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कच्ची सड़क व कच्चे मकान बने हैं दियारा की पहचान

कच्ची सड़क व कच्चे मकान बने हैं दियारा की पहचान – चुनावी मुद्दा बन सकता है दियरा की समस्याटीकापट्टी. रूपौली प्रखंड के दियारा इलाके में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. दियारा इलाकों में ना बिजली, ना सड़क और ना ही स्वास्थ्य सुविधाएं. प्रखंड के अझरी, दियना, बासा, टोपरा, साधुपुर मझोडिह आदि गांव विकास के […]

कच्ची सड़क व कच्चे मकान बने हैं दियारा की पहचान – चुनावी मुद्दा बन सकता है दियरा की समस्याटीकापट्टी. रूपौली प्रखंड के दियारा इलाके में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. दियारा इलाकों में ना बिजली, ना सड़क और ना ही स्वास्थ्य सुविधाएं. प्रखंड के अझरी, दियना, बासा, टोपरा, साधुपुर मझोडिह आदि गांव विकास के रास्ते में काफी पीछे छूट गया है. ऐसा नहीं है कि इन गांवों में बसे लोग मतदान नहीं करते या फिर इनके पास नेता नहीं पहुंचते. हर बार चुनावी बिगुल बजते ही नेताजी वोट मांगने दर-दर भटकते हैं. लेकिन पिटारा खुलने के बाद नेताजी के दर्शन भगवान से भी अधिक दुर्लभ हो जाते हैं. कई नेता आये और कई चले गये, लेकिन दियारा वासियों की किस्मत नहीं बदली. विशेष रूप से बारिश के दिनों में उनकी जिंदगी नरक के समान हो जाती है. जाहिर है लोग वोट करते हैं विकास के लिए और इस बार इन ग्रामीणों के लिए दियारा का विकास ही चुनावी मुद्दा बन सकता है. समस्याओं का है अंबारदियारा के लोगों के लिए समस्याएं अनगिनत हैं. यहां के लोग बिजली, सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं से तो वंचित हैं ही. बारिश के दिनों में हरेक रात डर के साये में गुजरती है. दरअसल इन इलाकों में लोगों का मूल पेशा कृषि और पशुपालन है, लेकिन बारिश के दिनों में बाढ़ का पानी कब फसलों को लील जाये, इसका कुछ पता नहीं होता है. हर वर्ष बाढ़ के आने से सैकड़ों किसानों के फसलों की क्षति होती है और किसानों के लिए यह स्थायी समस्या बनी हुई है. कच्चे हैं अधिकतर मकानइन इलाकों में अधिकतर लोगों के पास कच्चे मकान हैं. जिसका मूल कारण बाढ़ बताया जाता हैं. स्थानीय लोगों की मानें तो कटाव के कारण हर वर्ष दर्जनों घरों को क्षति पहुंचती है. ऐसे में पक्के मकानों को विस्थापित करना लों के लिए नामुमकिन होता है. लिहाजा लोग कच्चे मकान बनाते हैं, ताकि क्षति को भी कम किया जा सके. बाढ़ के समय नाव का सहारा बाढ़ के समय लोगों के आवागमन के लिए नाव ही एकमात्र सहारा है. यूं ही सभी सड़कें कच्ची हैं और उसमें भी बारिश के समय सभी सड़कें ध्वस्त हो जाती हैं और नाव के बिना लोगों का बाहर आना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में किसी भी आपात स्थिति में लोगों की परेशानी कई गुणा तक बढ़ जाती है. शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट दियारा इलाके में उच्च विद्यालय नहीं है, लिहाजा छात्र-छात्राओं का पठन-पाठन कार्य ाधित हो रहा है. वही चिकित्सा सुविधा भी ना के समान है. दरअसल इन इलाके के लोगों के लिए एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित है. जहां स्वास्थ्य कर्मियों से लेकर अन्य सुविधाओं का भी अभाव है. यही कारण है कि इलाके में वोट मांगने आने वाले सभी प्रत्याशियों को लोगों के तीखे सवालों का सामना करना पड़ रहा है. फोटो : 18 पूर्णिया 03परिचय : दियारा इलाके में कच्ची सड़क

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