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एक किलो आटा खरीदने के भी नहीं थे पैसे
पूर्णिया : एएसआई वीरेंद्र कुमार गोलीकांड की चर्चा थम नहीं रही है. अब चर्चा इस बात पर होने लगी है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने घर-परिवार के बारे में तनिक भी नहीं सोचा और आत्महत्या कर डाली? पुलिस लाइन और इसके आसपास विभागीय लोग दबी जुबान से बोल रहे हैं कि उनके घर […]
पूर्णिया : एएसआई वीरेंद्र कुमार गोलीकांड की चर्चा थम नहीं रही है. अब चर्चा इस बात पर होने लगी है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने घर-परिवार के बारे में तनिक भी नहीं सोचा और आत्महत्या कर डाली? पुलिस लाइन और इसके आसपास विभागीय लोग दबी जुबान से बोल रहे हैं कि उनके घर अर्थाभाव पराकाष्ठा पर थी. घर के लोग दाने-दाने को मोहताज हो गये थे.
जिस समय यह घटना घटी उस समय से कुछ देर पहले उनके घर से एक किलो आटा मांगा गया था. शायद वे काफी विचलित हो गये. उनके पास पैसे नहीं थे कि रसद खरीद पाते. एक तो बच्चों की पढ़ाई का खर्च और ऊपर से घर का खर्च उनके लिए वेतन के अभाव में सरदर्द का कारण था ही. इससे भी इतर विभागीय उदासीनता उनके दिल-दिमाग को काफी जलजला कर चुका था.
ईमानदार ऑफिसर थे वीरेंद्र
ऐसी चर्चा है कि पुलिस विभाग में कार्यरत वीरेंद्र काफी ईमानदार और मितभाषी थे. उन्होंने ड्यूटी के दौरान अपने उसूल नहीं बदले. किसी के आगे हाथ भी नहीं पसारे. वे अंत तक अर्थाभाव की लड़ाई विभाग से लेकर निजी जिंदगी में लड़ते रहे. यह भी चर्चा है कि पूर्णिया में उनके कार्यशैली में कोई दाग नहीं था.
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