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परमान कछार के गांधी हैं अब्दुल जलील मस्तान

अमौर/बैसागरीबी : और अभाव के बीच बचपन बिताने वाले कांग्रेस विधायक अब्दुल जलील मस्तान परमान नदी के कछार के गांधी के रूप में जाने जाते हैं. महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानने वाले श्री मस्तान ने अपनी निजी जिंदगी में भी गांधी के विचारों को पूरी तरह आत्मसात कर रखा है. यही वजह है कि […]

अमौर/बैसागरीबी : और अभाव के बीच बचपन बिताने वाले कांग्रेस विधायक अब्दुल जलील मस्तान परमान नदी के कछार के गांधी के रूप में जाने जाते हैं. महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानने वाले श्री मस्तान ने अपनी निजी जिंदगी में भी गांधी के विचारों को पूरी तरह आत्मसात कर रखा है.

यही वजह है कि अमौर विधानसभा क्षेत्र से छठी बार वे विधायक निर्वाचित हुए हैं और नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में जबकि बड़े-बड़े राजनेता मिनीस्टर इन वेटिंग रह गये, उन्हें कैबिनेट मंत्री के रूप में नवाजा गया है. स्थानीय लोगों की मानें तो श्री मस्तान की छवि एक ईमानदार और जमीन से जुड़े नेता के रूप में रही है.

छठी बार हुए हैं निर्वाचित पूर्णिया कॉलेज से आइकॉम श्री मस्तान की उम्र लगभग 57 वर्ष है. इनका पैतृक गांव बैसा प्रखंड के सिरसी पंचायत के चिल्ला रघुनाथपुर में है. इंटर की पढ़ाई के बाद श्री मस्तान स्थानीय राजनीति में सक्रिय हो गये. इसके बाद चुनावी राजनीति में उन्होंने 1985 में प्रवेश किया. बतौर निर्दलीय प्रत्याशी वे 1985 में अमौर विधानसभा से निर्वाचित हुए.

इसके बाद 1990 में कांग्रेस के टिकट पर चुने गये. जबकि 1995 में और 1997 में पराजित हुए. वर्ष 2000 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उनकी वापसी हुई. जबकि 2005 में उन्होंने फिर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अमौर विधानसभा से ही जीत दर्ज किया. 06 माह बाद 2005 में हुए चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की. लेकिन 2010 में भाजपा के सबा जफर से पराजित हुए.

लेकिन 2015 के चुनाव में उन्होंने जिले में सर्वाधिक मतों से अपनी जीत दर्ज की. इस प्रकार श्री मस्तान अमौर विधानसभा क्षेत्र के चुनावी अखाड़े में 09 बार उतरे और 06 बार जीत हासिल की. एक वर्ष पूर्व विवाह बंधन में बंधे श्री मस्तान राजनीति में कुछ इस कदर रमे कि उन्हें घर बसाने का भी ख्याल नहीं रहा. चार भाईयों में वे तीसरे नंबर पर थे. दो बड़े भाईयों का इंतकाल हो चुका है, जबकि सबसे छोटा भाई अब्दुल रसीद किसान है. उनके विवाह में बंधने की कहानी भी बड़ी ही रोचक है.

बताया जाता है कि श्री मस्तान को हज के लिए जाना था. ऐसा माना जाता है कि विवाहित व्यक्ति जब सपरिवार हज के लिए जाता है तो ज्यादा शबाब माना जाता है. शायद यही वजह रही कि एक वर्ष पूर्व उन्होंने बीबी तरन्नुम से निकाह रचाया. बहरहाल श्री मस्तान को कोई संतान नहीं है. क्षेत्र में दौड़ी खुशी की लहर जलील मस्तान के मंत्री बनाये जाने से बायसी अनुमंडल क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गयी है. खासकर उनके गांव रघुनाथपुर सिरसी में उत्सव का माहौल है.

चर्चा अनुसार श्री मस्तान को 1990 में भी मंत्री बनने का ऑफर मिला था, लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया था. इस बार उनकी जीत के बाद मंत्री भी बनना तय माना जा रहा था. क्योंकि 02 नवंबर को अमौर में जनसभा के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मंच से ही घोषणा किया था कि अगर श्री मस्तान जीतेंगे तो राज्य मंत्रिमंडल में जगह पायेंगे.

श्री मस्तान के मंत्री बनने पर प्रखंड कांग्रेस अध्यक्ष सदरूल रहमान, जदयू अध्यक्ष मो आरिफ, राजद अध्यक्ष गुलाम रब्बानी, मो कमरूज्जमा, काजी शाहिद, ममनून अंसारी, बलराम यादव, सूरज साह आदि ने हर्ष व्यक्त किया है.

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