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बार-बार क्यों होता है हंगामा

पूर्णिया: संयम की सीमा लांघ कर आक्रोश का जो नजारा पिछले कई महीनों से पूर्णिया के निजी व सरकारी अस्पतालों में देखने का मिल रहा है उसे अच्छा संकेत नहीं कहा जा सकता. यह शहर के साहित्यकारों, लेखक तथा बुद्धिजीवियों का कहना है. सवाल यह भी उठने लगा है कि आखिर हर बार हंगामा क्यों […]

पूर्णिया: संयम की सीमा लांघ कर आक्रोश का जो नजारा पिछले कई महीनों से पूर्णिया के निजी व सरकारी अस्पतालों में देखने का मिल रहा है उसे अच्छा संकेत नहीं कहा जा सकता. यह शहर के साहित्यकारों, लेखक तथा बुद्धिजीवियों का कहना है. सवाल यह भी उठने लगा है कि आखिर हर बार हंगामा क्यों होता है.

क्या किसी मरीज की मौत पर कोई रोटी सेंक रहा है या फिर जनाक्रोश हकीकत है. यह बस सवाल है. न तो कोई चिंतन न ही मंथन बस हंगामा तोड़फ-ोड़ और मुकदमों का सिलसिला जारी है.मालूम हो कि पिछले कई महीनों से सदर अस्पताल से लेकर निजी अस्पतालों में मरीजों के मौत पर हंगामा मचता रहा है. किसी की मौत, तो किसी के जॉब पर सवाल उठते रहे हैं.

एकाध नहीं अब तक तकरीबन एक दर्जन हंगामों का गवाह बना कोसी का मेडिकल हब पूर्णिया अब शर्मसार होने लगा है. घटनाओं की हकीकत जो भी हो पर यह सवाल भी सत्य है कि आखिर हर बार क्यों हंगामा होता है. ताजा घटना आर्यन हॉस्पिटल में घटने के बाद आइएमए ने अपनी बातें रखी. सुरक्षा और डॉक्टरी पेशे की पारदर्शिता पर खुद को खड़ा बताया, जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा. वहीं दूसरी तरफ मृतक के परिजनों ने डॉक्टर एवं कर्मचारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया.

अभी इस घटना के दो हफ्ते नहीं बीते थे कि शहर के प्रख्यात हार्ट केयर सेंटर में एक मरीज की मौत ने लाइन बाजार को रणभूमि में तब्दील कर दिया. दावे अपने-अपने, गुरुवार को भी घटी घटना में मृतक के परिजनों ने अस्पताल कर्मियों की लापरवाही और विरोध करने पर पिटाई करने का आरोप गढ़ा है. दूसरी तरफ डॉक्टर ने मरीज को गंभीर अवस्था में होने की बात कह कर बेवजह हंगामा मचाने की बात कही है.

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