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सर्द मौसम में निमोनिया और कोल्ड डायरिया ने पसारा पांव

पूर्णिया : सर्दी शुरू होते ही मौसमी बीमारियां फिर से पांव पसारने लगी है. जुकाम-बुखार के साथ लोग कोल्ड डायरिया और निमोनिया के भी चपेट में आने लगे हैं. खासकर बच्चे इसकी चपेट में ज्यादातर आ रहे हैं. अस्पतालों में कोल्ड डायरिया के मरीजों की बेतहाशा वृद्धि हो रही है. महज तीन दिनों में जिले […]

पूर्णिया : सर्दी शुरू होते ही मौसमी बीमारियां फिर से पांव पसारने लगी है. जुकाम-बुखार के साथ लोग कोल्ड डायरिया और निमोनिया के भी चपेट में आने लगे हैं. खासकर बच्चे इसकी चपेट में ज्यादातर आ रहे हैं. अस्पतालों में कोल्ड डायरिया के मरीजों की बेतहाशा वृद्धि हो रही है. महज तीन दिनों में जिले के सरकारी और निजी अस्पतालों में सर्दी-जुकाम,खांसी, बुखार और उल्टी-दस्त के मरीजों की भीड़ काफी बढ़ गयी है. अकेले सदर अस्पताल में चार दिनों में दो दर्जन से अधिक उल्टी-दस्त के मरीज भर्ती हुए हैं.

ठंड का यह मौसम बूढ़ों के लिए मुसीबत साबित हो रहा है. बूढ़ों को दमा और बच्चों को निमोनिया परेशान कर रहा है.
अस्पतालों में अधिकतर कोल्ड डायरिया और निमोनिया से पीड़ित मरीज भर्ती हो रहे हैं. पिछले चौबीस घंटे के अंदर सदर अस्पताल में दो दर्जन से अधिक मरीज भर्ती किये जा चुके हैं. ठंड में इजाफे के साथ बच्चों की दिक्कत बढ़ गई है. सर्दी के साथ ही कोल्ड डायरिया से पीड़ित रोगियों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. सदर अस्पताल के संक्रमण वार्ड में 1 दिसंबर से लेकर 4 दिसंबर तक मरीजों की संख्या 25 से अधिक हो गई है.
चिकित्सकों का कहना है कि सर्दी के मौसम में कोल्ड डायरिया का प्रकोप अत्यधिक बढ़ जाता है. इस मौसम में खासकर बच्चों में निमोनिया का प्रकोप ज्यादा होता है जबकि बुजुर्गों में लकवा मारने की संभावना बढ़ जाती है. इसके लिए ठंड के मौसम में बच्चे व बुजुर्गों को ठंड से बचा कर रखना लाजिमी हो जाता है. चिकित्सकों ने गर्म खाना व गर्म पानी का सेवन और मॉर्निंग वाक के समय गर्म कपड़ों के प्रयोग की सलाह दी है.
चिकित्सकों ने बच्चों को हमेशा ही गर्म कपड़े में लपेटने, घर में गर्मी के लिये हीटर व अन्य इंतजाम करने, हमेशा ही दूध उबाल कर पिलाने की सलाह दी है. इसके साथ ही कहा है कि यदि बीमार पड़ें तो तत्काल ही चिकित्सक से सलाह व दवा लें. चिकित्सकों का कहना है कि ठंड हृदय रोगियों के लिए खतरनाक है. इस मौसम में कार्डियक अटैक, ब्रेन हेमरेज और लकवा होने का खतरा बढ़ जाता है.
ठंड में ब्लड सर्कुलेट करने वाली नसें सिकुड़ने लगती हैं. इससे हृदय रोगियों को हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. नसों के सिकुड़ने से सीने में दर्द को बढ़ाता है जिसे एंजाइना पेन कहा जाता है. इसलिए ठंड से बच कर रहना चाहिए. नियमित दवाई लेनी चाहिए. ठंड पानी की जगह गर्म पानी पीना चाहिए.
रोग के क्या हैं लक्षण
उल्टी-दस्त का सिलसिला
पेट में बार-बार तेज दर्द होना
पेट में मरोड़ के साथ पीड़ा
सर्दी संग जोड़ों में दर्द होना
कैसे करें बचाव
तली हुई मिर्च-मसालेदार चीजें न खाएं
चाय, कॉफी, कम पिएं
खुले में रखी खाने-पीने की चीजें न खाएं
दस्त होने पर पानी उबालकर पिएं
ओआरएस का घोल समय पर लेते रहें

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