।।पंकज झा।।
पूर्णिया:
शनिवार को दिन के लगभग 11.21 बजे ओपीडी के संकरे गेट पर तकरीबन डेढ़ सौ मरीजों की भीड़ डॉक्टर से काउंसलिंग के लिए लगातार धक्का-मुक्की पर उतारू हैं. सुरक्षा व्यवस्था में लगे गार्ड ने संकेत मिलते ही 15 से 20 की संख्या में मरीजों को डॉक्टरों के पास भेज दिया. अंदर मात्र तीन डॉक्टर बैठे हैं.
मरीज ने अपना पुरजा बढ़ाया. उसे मर्ज बताने से पूर्व ही दवा लिख कर चंद सेकेंड में परचा हाथ में थमा दिया गया.
एक महिला मरीज ने परचा डॉक्टर के हाथ में थमाते हुए कहा कि साहब गला फुल जाय छय. डॉक्टर ने उक्त महिला मरीज को फटकार लगाते हुए कहा दूर हट कर बताओ, मेरे सिर पर बैठकर इलाज कराओगी क्या. डॉक्टर के फटकार से महिला सहम गयी और दूर जाकर खड़ी हो गयी.
इस बीच ओपीडी के क्रियाकलाप देख रहे इस संवाददाता पर नजर उक्त डॉक्टर पर पड़ी. डॉक्टर (मरीज समझ कर संवाददाता पर उबल पड़े) ने कहा क्या है, यहां कोई नाच हो रहा है, जो देखने के लिए खड़े हैं. बाद में अस्पताल के एक कर्मचारी ने बताया कि आंख, कान एवं नाक के डॉक्टर हैं. इसके बाद प्रभात खबर ने रुख किया कार्यालय की ओर. जहां लेखा प्रशाखा में 11.23 तक एक भी कर्मचारी उपस्थित नहीं हुए थे. साथ ही स्थापना शाखा में ताला लटक रहा था. मेटरनिटी वार्ड में तीन चार प्रसूता महिलाएं भरती थी.
प्रसव के लिए खानाघाट इस्लामपुर से पहुंची नयमा खातून प्रसव पीड़ा से लगातार कराह रही थी. किंतु उक्त महिला का हाल चाल जानने एक भी नर्स नहीं आयी थी. कमलपुर गांव की किसनी देवी ने बताया कि चार पीस ब्रेड एवं आधा पाव दूध नाश्ता में देता है. अंडा नाश्ता में नहीं देता है. अन्य भरती मरीजों ने बताया कि भोजन में सब्जी चावल देता है. शाम को चाय नहीं मिल रहा है. दिन के 11.27 बजे तक खुद प्रभारी के कार्यालय में ताला लटक रहा था. पूछे जाने पर पता चला कि चिकित्सा प्रभारी ओपीडी सेवा देख रहे हैं. तब तक बारह से ज्यादा बज चुका था. ओपीडी सेवा बंद हो चुकी थी. किंतु आपातकालीन सेवा शुरू नहीं हो पाया था. पता करने पर पता चला अब तक डॉक्टर ही नहीं पहुंचे हैं.