27.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कसबा : त्रिकोणीय मुकाबला में गुल खिला सकते हैं नर्दिलीय

कसबा : त्रिकोणीय मुकाबला में गुल खिला सकते हैं निर्दलीय पूर्णिया. कसबा विधान सभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार बन रहे हैं. यहां दो बड़े दल के आमने -सामने की भिड़ंत में निर्दलीय प्रत्याशी गुल खिला सकते हैं. यह दीगर है कि बड़े दलों के नेताओं के प्रति लोगों की नाराजगी इस नये समीकरण […]

कसबा : त्रिकोणीय मुकाबला में गुल खिला सकते हैं निर्दलीय पूर्णिया. कसबा विधान सभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार बन रहे हैं. यहां दो बड़े दल के आमने -सामने की भिड़ंत में निर्दलीय प्रत्याशी गुल खिला सकते हैं. यह दीगर है कि बड़े दलों के नेताओं के प्रति लोगों की नाराजगी इस नये समीकरण को जन्म दे सकता है. वैसे इलाके के मतदाताओं के रहस्यमयी चुप्पी भी प्रत्याशियों के लिए चिंता का सबब बन रहा है. ऐसे में ऊंट किस करवट बैठेगा यह कह पाना कठिन है. प्रमुख दल के बीच अहम लड़ाईएक प्रमुख दल अपने कैडर मतों के भरोसे चुनाव की नैया पार लगाने की फिराक में है तो दूसरा अल्पसंख्यक मतों के भरोसे विधान सभा की किला फतह करना चाहते हैं. किंतु दोनो प्रमुख दलों के नेता असमंजस की स्थिति में है. दोनो पक्षों के मतदाताओं के बड़े हिस्से में अपने-अपने प्रत्याशियों के प्रति नाराजगी देखने को मिल रही है. यह माना जा रहा है कि नाराज मतदाता मत इस चुनाव में अहम होगा, जो किसी तीसरे प्रत्याशी की जीत का सबब बन सकता है.नाराजगी का मुख्य कारणक्षेत्र में नेताओं का आम जनों के साथ रुखा व्यवहार यहां नाराजगी की मुख्य वजह है. ऐसे आक्रोशित मतदाता अपने आत्म सम्मान की रक्षा के लिए किसी तीसरे विकल्प को तलाश रहे हैं. जो मतदान के समय अपना मत उन्हीं के पक्ष में कर सकते हैं. ऐसे में यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि दो की लड़ाई में तीसरा बाजी मार सकता है.विकास भी बन सकता है कारणपिछले बीस वर्षों से कसबा विधानसभा क्षेत्र का विकास बेपटरी हुई है. लोग सड़क,बिजली,स्वास्थ्य सेवा आदि जैसे मुलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. विकास की रोशनी से दूर खड़े मतदाता प्रत्याशियों की भीड़ में वैसे प्रत्याशी को ढंूढ रहे हैं, जो उनके विकास के साथ साथ सुख-दुख के साथी साबित हो. शायद यही वजह है कि इस चुनाव में अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक, अगड़ा-पिछड़ा, जात-जमात की सारी सीमाएं ध्वस्त हो चुकी है. विकास से वंचित लोग विकास के लिए मतदान करने का मन बना रहे हैं.’जहार खिलान, तहार मिलान’ का टूटा तिलिस्मकसबा विधान सभा क्षेत्र में कुछ मतदाता वर्ग में यह कहावत विख्यात रहा है कि जहार खिलान, तहार मिलान (जो रुपये-पैसे से मदद करेगा, उसी को वोट) वाली कहावत भी पलट गयी है. पहले प्रत्याशी खिला-पिला कर चुनावी नैया पार कर लेते थे. किंतु इस बार यह हथियार भी काम नहीं कर रहा है. लोग अब अपने विकास की बात पर मतदान करने का मन बना रहे हैं. जो मैदान में डटे प्रत्याशियों के होश उड़ाने के लिए काफी है. इस वर्ग का वोटर भी नया विकल्प तलाश रहा हैं. जाहिर है कसबा की लड़ाई आसान नहीं है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें