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पराजित प्रत्याशी: कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

पराजित प्रत्याशी: कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती पूर्णिया. चुनाव परिणाम आने के बाद जहां विजयी प्रत्याशी और उनके खेमे में उत्साह का माहौल है, वहीं पराजित प्रत्याशी के खेमे में मायूसी है और आत्ममंथन का भी दौर जारी है. प्रभात खबर ने पराजित लेकिन निकटतम प्रतिद्वंदी रहे प्रत्याशियों से बातचीत कर हार […]

पराजित प्रत्याशी: कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती पूर्णिया. चुनाव परिणाम आने के बाद जहां विजयी प्रत्याशी और उनके खेमे में उत्साह का माहौल है, वहीं पराजित प्रत्याशी के खेमे में मायूसी है और आत्ममंथन का भी दौर जारी है. प्रभात खबर ने पराजित लेकिन निकटतम प्रतिद्वंदी रहे प्रत्याशियों से बातचीत कर हार के बाबत उनकी राय जानी. 1. इंदू सिन्हा(कांग्रेस, पूर्णिया सदर)- श्रीमती सिन्हा ने कहा कि महागंठबंधन के ही कुछ लोगों द्वारा भीतरघात की वजह से उनकी हार हुई है. हालांकि जनता ने उन्हें जिताने का काम किया है. कहा कि स्थानीय सांसद संतोष कुशवाहा की भूमिका सकारात्मक नहीं रही. उन्होंने कहा कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है. 2. विनोद कुमार(निर्दलीय, बायसी)- मुस्लिम वोटों की गोलबंदी की वजह से मेरी हार हुई. भाजपा की ओर से गोमांस से जुड़े बयान के बाद इस तरह की गोलबंदी हुई. इसके अलावा निर्दलीय होने की वजह से अधिक लोगों का समर्थन नहीं मिल सका. कहा कि जिन्होंने समर्थन दिया है, उनके भरोसे को नहीं तोड़ेंगे. 3. सबा जफर(भाजपा, अमौर)- दुख की बात है कि क्षेत्र में धार्मिक मसले पर मतदाताओं की गोलबंदी हो गयी. लोगों ने विकास को मतदान का पैमाना नहीं बनाया. अपने लोगों की वजह से ही उनकी हार हुई है. बावजूद समर्थन के लिए वे शुक्रगुजार हैं. 4. प्रेम प्रकाश मंडल(भाजपा, रूपौली)- पार्टी के वरीय नेताओं का सहयोग नहीं मिला. सामंती ताकतों ने साजिश के तहत शंकर सिंह को बतौर निर्दलीय खड़ा किया, जिससे मत का विभाजन हुआ. जाति और धर्म के नाम पर भी गोलबंदी हुई. कहा कि जनता का फैसला उन्हें स्वीकार है. 5. शिवशंकर ठाकुर(रालोसपा, धमदाहा)- मुझे दुख है कि अपनी सोच को आम लोगों के बीच नहीं रख पाया. इसके अलावा पैसे के बल पर गरीबों को बरगलाया गया. मुझे बाहरी बता कर अफवाह फैलायी गयी. कहा कि अब यहीं लगातार रह कर गरीबों की लड़ाई लड़ूंगा. 6. संजीव पासवान(राजद, बनमनखी)- जाति और धर्म के नाम पर वोट का विभाजन कराया गया. इसके अलावा मतदाताओं को दिग्भ्रमित भी किया गया. बावजूद जनता का भरपूर प्यार मिला. चूक कहां हुई, इस पर मंथन किया जा रहा है. जनता के साथ आगे भी जुड़े रहेंगे. 7. प्रदीप कुमार दास(भाजपा, कसबा)- जाति और धर्म के नाम पर गोलबंदी की गयी. इसके अलावा दुष्प्रचार भी किये गये. जिस तरह कम मतों से उनकी हार हुई है, उन्हें लगता है कि जनता ने उन्हें जीत दिलाया है. हमेशा की तरह आगे भी जनता के बीच बने रहेंगे. फोटो:- 09 पूर्णिया 14 से 20परिचय:- 14- इंदू सिन्हा15- विनोद कुमार16- सबा जफर17- प्रेम प्रकाश मंडल18- शिवशंकर ठाकर19- संजीव पासवान20- प्रदीप कुमार दास

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