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पूर्णिया जंकशन पर यात्री सुविधाओं का अभाव, अधिकारी भी नहीं रहते

गुलाबबाग: प्रमंडल के रेलवे जंकशनों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण पूर्णिया जंकशन पर यात्री सुविधाओं के बदले समस्याओं का अंबार है. सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी व अधिकारी भी यहां नदारद रहते हैं. गौरतलब है कि पूर्णिया प्रमंडल मुख्यालय के पूर्णिया जंकशन पर पड़ोसी देश नेपाल सहित कोसी के लाखों कारोबारियों का आना-जाना होता है. प्रतिदिन जहां अनुमानत: […]

गुलाबबाग: प्रमंडल के रेलवे जंकशनों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण पूर्णिया जंकशन पर यात्री सुविधाओं के बदले समस्याओं का अंबार है. सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी व अधिकारी भी यहां नदारद रहते हैं. गौरतलब है कि पूर्णिया प्रमंडल मुख्यालय के पूर्णिया जंकशन पर पड़ोसी देश नेपाल सहित कोसी के लाखों कारोबारियों का आना-जाना होता है. प्रतिदिन जहां अनुमानत: चार हजार से पांच हजार कारोबारियों के अलावा अन्य सैकड़ों यात्रियों का भी आना-जाना है. रेलवे रूट के द्वारा अनाजों के आयात निर्यात से प्रति वर्ष रेलवे को करोड़ों रुपये की आमदनी भी होती है और देश विदेश के कारोबारियों के साथ हजारों वाहन चालकों एवं मजदूर भी जुटते हैं. फिर भी पूर्णिया जंकशन पर यात्रियों के लिए मौलिक सुविधा का भी घोर अभाव है. यात्री दूषित जल गंदगी के बीच पीने को विवश है. वेटिंग रूम की गंदगी और शौचालय की बदबू के बावजूद बगैर टेंडर के वेंडरों से अवैध वसूली जारी है. प्रतिबंध के बावजूद जंकशन पर खुल्लम खुल्ला गुटखा और पान की दुकानें सजी हैं. यात्री कहीं पुलिस वालों की मौजूदगी में भी एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर आते जाते हैं. सुरक्षा व्यवस्था में लगे पुलिस वाले दिन के उजाले में ही बैठे बैठे सोते रहते हैं. यात्री सुरक्षा एवं मूलभूत सुविधाओं के घोर अभाव के बीच जहां प्रतिदिन हजारों लोग सफर कर रहे हैं वहीं पूर्णिया जंकशन के बड़े अधिकारियों की मनमानी जारी है जो उनके कार्यालयों तक पहुंचने पर स्पष्ट दिखती है. सुविधाओं के इस घोर अभाव पर अधिकारियों की नजर नहीं पड़ती है और अधिकारी भी नजर नहीं आते.

प्लेटफॉर्म नंबर एक पर मौजूद वेटिंग रूम जो एक मात्र यात्रियों के ठहरने की जगह है, सफाई के अभाव में गंदगी से भरा है. शुद्ध पेयजल की व्यवस्था के नाम पर जगह-जगह बने वाटर सेंटर गंदगियों के बीच खड़े हैं, बल्कि दूषित जल पीने की विवशता यात्रियों की मजबूरी बनी हुई है. पूर्णिया जंकशन पर अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि माल बाबू के माल कार्यालय का जहां गेट पर तो कार्यालय खुलने का समय छह बजे लिखा हुआ है लेकिन नौ बजे तक कार्यालय नहीं खुला था, इतना ही नहीं माल कार्यालय बंद होने के बावजूद रैक प्वाइंट पर लगी माल गाड़ियों से माल ढुलाई जारी थी. हालांकि इस बाबत जानकार बताते हैं कि यहां सब गोलमाल है. नियम कानून ताक पर रख काम होते हैं. पूर्णिया जंकशन पर रेल पुलिस, रेलवे अधिकारियों के नाक के नीचे हर पल गुटखा, पान खैनी की दुकानें सजती हैं. प्लेटफॉर्म एक पर खड़ा रेल पुलिस के जवान रेल ट्रैक पार कर दूसरे प्लेटफॉर्म पर चढ़ते युवक को देख रहा है कोई हरकत नहीं है वहीं कार्यालय में मौजूद जनाब बंदूक के साथ कुरसी पर बैठे नींद मार रहे हैं. स्टेशन प्रबंधक का कार्यालय दिन के दस बजे तक बंद है. जंकशन पर यात्री सवारी गाड़ी के साथ सीमांचल सुपरफास्ट के इंतजार में है. चारों तरफ बदइंतजामी है.

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