पूर्णिया : दिलवर हत्याकांड में पुलिस की खामोशी परिजनों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. छह माह बीत जाने के बाद भी हत्याकांड के उदभेदन में सहायक खजांची पुलिस सिफर रही है.
दिलवर की हत्या से पूर्व व बाद भी कई ऐसी हत्या की घटना घट चुकी है. कुछ मामले में पुलिस को हत्यारों तक पहुंचने के लिए सुराग ही नहीं मिल पा रहा था, लेकिन अनुसंधानकर्ताओं ने अपनी कौशल बुद्धि का परिचय देते हुए हत्या का न केवल उद्भेदन किया, बल्कि हत्यारों को भी सलाखों के पीछे लाकर खड़ा किया. गीता देवी व रविशेखर उर्फ बौआ झा हत्याकांड का उदभेदन पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई थी, जिसमें पुलिस को पूर्ण रूप से सफलता मिली. सहायक खजांची थाना क्षेत्र के सज्जाद नगर में इंटरमीडिएट छात्र मो दिलवर की निर्मम हत्या के छह माह से अधिक बीत चुके हैं और हत्या किस वजह से हुई और हत्यारे कौन थे, इस बात का पता लगाना पुलिस ने मुनासिब नहीं समझा है. बीते छह महीनों में दिलवर के दो भाई मो दाउद और मो मुजाहिद पुलिस की चौखट पर गुहार लगाते-लगाते थक चुके हैं.
अब नाउम्मीद हो चुके हाजी मुजाहिद ने फिर एक बार एसपी निशांत कुमार तिवारी के पास गुहार लगायी है.
कहां अटक गया पुलिस का वैज्ञानिक अनुसंधान : इंटर के छात्र दिलवर आलम की हत्या के लगभग छह माह से अधिक गुजर गये. घटना के बाद पुलिसिया अनुसंधान तेज हुआ, परंतु समय के अंतराल में इस हत्याकांड को पुलिस ने ठंडे बस्ते में डाल दिया. पुलिस शुरू के दिनों में दावा करती रही कि वैज्ञानिक अनुसंधान के जरिये मामले का उद्भेदन कर लिया जायेगा, लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ. आम लोग भी जानना चाहते हैं कि दिलवर के मोबाइल के कॉल डिटेल से पुलिस ने क्या कुछ हासिल किया. परिजन जानना चाहते हैं हत्या का सच : मृतक के परिजनों को अब भी न्याय की आस है और वे लगातार थाना व एसपी कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं.
गुरुवार को मृतक के दोनों बड़े भाई दाउद आलम एवं हाजी मुजाहिद एसपी से एक बार फिर अपने भाई के हत्यारों की गिरफ्तारी का निवेदन किया. दिलवर की हत्या से मर्माहत दोनों भाई यह जानना चाहते हैं कि आखिर किसने उसके भाई की हत्या की, जबकि किसी से उसकी कोई दुश्मनी नहीं थी. दोनों भाई ने कहा कि अगर मामला प्रेम-प्रसंग का है तो उसे उजागर क्यों नहीं किया जा रहा है. दिलवर के कॉल डिटेल भी खंगाले जाने के बावजूद पुलिस अनुसंधान सिफर रहा है.