पूर्णिया : सावधान, अगर आप पूर्णिया सेंट्रल जेल में बतौर कैदी पहुंच रहे हैं तो घर वालों को प्रतिमाह एक निश्चित रकम पहुंचाने के लिए आगाह कर दें, अन्यथा आप जेल में सुरक्षित नहीं हैं और आपको मार-मार कर भुर्ता बनाया जा सकता है.
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कैदियों से वसूली जाती है मासिक रंगदारी
पूर्णिया : सावधान, अगर आप पूर्णिया सेंट्रल जेल में बतौर कैदी पहुंच रहे हैं तो घर वालों को प्रतिमाह एक निश्चित रकम पहुंचाने के लिए आगाह कर दें, अन्यथा आप जेल में सुरक्षित नहीं हैं और आपको मार-मार कर भुर्ता बनाया जा सकता है. इस कुकर्म में जेल प्रशासन के साथ-साथ एक दबंग कैदी की […]
इस कुकर्म में जेल प्रशासन के साथ-साथ एक दबंग कैदी की मनमानी चलती है, जिसके हाथों अघोषित रूप से जेल के वार्डों को बेच दिया गया है. वहीं सेंट्रल जेल में दबंग कैदियों की गुटबाजी व रंगदारी से आम कैदी जानवरों से भी बदतर जीवन बिता रहे हैं. कैदियों को जेल मेनुअल के मुताबिक खाना नहीं दिये जाने की शिकायत अब जेल के बाहर पहुंचने लगी है. बुधवार को पेशी के लिए पहुंचे कैदियों ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अपनी व्यथा बयां की, जो रोंगटे खड़े करने वाला है.
वहीं कैदियों के परिजनों ने स्पष्ट तौर पर बताया कि उन्हें प्रतिमाह सुविधा शुल्क के रूप में जेल के अंदर हजारों रुपये पहुंचाने पड़ते हैं. ऐसा नहीं करने पर जेल के अंदर दबंग कैदियों द्वारा मारपीट की जाती है.
कोर्ट पहुंचे कैदियों ने मामले की शिकायत की
मंगलवार को भवानीपुर जावे के कैदी मो कैयूम नद्दाफ को जेल के सुरक्षाकर्मी और दबंग कैदियों द्वारा इसलिए पीटा गया कि उसने घटिया खाना परोसे जाने का विरोध किया था. बताया जाता है कि कैयूम की पिटाई के विरोध में जेल के अधिकांश कैदियों ने भूख हड़ताल कर दी थी. बुधवार को पेशी के लिए कोर्ट पहुंचे मरंगा के कैदी छोटू यादव ने कोर्ट परिसर में जेल में कैदियों को घटिया खाना दिये जाने की शिकायत की. उनके अधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि जेल में कैदियों को मेनुअल के हिसाब से खाना नहीं दिया जा रहा है. सुबह के नाश्ते में चूड़ा, गुड़ व चना के बदले सिर्फ सूखा चूड़ा, वह भी निम्नस्तर का दिया जा रहा है. छोटू यादव ने यहां तक कहा कि घटिया खाना नहीं खाने पर सुरक्षाकर्मी डंडे से पीटते हैं.
बोले अधिकारी
जेल के अंदर व्याप्त व्यवस्था के बाबत अब तक उन्हें कोई लिखित या मौखिक शिकायत नहीं की गयी है. अगर मारपीट, अवैध वसूली या घटिया भोजन दिया जा रहा है तो यह पूरी तरह गलत है. शिकायत मिलने पर जांच करा कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
प्रदीप कुमार झा, डीएम, पूर्णिया
चैन से रहना है, तो सुविधा शुल्क दो…
जेल परिसर के अंदर अराजकता ही अराजकता है. कई कैदी के परिजनों ने बताया कि जेल के अंदर कुछ दबंग कैदी हैं, जिनके मर्जी से ही आम कैदी चैन की जिंदगी जी सकते हैं. जेल के कुल 18 वार्ड में जेल प्रशासन की नहीं, बल्कि इन्हीं दबंग कैदियों की मनमर्जी चलती है. सीधा सा फंडा है कि जेल के अंदर अगर चैन से रहना है
तो सुविधा शुल्क दबंग कैदियों को देना ही होगा. इन कैदियों द्वारा आम कैदी को उनका महीने की एक निश्चित राशि तय कर दी जाती है. कई लोगों ने तो यहां तक कहा कि एक दबंग कैदी ने जेल पर अपना अाधिपत्य कायम कर रखा है. उन्हें खुले तौर पर जेल प्रशासन का समर्थन प्राप्त है. कैदियों से वह हर महीना मोटी रकम वसूल करता रहता है. जिस कैदी के द्वारा विरोध किया जाता है, वह जानवरों की जिंदगी जीने के लिए बाध्य हो जाता है. इसके अलावा उन्हें दबंग कैदी के डंडे भी खाने पड़ते हैं. चर्चा तो यह है कि वसूली गयी राशि में जेल प्रशासन का भी अपना हिस्सा है.
परिजनों ने कहा, पहुंचाते हैं प्रतिमाह राशि…
कसबा के मदारघाट निवासी मो नजरूल ने बताया कि उनका दो भतीजा जेल में बंद है और हर माह रंगदारी मद में तीन हजार रुपये देना पड़ रहा है. डगरूआ के महमदिया निवासी मो आरीफ बताते हैं कि वह जब अपने भाई से मिलने आते हैं तो हमेशा घटिया खाना देने की शिकायत की जाती है. चैन से रहने के एवज में उसे तीन हजार रुपये प्रतिमाह देना पड़ रहा है. मुरलीगंज के लीला देवी ने रो-रो कर बताया कि उनका पति एवं बेटा जेल में बंद है और उसे तीन महीने में छह हजार रुपये देना पड़ा है. मुफस्सिल थाना के कालीगंज निवासी सलीमा खातून ने बताया कि उनका बेटा अक्सर रुपये मंगवाता रहता है. पिछले माह दो हजार रुपये दिये थे और इस महीने तीन हजार रुपये दिये हैं. बताता है कि रुपये नहीं देने पर पिटाई होती है. पुरैनी के सुभाष ठाकुर बताते हैं कि उनका दामाद जेल में खाना ठीक नहीं मिलने की शिकायत करता रहता है. इसके लिए उन्हें प्रतिमाह एक हजार रुपये देना पड़ रहा है. इसी प्रकार कसबा बाजार के मेहताब आलम ने बताया कि उसे अपने भाई को प्रतिमाह एक हजार रुपया देना पड़ रहा है.
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