विद्यालय भवन निर्माण राशि वसूली की राह है बड़ी कठिन – सात सालों में कई विद्यालय प्रधान हुए सेवानिवृत्त, पा चुके हैं सेवांत लाभ- करीब दर्जन भर विद्यालय प्रधानों का हो चुका है देहांत – पेंशन है सेवानिवृत्त कर्मियों का मौलिक अधिकार- राशि वसूली के लिए विभाग को अपनानी होगी लंबी कानूनी प्रक्रिया, जाना पड़ सकता है न्यायालय- राशि समायोजन नहीं होने के कारण विभाग ने लगाया आवंटन पर रोक- विभागीय रोक के कारण निर्दोष शिक्षकों का मानदेय भी बाधितपूर्णिया. सर्वशिक्षा अभियान के तहत बीते सात सालों में विद्यालय भवन निर्माण के लिए निर्गत राशि में से अब तक 52 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का समायोजन नहीं हो सका है. हालांकि जिलाधिकारी पंकज कुमार पाल की सख्ती के बाद जिला शिक्षा विभाग भी सजग हुआ है. जिसके बाद जिले के 197 विद्यालय प्रधानों के विरुद्ध प्राथमिकी का आदेश जारी कर दिया गया है. वही कुछ विद्यालय प्रधानों ने राशि वापस लौटाना भी शुरू कर दिया है. लेकिन जानकारों की मानें तो विभाग के लिए शत प्रतिशत राशि का समायोजन टेढ़ी खीर साबित होगा. क्योंकि राशि वासूली की राह में अब कई अड़चनें आयेंगी. वर्ष 2006-07 से अब तक का है मामलासर्वशिक्षा अभियान के तहत विद्यालय भवन निर्माण में राशि गबन का मामला वित्तीय वर्ष 2006-07 से 2013-14 तक का है. इन सात सालों में विद्यालय भवन निर्माण मद में जिले के सभी विद्यालयों में भवन निर्माण के लिए 03 अरब 11 करोड़ 43 लाख 20 हजार 401 रुपये आवंटित किये गये. लेकिन इन सात सालों में विद्यालय प्रधानों द्वारा 01 अरब 99 करोड़ 87 लाख 95 हजार 46 रुपये का प्रयोग किया गया. वही 80 करोड़ 23 लाख 95 हजार 46 रुपये का समायोजन नहीं किया गया. इस राशि का ना तो विभाग को लेखा-जोखा उपलब्ध कराया गया और ना ही राशि वापस लौटायी गयी. हालांकि 24 दिसंबर को जिलाधिकारी की बैठक तथा इससे पूर्व प्रमंडलीय आयुक्त सुधीर कुमार की बैठक में मामला सामने आने के बाद जिले का शिक्षा महकमा कुछ सख्त हुआ. जिलाधिकारी के निर्देश पर कार्रवाई आरंभ हुई तो कुछ विद्यालय प्रधानों ने राशि वापस करना शुरू कर दिया. विभाग की प्रथम सूची में 284 विद्यालय प्रधानों का नाम था, लेकिन नोटिस के बाद राशि लौटाने के कारण 87 विद्यालय प्रधानों को राहत दे दी गयी. वही नोटिस के बावजूद बेरुखी बरतने के कारण 197 विद्यालय प्रधानों पर प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश जारी कर दिया गया. कई प्रधान हो चुके हैं सेवानिवृत्तवर्ष 2006-07 से अब तक जिले के सभी विद्यालयों में सर्वशिक्षा अभियान के तहत भवन निर्माण की राशि निर्गत की गयी. विभागीय सूत्रों के अनुसार कई विद्यालय प्रधानों ने राशि का उठाव करने के बावजूद भवन निर्माण नहीं कराया और सेवानिवृत्त हो गये. इनमे से अधिकतर विद्यालय प्रधानों को सेवांत लाभ भी प्राप्त हो चुका है और अब वे पेंशन भोगी हैं. ऐसे में संबंधित शिक्षक से राशि की वसूली विभाग के लिए कई पेंचिदगियों भरा होगा. क्योंकि पेंशन को सेवानिवृत्त कर्मियों का मौलिक अधिकार बताया गया है, ऐसे में विभाग को राशि वसूली के लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया अपनानी होगी. हालांकि जिन शिक्षकों को सेवांत लाभ नहीं मिला है, उनसे राशि वसूली अपेक्षाकृत कुछ आसान हो सकती है. लेकिन फिलहाल शिक्षा विभाग इसकी अंतरिम सूची भी तैयार नहीं कर पाया है. ऐसे में यह राह भी मुश्किल होने के पूरे आसार हैं. कुछ प्रधानों का हो चुका है देहांतविभागीय सूत्रों के अनुसार बीते सात वर्षों में करीब 01 दर्जन विद्यालय प्रधानों का सेवा अवधि में देहांत हो चुका है. इनमें से कुछ शिक्षक ऐसे हैं जिन्होंने राशि का उठाव करने के उपरांत निर्माण कार्य आरंभ कराया, लेकिन राशि के अनुरूप कार्य पूर्ण होने के पूर्व ही उनका देहांत हो गया. वही कुछ ऐसे प्रधान थे जिन्होंने कार्य आरंभ तक नहीं कराया था. विभाग के सामने अब बड़ी समस्या यह है कि ऐसे शिक्षकों द्वारा अग्रिम के रूप में उठायी गयी राशि के समायोजन के लिए लंबी कानूनी प्रकिया में जाना होगा. संभव है कि विभाग को न्यायालय की शरण में भी जाना पड़े. हमसे का भूल हुई, जो ये सजा. . . . जिले में सर्वशिक्षा अभियान के तहत नियोजित शिक्षकों के मानदेय का भुगतान लंबित है और कारण है राशि का समायोजन. दरअसल विभाग की ओर से जिला शिक्षा परियोजना कार्यालय को वेतन मद में राशि का आवंटन नहीं किया गया है. विभागीय सूत्रों की मानें तो राशि का आवंटन नहीं होने की मूल वजह पूर्व से विभिन्न योजना मद में आवंटित राशि का लंबे समय से समायोजन नहीं होना है. दरअसल केंद्र सरकार राशि आवंटन के लिए विभाग से योजना राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र मांग रही है. जो पूर्व के अधिकारियों की लापरवाही के कारण अब तक तैयार ही नहीं हुआ. पूर्व में विद्यालय प्रधान सहित अधिकारियों ने उपयोगिता प्रमाणपत्र को लेकर गंभीरता नहीं दिखायी, जिसका नतीजा है कि अब सैकड़ों निर्दोष शिक्षकों का मानदेय भुगतान भी लंबित है. विभाग के कुछ कनीय अधिकारियों का वेतन भी इसी कारणवश रुका हुआ है. साथ ही कई ऐसे शिक्षक विभागीय कार्रवाई की जद में आ रहे हैं, जिनके कार्यकाल के पूर्व ही भवन निर्माण की राशि का उठाव किया गया. मतलब यह कि किसी की गलती की सजा किसी और को भुगतना पड़ रहा है. टिप्पणी -1बकायेदारों के खिलाफ सर्टिफिकेट केस किया जायेगा. हर हाल में राशि की वसूली की जायेगी. मो मंसूर आलम, जिला शिक्षा पदाधिकारी, पूर्णियाटिप्पणी – 2जिला शिक्षा पदाधिकारी से संपर्क कर ऐसे मामलों के समाधान का प्रयास किया जायेगा. निर्दोषों के विरुद्ध किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं होगी. बकायेदारों से राशि वसूली के लिए हर संभव प्रयास किया जायेगा. डा चंद्रप्रकाश झा, क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक, पूर्णिया
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वद्यिालय भवन नर्मिाण राशि वसूली की राह है बड़ी कठिन
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