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ट्रैक्टर दुर्घटना. बायसी काठ पुल के समीप हो गया था ट्रैक्टर का तेल खत्म, ट्रक ने मारा था धक्का

गांव मंे सन्नाटा, परिजनों में कोहराम घटना में तीन लोगों की हुई मौत, 11 हुए घायल पूर्णिया : सदर प्रखंड के दक्षिणी पूर्वी कोने पर स्थित सिकंदरपुर पंचायत के फरसिया मदारपुर आदिवासी टोला में बुधवार को ट्रैक्टर दुर्घटना में मृतकों के घर कोहराम मचा रहा तो पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसरा रहा. दोपहर जब […]

गांव मंे सन्नाटा, परिजनों में कोहराम

घटना में तीन लोगों की हुई मौत, 11 हुए घायल
पूर्णिया : सदर प्रखंड के दक्षिणी पूर्वी कोने पर स्थित सिकंदरपुर पंचायत के फरसिया मदारपुर आदिवासी टोला में बुधवार को ट्रैक्टर दुर्घटना में मृतकों के घर कोहराम मचा रहा तो पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसरा रहा. दोपहर जब गांव में बिट्टू हेंब्रम, तल्लू सोरेन और हंजू मरांडी की लाश पहुंची तो मृतक के परिजनों के चीत्कार से पूरा माहौल गमगीन हो गया. दरअसल बुधवार की अहले सुबह बायसी काठ पुल के समीप एक ट्रैक्टर-ट्रक की टक्कर में गांव के तीन लोगों की मौत हो गयी, जबकि एक दर्जन लोग घायल हो गये. बुधवार की शाम मृतकों का अंतिम संस्कार किया गया.
मोरा करम में हिस्सा लेने गये थे लोग : आदिवासी समाज में निधन के बाद श्राद्ध कर्म के साथ-साथ ‘ मोरा करम ‘ की परिपाटी है. इसमें ढोल और ताशे से लैस आदिवासियों का समूह श्राद्ध कर्म के बाद पूजा और नृत्य को अंजाम देते हैं. फरसिया मदारपुर के दो दर्जन लोग अक्सर ‘ मोरा करम ‘ में भाग लेने दूसरे गांव जाया करते हैं. सोमवार को भी एक ट्रैक्टर भाड़े पर लेकर दल के सभी सदस्य जलालगढ़ प्रखंड के तितरिया गांव गये थे. जहां से मंगलवार की देर रात समारोह की समाप्ति के बाद ट्रैक्टर से अपने गांव लौट रहे थे और यह हादसा हुआ.
हंजू सोरेन का टूट गया बुढ़ापे की लाठी : तल्लू सोरेन(35 वर्ष) की मौत के बाद पिता हंजू सोरेन ईश्वर के दिये इस आघात से स्तब्ध है. तल्लू अपने पीछे पत्नी के अलावा 03 बेटियां संगीता(12 वर्ष), प्रियंका(11 वर्ष) और शांति(07 वर्ष) छोड़ गया है. तल्लू की कमाई से ही बूढ़े माता-पिता का भी गुजर-बसर होता था. ऐसे में समस्या यह है कि पूरे परिवार की परवरिश कैसे होगी और कौन अब बुढ़ापे की लाठी बनेगा. लाश के पास बैठी पत्नी तलामय मुर्मू कभी शव से तो कभी बेटियों से लिपट-लिपट कर बेजार रोये जा रही थी.
कबीर अंत्येष्टि योजना से भी वंचित रहे मृतक : सरकारी योजनाएं आज भी धरातल से कितनी दूर है,
यह फरसिया मदारपुर आदिवासी टोला में भी प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिला. गरीब परिवारों के लिए अंतिम संस्कार के लिए कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत 1500 रूपये और पारिवारिक लाभ योजना के तहत 20 हजार रूपये देने का प्रावधान है. इसमें कबीर अंत्येष्टि योजना का लाभ तत्काल उपलब्ध कराया जाता है. लेकिन यह लाभ भी मृतकों को नसीब नहीं हो सका. जानकारी अनुसार पंचायत में इस योजना मद में विगत तीन माह से कोई राशि उपलब्ध नहीं है. ऐसे में सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल बाकी एवं अन्य लोगों के सहयोग से मृतकों के परिजनों को आर्थिक मदद दी गयी. इसके बाद शाम करीब 04 बजे मृतकों का जनाजा श्मशान के लिए कूच किया.

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