एसडीएम श्री प्रसाद ने बताया कि डीएम के निर्देश पर नकली दवा कंपनी पर नकेल डालने के उेेद्देश्य से यह कार्रवाई की जा रही है. विभागीय निर्देशानुसार कई प्रतिष्ठानों पर औचक निरीक्षण करना है, किंतु संसाधनों के अभाव में एक साथ छापेमारी नहीं हो पा रही है. छापेमारी में टीम में सिविल सर्जन डॉ एमएम वसीम,सदर डीएसपी राजकुमार साह, औषधि निरीक्षक सुलेंद्र कुमार, विभाग के लेखापाल अवधेश कुमार सिंहा आदि मौजूद थे.
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छापेमारी: दवा सैंपल जब्त, मचा हड़कंप
पूर्णिया: स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के निर्देश पर जिला प्रशासन ने गुरुवार को लाइन बाजार स्थित डोकानिया मेडिकल हॉल में छापेमारी कर दवा के कुछ सैंपल जब्त किया. प्रशासन की इस कार्रवाई से लाइन बाजार के दवा विक्रेताओं में हड़कंप मच गया. छापेमारी के दौरान कई दूकानों का शटर गिरना आरंभ हो गया. लगभग […]
पूर्णिया: स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के निर्देश पर जिला प्रशासन ने गुरुवार को लाइन बाजार स्थित डोकानिया मेडिकल हॉल में छापेमारी कर दवा के कुछ सैंपल जब्त किया. प्रशासन की इस कार्रवाई से लाइन बाजार के दवा विक्रेताओं में हड़कंप मच गया. छापेमारी के दौरान कई दूकानों का शटर गिरना आरंभ हो गया. लगभग एक घंटे तक चली इस छापेमारी में प्रशासन को खाली हाथ लौटना पड़ा. छापेमारी का नेतृत्व सदर एसडीएम रविंद्र नाथ प्रसाद सिंह ने किया.
बड़ा नेटवर्क है धंधे में संलिप्त
लाइन बाजार में लगभग एक सौ से भी अधिक लोग नकली एवं प्रतिबंधित दवा के कारोबार में शामिल है.कई लोग चोरी-छिपे दूकान से धंधे को अंजाम देते हैं और कई नामी गिरामी दवा विक्रेता बदनामी एवं पकड़े जाने के भय से घरों या अन्यत्र गोदाम से इस धंधे को अंजाम देते हैं. कई दवा के माफियाओं ने इस काम के लिए फेरी वाले लड़कों को बहाल कर रखा है. इन लड़कों के माध्यम से सीमांचल के विभिन्न भागों में दवा दुकानों में दवा की आपूर्ति की जाती है. इस काम के लिए लड़कों को आकर्षक कमीशन दिया जाता है.
पटनिया व कलकतिया दवा की है धूम
नकली दवा के कारोबार में पटनिया(पटना) व कलकतिया(कोलकाता) दवा की हमेशा धूम रही है. इसकी वजह यह है कि दवा माफियाओं के लिए इसका कारोबार हमेशा फायदेमंद साबित होता है. नकली दवाओं की पैकिंग इस प्रकार की होती है कि विशेषज्ञों के लिए भी इसकी पहचान कर पाना मुश्किल होता है.नकली दवाओं में सभी नामी-गिरामी कंपनियों की कीमती नकली दवा शामिल होती है.प्रतिबंधित दवाओं में फैंसीड्रिल,कोरेक्स,ऑक्सीटोसिन,ऑक्सी टेट्रासाइक्लिन आदि का भी हु-बहु माफियाओं द्वारा नेपाल , आसाम,प बंगाल कोसी व सीमांचल के बाजारों में पहुंचाया जाता है.
दवा माफियाओं पर नकेल कसना आसान नहीं
राजधानी के बाद पूर्वोत्तर बिहार की सबसे बड़ी स्वास्थ्य मंडी में दवा माफियाओं का सबसे बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है. यहां से रोजाना करोड़ों की नकली एवं प्रतिबंंधित दवाओं की खेप कोसी, सीमांचल, नेपाल, प बंगाल, आसाम तक पहुंचायी जाती है. दवा माफियाओं को विभागीय संरक्षण प्राप्त है. जिसके कारण वर्षों से यह काला धंधा बदस्तुर जारी है. ऐसे में दवा माफियाओं पर नकेल कसना आसान नहीं होगा.
अधिकारियों की कटती हैं चांदी
जानकारों की माने तो इस काले कारोबार का वर्षों से सफल संचालन में विभाग का वरदहस्त प्राप्त है.लिहाजा यह धंधा बेरोक -टोक जारी है.बताया जाता है कि प्रत्येक दवा माफियाओं से मासिक आमदनी लाखों में विभाग के अधिकारियों को पहुंचती है. यदि विभाग सही नीयत एवं नेमत के साथ दवा माफियाओं पर कार्रवाई करे तो स्वास्थ्य नगरी में दवा की आड़ में चल रहे लूट के कारोबार पर अंकुश लग सकेगा.
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