ठगाना हमारी किस्मत, ठगना उनकी फितरत इलेक्शन लाइव : हरदा बाजारपूर्णिया. रविवार को दोपहर के लगभग 12:30 बज रहे थे. जिला मुख्यालय से लगभग 08 किमी दूर एनएच 31 पर स्थित हरदा बाजार में गहमागहमी कुछ कम हो चुकी थी. सुबह के समय में यहां गहमागहमी इस कदर होती है कि एनएच से पैदल गुजरना भी मुश्किल हो जाता है. हरदा का हाट ताजी सब्जियों की बड़ी मंडी मानी जाती है. इसलिए यहां दूर दराज से सब्जी व्यापारी थोक भाव में सब्जी खरीदने आते आते हैं. वही सस्ते के उम्मीद में घरेलू उपयोग के लिए भी लोग यहां सब्जी खरीदने आते हैं. रविवार को कड़ी धूप थी. एक लिट्टी दुकान पर लिट्टी खाते बुजुर्ग पृथ्वी चंद यादव से मुलाकात हुई. चुनाव के बाबत सवाल किया तो अनमने ढ़ंग से कहा ‘ लोग आइब रहल छै, सब पार्टी के लोग दौड़ै छै, अखैन मन नै बनैनअ छी ‘. पास के तिराहे के समीप एक पेड़ के नीचे सब्जी बेच रहे चपैय निवासी मो हलीम से बातचीत का सिलसिला शुरू किया. मो हलीम ने कहा ‘ जिससे रक्षा होगी, सुरक्षा होगी, उसी को वोट देंगे. जो हमारे साथ है, हम उसी के साथ हैं ‘. बगल में घरेलू उपयोग के लिए सब्जी खरीद रहे लालगंज निवासी पेशे से मजदूर मो उस्ताद ने बातचीत में कहा ‘ दुख की बात यह है कि हम वोट देकर भी विश्वास हासिल नहीं कर पाये ‘. हरदा हाट में ही मरंगा निवासी सब्जी दुकानदार शिबू दास से मुलाकात हुई. पहले धंधे की बात हुई, तो शिबू ने कहा ‘ साहब महंगाई काफी बढ़ गयी है. 120 रुपये में एक किलो हरी मिर्च मिल रही है. दुर्गापूजा में और भी दाम बढ़ेंगे’. बात चुनाव की चली तो शिबू ने बेबाक होकर कहा ‘ हम बंग्लादेशी शरणार्थी हैं. अभी हमारे समुदाय की बैठक नहीं हुई है. बैठक में ही सब कुछ तय होगा. हमारा एक मुश्त वोट ही किसी भी प्रत्याशी को मिलता है ‘. थोरा आगे बढ़ने पर युवा व्यवसायी गोठ बिषहरिया निवासी सतीश मेहता से मुलाकात हुई. चुनावी हवा के बारे में पूछे जाने पर कहा ‘ जात-पात नहीं चलेगी, नेताओं पर अब विश्वास नहीं रहा. ठगाना हमारी किस्मत है और ठगना उनकी फितरत ‘. कुछ आगे बढ़ने पर एक सब्जी के आढ़त में विशाल साह और मो इरफान से मुलाकात हुई. दोनों अन्य दो लोगों के साथ खरीद-बिक्री के हिसाब में व्यस्त थे. चुनाव के सवाल पर थोरा खिन्न होकर कहा ‘ रोटी के जुगाड़ में अपने को फुरसत कहां रहती है, चुनाव के दिन जहां मन होगा वोट डाल देंगे ‘. सड़क किनारे फुटपाथ पर सैलून सजाने वाले कवैया निवासी अशोक ठाकुर से मुलाकात हुई. श्री ठाकुर ने बताया ‘ नेता सब खाली बड़का लोग के घर जाई छै, गरीब-गुरबा के केय पूछै छै ‘. फिर हिंदी में बोले ‘ सब देख रहे हैं कि कौन अच्छा है और कौन बुरा. उसी अनुसार वोट देंगे ‘. दोपहर के 01:45 बज रहे थे. उदय साह के होटल में खाना खाने वालों की भीड़ जुटी थी. अधिकांश लोग मांसाहारी भोजन ही ले रहे थे. भोजन कर रहे लोगों से बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ाया. मौजूद मखाना कारोबारी कुंदन सिंह ने बताया कि वे स्नातक हैं और व्यापार कर रहे हैं. राजनीतिक बातें चली तो कुंदन ने कहा ‘ बिहार की तरक्की करने वाला सरकार चाहिए. सोचना होगा कि युवाओं का पलायन क्यों हो रहा है ‘. बगल में मछली का स्वाद ले रहे गंगेली निवासी केशव ऋषि ने पूछने पर कहा ‘ जिसको वोट दिया, उसने थोड़ा-बहुत काम भी किया है. फिर एक बार मौका देंगे ‘. फुटपाथ पर सब्जी बेचने वाली सतनी देवी और गीता देवी से बातचीत हुई. दोनों ने कहा ‘ घर में जेना कहतई, ओकरे वोट दाइ देबै ‘. सड़क किनारे ही कृष्णा टी स्टॉल है. वहां पर आधे दर्जन लोग चाय पी रहे थे. चाय पी रहे बैद्यनाथ राय ने कहा ‘ हमें ऐसा राजा चाहिए, जो प्रजा को देखने वाला होना चाहिए ‘. पास ही बैठे अमित ऋषि ने कहा ‘ जात-पात से कुछ नहीं होता है. चलाने वाला ही सब कुछ चलायेगा ‘. राजनीतिक बहस सुन कई आसपास के लोग भी इकट्ठा हो गये. व्यवसायी अमित राज ने हस्तक्षेप करते हुए कहा ‘ हमें आसानी से उपलब्ध होने वाला नेता चाहिए. होता यह है कि मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं हैं ‘. चाय दुकानदार कृष्णा, जो स्पष्ट बोल नहीं पाता है, खामोश लेकिन गंभीर था, शायद राजनीति को समझने की कोशिश कर रहा था. फोटो : 11 पूर्णिया 26, 27परिचय : 26- फुटपाथ पर सजी दुकान27- होटल में भोजन कर रहे लोग
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ठगाना हमारी कस्मित, ठगना उनकी फितरत
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