पूर्णिया कोर्ट : तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश मो अजाजउद्दीन ने गुरुवार को दुष्कर्म के आरोपी विपिन राय को दोषी करार दिया तथा उन्हें अभिरक्षा में लेकर केंद्रीय कारागार भेज दिया गया. मामला विधायक राजकिशोर केसरी के हत्यारोपी के साथ हुए दुष्कर्म से संबंधित है. मामला छह वर्ष पुराना है. एक निजी स्कूल की संचालिका रूपम […]
पूर्णिया कोर्ट : तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश मो अजाजउद्दीन ने गुरुवार को दुष्कर्म के आरोपी विपिन राय को दोषी करार दिया तथा उन्हें अभिरक्षा में लेकर केंद्रीय कारागार भेज दिया गया. मामला विधायक राजकिशोर केसरी के हत्यारोपी के साथ हुए दुष्कर्म से संबंधित है. मामला छह वर्ष पुराना है.
एक निजी स्कूल की संचालिका रूपम पाठक ने केहाट थाना में 28 मई 2010 को विधायक राजकिशोर केसरी तथा उसके सहायक विपिन राय पर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए कांड संख्या 182/2010 दर्ज कराया था. हालांकि पुलिस ने 31 अगस्त 2010 को मामले को असत्य करार दिया. पुन: इस मामले में रूपम पाठक ने न्यायालय में अधिवक्ता के द्वारा विरोध पत्र 16 सितंबर 2010 को दायर किया.
रूपम पाठक दुष्कर्म…
इसकी सुनवाई 25 मार्च 2011 को होनी तय हुई थी.
04 जनवरी 2011 को हुई थी विधायक राजकिशोर की हत्या
04 जनवरी 2011 की सुबह रूपम पाठक ने चाकू घोंप कर राजकिशोर केसरी की हत्या उनके आवास पर कर दी. हत्या का मामला केहाट थाना कांड संख्या 04/11 दर्ज हुआ. इसमें रूपम पाठक को विचारण के बाद अंतत: आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी थी. इसमें वे आज भी केंद्रीय कारा भागलपुर में सजा काट रही हैं.
बलात्कार के मुकदमे में विरोध पत्र पर गवाही में पीड़िता की मां कुमुद मिश्रा, मौसी सुषमा झा, भाभी शिशु मिश्रा तथा स्वयं अभियोगिनी का बयान कलमबद्ध किया गया. मामले में रोचक मोड़ 12 अगस्त 2011 को आया, जब मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा मामले में विपिन राय के विरुद्ध दुष्कर्म की धारा में संज्ञान लिया गया. मुख्य अभियुक्त की हत्या हो गयी थी, इसलिए श्री राय एकमात्र आरोपी बने. मामले में अंतत: विपिन राय को जेल भी जाना पड़ा था तथा करीब 15 माह जेल में रह कर उच्च न्यायालय पटना से उनको जमानत मिली थी.
10 मार्च को सुनायी जायेगी सजा
मामले में सत्रवाद संख्या 446/12 के तहत विचारण प्रारंभ किया गया था. मामले में आरोप का गठन 07 अप्रैल 2014 को किया गया. मामला तदर्थ अपर सत्र न्यायालय तृतीय में भी चला था. मामला पुन: द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश के यहां चला, जहां अभियोगिनी सहित मात्र तीन गवाह की गवाही हुई.
एक गवाह सुषमा झा की मृत्यु हो गयी थी. 03 दिसंबर 2015 को गवाह को बंद कर दिया गया. जबकि बचाव पक्ष की ओर से एक गवाह अशोक कुमार मंडल को गुजारा गया था. सारे तथ्यों में अभियोजन की ओर से लोक अभियोजक के अलावा वरीय अधिवक्ता अवधेश कुमार तिवारी तथा पूर्णेंदु पाठक ने बहस में हिस्सा लिया. जबकि बचाव पक्ष की ओर से वरीय अधिवक्ता जर्नादन प्रसाद तथा भागलपुर के अधिवक्ता राजेश तिवारी ने बहस में भाग लिया.
सारी गवाहों तथा जिरह व अन्य तथ्यों पर गौर करते हुए तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश मो अजाजउद्दीन ने अभियुक्त विपिन राय को दुष्कर्म का दोषी पाया तथा उन्हें अभिरक्षा में लाने का आदेश दिया तथा सजा के बिंदू पर 10 मार्च 2016 को सजा सुनायी जायेगी. बचाव पक्ष ने आदेश के विरुद्ध हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही है.