कसबा: बेमौसम बारिश, खराब बीज ने किसानों की खुशियां छीन ली है. गेहूं की बाली में दाना नहीं आने से प्रखंड क्षेत्र के किसान काफी हताश हैं. बैंकों व महाजन से लिये कर्ज की चिंता किसानों को अंदर ही अंदर सता रही है. इस साल अपनी बेटियों की शादी कराने की चाह रखनेवाले किसानों का […]
कसबा: बेमौसम बारिश, खराब बीज ने किसानों की खुशियां छीन ली है. गेहूं की बाली में दाना नहीं आने से प्रखंड क्षेत्र के किसान काफी हताश हैं. बैंकों व महाजन से लिये कर्ज की चिंता किसानों को अंदर ही अंदर सता रही है. इस साल अपनी बेटियों की शादी कराने की चाह रखनेवाले किसानों का सपना धरा का धरा रह गया. आज आलम है कि क्षेत्र के किसान अपनी बेबसी पर आंसू बहा रहे हैं. यह स्थिति प्रखंड क्षेत्र के लगभग सभी पंचायतों की है. गेहूं की बाली में दाना नहीं आने से फसल को काटने के लिए 250-300 रुपये की दर से मजदूर लेकर गेहूं की कटनी की जा रही है.
परंतु दाना नहीं निकलने से थ्रेसर मालिक गेहूं को तैयार नहीं करना चाहते हैं. घोड़दौड़ पंचायत के सिमरियां निवासी राजेश कुमार यादव ने बताया कि गेहूं का पौधा देख कर मन काफी खुश था. परंतु जब कटनी का समय आया तो गेहूं में दाना नहीं देख पांव तले की जमीन खिसक गयी. सोचा था इस बार गेहूं की खेती अच्छी होगी तो बेटी के हाथ पीले कर देंगे. लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था. किसान राजेंद्र यादव ने बताया कि उसने प्रखंड से मिला बीज खेत में बोया था. खाद भी प्रखंड से मिला परंतु खराब बीज व खाद के कारण दो एकड़ में लगे गेहूं में दाना नहीं आया. महाजन से लिया गया कर्ज को चुकता करना अब संकट बनी हुई है. किसान दिनेश यादव ने कहा कि वह छोटा किसान है. खेती कर अपना परिवार चलाता है. परिवार के सभी सदस्य मिल कर खेत में काम करते हैं. महाजन से ब्याज पर रुपया लेकर गेहूं की खेती की थी. गेहूं में दाना नहीं आने से सिर पर पहाड़ टूट पड़ा.
एक तो महाजन से लिया कर्ज को चुकाना है फिर अपने परिवार का पेट भी भरना है. किसान पटलु साह ने बताया कि बैंक में ऋण लेकर तीन एकड़ गेहूं की खेती में लगभग 40 हजार रुपये खर्च आया. लेकिन गेहूं की बाली में दाना नहीं आने से पूरी तरह कर्ज में डूब गये हैं. आगे बच्चों की पढ़ाई भी करनी है व बैंक में कर्ज भी अदा करना है. किसान महावीर साह ने बताया कि घर के जेवर गिरवी रख कर एक एकड़ गेहूं की खेती की थी लेकिन गेहूं में दाना नहीं आने से अब गिरवी रखे जेवरात को छुड़ायेंगे या अपने परिवार का पेट भरेंगे. सब्दलपुर के किसान गंगा प्रसाद चौहान का कहना है कि गेहूं के पौधों को देख कर सोचा था कि इस लगन में अपनी पोती की शादी हम जरूर करा देंगे. लेकिन जब गेहूं तैयार किया तो प्रति एकड़ एक क्विंटल गेहूं मिला. लेकिन ऐसा नहीं हो सका.
अब सवाल उठता है कि यदि किसानों को मुआवजा की राशि मिल भी जाय तो इतनी रकम से वह बैंक य महाजनों का कर्ज चुकता करेंगे या फिर अपने परिवारों की पेट की आग को ठंडा करेगा. प्रखंड क्षेत्र के उन किसानों का जिन के भूमि में लगी गेहूं की फसल दाना विहीन होकर बरबादी की दास्तां बयां कर रही है. वहीं कसबा विधायक मो आफाक आलम ने खेत में लगे गेहूं के फसल का निरीक्षण किया. निरीक्षण करते हुए उन्होंने खेद जताते हुए किसानों का हरसंभव सरकार द्वारा मुआवजा दिलवाने का जिक्र किया है. अगर प्रशासन किसानों की दुखदायी में साथ नहीं होते तो इसके लिए सरकार से बात की जायेगी. साथ ही विधायक श्री आलम ने किसानों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि अगर किसान आत्मदाह का प्रयास करता है तो इसकी जवाबदेही प्रशासन की होगी. विधायक ने किसानों के क्षति गेहूं के लिए मुआवजा की मांग की है.