटी ने भी मंगलवार को सौ से ज्यादा लोगों के बीच कंबल का वितरण किया, लेकिन वह जरूरतमंदों की संख्या के मुकाबले नाकाफी रहा. फिर भी कम से कम रेडक्रॉस ने अपना दायित्व निभाया. वहीं सोनवर्षा प्रखंड के गोदाम में वितरण के लिए रखे कपड़ों को चूहों का निवाला बना दिया गया, लेकिन किसी भी गरीब व लाचार लोगों के बीच बांटा जाना उचित नहीं समझा गया. ऐसे में प्रशासन व सरकार के निर्णयों का इंतजार करना मुनासिब नहीं होगा. दाताओं को समय रहते ठंड से बचाव के लिए लकड़ी सहित अन्य आवश्यक सामग्रियों के वितरण के लिए आगे आना होगा.