पूर्णिया. जनकवि बाबा नागाजरुन पंद्रहवीं पुण्यतिथि के मौके पर याद किये गये. भारतीय लेखक मंच(भालेम) के तत्वावधान में जिला स्कूल के प्रशाल में आयोजित पुण्यतिथि समारोह में साहित्यकारों और विद्वतजनों ने बाबा नागाजरुन के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला. वक्ताओं ने कहा कि उनका व्यक्तित्व भी उनकी रचनाओं की ही तरह था. उन्होंने अपनी रचनाओं में जिस तरह समाज के दबे-कुचले और शोषित वर्ग को जगह दी वह उनके विराट व्यक्तित्व को प्रदर्शित करता है. वे हमेशा अपनी रचनाओं के माध्यम से इस वर्ग के लोगों की समस्याओं को रेखांकित करते रहे. किसानों की समस्याओं को भी उन्होंने अपनी कविता संग्रह के माध्यम से उजागर किया. आजादी की लड़ाई में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाते हुए कई बार जेल की यात्र भी की. मूल रूप से मधुबनी जिला निवासी बाबा नागाजरुन की पहली कविता ‘मिथिला’मैथिली भाषा में वर्ष 1929 में प्रकाशित हुई. 1933 में विश्वबंधु साप्ताहिक लाहौर में पहली हिंदी कविता ‘राम के प्रति’ का प्रकाशन हुआ. उनके प्रमुख कविता संग्रह में ‘प्यासी पथराई आंखें, तुमने कहा था, हजार-हजार बांहों वाली, भूल जाओ पुराने सपने के अलावा उपन्यास में बाबा बटेसरनाथ, उग्रतारा,इमरतिया, पारो, नवतुरिया, अभिनंदन आदि शामिल हैं. इस मौके पर नीरद् जनवेणु द्वारा संपादित पत्रिका ‘प्रतिबद्ध’ के नवीन अंक का लोकार्पण भी अतिथियों द्वारा किया गया. साहित्यकार डा छोटेलाल बहलदार की अध्यक्षता में आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि चर्चित कथाकार चंद्रकिशोर जायसवाल थे. विशिष्ट अतिथि भोलानाथ आलोक, डा मो कमाल, डा निरूपमा राय, प्रो इंदू शेखर रहे. मुख्य और विशिष्ट अतिथि के अलावा प्रो अमरेंद्र ठाकुर, अरूण अभिषेक, सुवंश ठाकुर अकेला, प्रो शंभू कुशाग्र, डा निशा प्रकाश, सुरेंद्र नाथ, उमेश आदित्य, मिथिलेश राय, दीप्ति दुबे, मदन मोहन मर्मज्ञ, उमेश पंडित उत्पल, मो शमशाद आलम, चंद्रशेखर मिश्र, गोपाल चंद्र घोष आदि ने अपने विचार व्यक्त किये. अतिथियों का स्वागत भालेम के सचिव डा रामनरेश भक्त ने किया. कार्यक्रम का संचालन गोविंद कुमार और धन्यवाद ज्ञापन कीत्र्यानंद कलाधर ने किया.
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15वीं पुण्यतिथि पर याद किये गये जनकवि नागाजरुन
पूर्णिया. जनकवि बाबा नागाजरुन पंद्रहवीं पुण्यतिथि के मौके पर याद किये गये. भारतीय लेखक मंच(भालेम) के तत्वावधान में जिला स्कूल के प्रशाल में आयोजित पुण्यतिथि समारोह में साहित्यकारों और विद्वतजनों ने बाबा नागाजरुन के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला. वक्ताओं ने कहा कि उनका व्यक्तित्व भी उनकी रचनाओं की ही तरह था. उन्होंने अपनी […]
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