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बिहार : पूर्णिया सिटी में आज से सजेगा जैन आस्था का संसार, पहुंचने लगे श्रावक

नेपाल-बंगाल कोसी से जुटेंगे सैकड़ों श्रावक, श्वेतांबरी समाज के 23वें तीर्थंकर हैं प्रभु पार्श्वनाथ पूर्णिया : पूर्णिया सिटी स्थित तेरापंथ श्वेतांबरी समाज के 23 वें तीर्थंकर प्रभु पार्श्वनाथ के जागृत मंदिर के 15 वें वार्षिकोत्सव को लेकर जैन समाज में उत्साह चरम पर है. करीब आठ सौ वर्ष पुराने प्रभु पार्श्वनाथ मंदिर का कोना-कोना एक […]

नेपाल-बंगाल कोसी से जुटेंगे सैकड़ों श्रावक, श्वेतांबरी समाज के 23वें तीर्थंकर हैं प्रभु पार्श्वनाथ
पूर्णिया : पूर्णिया सिटी स्थित तेरापंथ श्वेतांबरी समाज के 23 वें तीर्थंकर प्रभु पार्श्वनाथ के जागृत मंदिर के 15 वें वार्षिकोत्सव को लेकर जैन समाज में उत्साह चरम पर है. करीब आठ सौ वर्ष पुराने प्रभु पार्श्वनाथ मंदिर का कोना-कोना एक बार फिर सजने लगा है. 10 फरवरी व 11 फरवरी को सिटी के इस मंदिर में जैन आस्था का संसार सजेगा.
वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच श्वेतांबरी समाज के अधिष्ठायक भैरव जी महाराज तथा माता पदमावती की पूजा-अर्चना महाआरती और हवन व ध्वजारोहण सैकड़ों श्रावकों की उपस्थिति में संपन्न होगा. जैन समाज के आस्था का केंद्र आठ सौ वर्ष पुरानी इस मंदिर से जुड़ी कई कहानियां आज भी इस समाज में जीवंत हैं. आज भी इस समाज में वैवाहिक बंधन के बाद नवविवाहित जोड़ा सर्वप्रथम प्रभु पार्श्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं. जैन समाज में यह अटूट आस्था भी है कि इस सदियों पुरानी मंदिर में सच्चे मन से की गयी प्रार्थना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
महाराज बहादुर सिंह ने बनवाया था मंदिर : मंदिर कमेटी के अध्यक्ष नोरत मल नाहर, सचिव संजय संचेती, संयोजक नवीन फुलफगर एवं पदम नौलक्खा ,सुरेश सिंघी के अनुसार करीब आठ सौ वर्ष पहले मुर्शीदाबाद के रहने वाले जैन धर्मावलंबी महाराज बहादुर सिंह ने सिटी में पार्श्वनाथ मंदिर की स्थापना की थी. जैन समाज से जुड़े श्रावकों के मुताबिक तब महाराज बहादुर सिंह पूर्णिया सिटी में ही छोटी कोठी नामक अपने भवन में निवास करते थे. बाद के दिनों में वे सपरिवार मुर्शिदाबाद लौट गये थे.
1934 के भूकंप में मंदिर हुआ था क्षतिग्रस्त : 23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ जी के साथ माता पद्मावती और भैरव नाथ जी महाराज के अष्टधातु की मूर्तियों से सजी इस मंदिर में तब भी कोसी, सीमांचल, नेपाल, बंगाल इत्यादि जगहों से जैन श्रावक पूजा-अर्चना करने आते थे. बताया जाता है कि सन 1934 में आये भूकंप में यह जैन आस्था का मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया था. हालांकि इसके बाद भी इस मंदिर में पूजा-अर्चना जारी रहा और श्रावकों की आस्था मंदिर के प्रति अटूट बनी रही. वर्ष 2002 में एक नयी कमेटी बनी और मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया. तब से मंदिर का वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाना प्रारंभ हुआ.
नवविवाहित जोड़े मत्था टेक करते हैं जीवन की शुरुआत
इस मंदिर के प्रति श्वेतांबरी समाज में आस्था का आलम यह है कि वैवाहिक जीवन की डोर में बंधने के बाद हर नव विवाहित जोड़ा सर्वप्रथम पार्श्वनाथ मंदिर में मत्था टेक सफल और खुशहाल जीवन की कामना करता है. जैन समाज के बुजुर्गों का मानना है कि यह मंदिर जागृत मंदिर है. यहां साक्षात भगवान पार्श्वनाथ जी वास करते हैं. इस मंदिर में श्वेतांबरी समाज के अलावा आसपास के दूसरे समाज के श्रावक भी पूजा-अर्चना करते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती है.
आज से दो दिनों के लिए सजेगा आस्था का संसार
10 फरवरी से 11 फरवरी तक सिटी में सैकड़ों श्रावकों का मेला लगेगा. कोसी के विभिन्न जिले के अलावा नेपाल व बंगाल तथा स्थानीय इलाके से आने वाले श्रावक-श्राविका एवं भक्त जनों के रहने सहित अन्य इंतजाम भी मंदिर कमेटी द्वारा की गयी है. सनिवार को सुबह नौ बजे माता पदमावती के पूजन से प्रारंभ कार्यक्रम में तीन बजे अधिष्ठायक भैरव जी महाराज की पूजा, हवन व रात्रि में भजन होगा. रविवार को स्नान पूजा, शांति कलश, ध्वजारोहण, मंगल-दीप के उपरांत दिन के एक बजे सहधर्मी वात्सल्य का कार्यक्रम होगा.

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