36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

Subhash Chandra Bose Jayanti: नेताजी ने बिहार से भरी थी हुंकार, इन शहरों से रहा है रिश्ता, जानें कब कहां आये

सुभाष चंद्र बोस पहली बार बिहार कब और कहां आये इसकी कोई पुख्ता जानकारी तो नहीं है, लेकिन उपलब्ध दस्तावेजों के मुताबिक उनकी पहली बिहार यात्रा 1919 में हुई थी. नेता जी सुभाष चंद्र बोस आखिरी बार भारत में गोमो स्टेशन पर दिखे थे, जो वर्तमान झारखंड और तत्कालीन बिहार का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है.

पटना. सुभाष चंद्र बोस का बिहार से गहरा नाता रहा है. नेताजी का केवल सियासी ही नहीं बल्कि पारिवारिक रिश्तों के कारण भी बिहार आना जाना रहा. सुभाष चंद्र बोस पहली बार बिहार कब और कहां आये इसकी कोई पुख्ता जानकारी तो नहीं है, लेकिन उपलब्ध दस्तावेजों के मुताबिक उनकी पहली बिहार यात्रा 1919 में हुई थी. नेता जी सुभाष चंद्र बोस आखिरी बार भारत में गोमो स्टेशन पर दिखे थे, जो वर्तमान झारखंड और तत्कालीन बिहार का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है.

1919 में पहली बार भाषण देने आये थे बिहार

बिहार से नेताजी को जितना लगाव था, उतना ही बिहार में उन का क्रेज था. उन्होंने 1919 से 1941 तक नेताजी ने बिहार के कई शहरों का दौरा किया. उनकी सभाओं में किसान, छात्र, मजदूर, आम लोग खींचे चले आते थे. महिलाएं और स्कूली लड़कियां भी उन्हें सुनने खूब आती थीं. अंग्रेजी हुकुमत सुभाष चंद्र बोस से इतनी घबराती थी कि उनकी एक-एक सभा की पूरी जानकारी रखी जाती थी. उनकी सभा में सादे वेश में पुलिस के जवान तैनात होते थे. स्पेशल ब्रांच के अधिकारियों की ड्यूटी लगायी जाती थी और उनकी विस्तृत रिपोर्ट सरकार को भेजी जाती थी. उपलब्ध दस्तावेज के अनुसार कांग्रेस नेता के तौर पर 28 अगस्त, 1919 को नेताजी सुभाषचंद्र बोस आरा पहुंचे. यहां उन्होंने नागरी प्रचारिणी सभा की ओर से आयोजित बैठक को संबोधित किया था. इस सभा में चार हजार से अधिक लोगों की भीड़ जमा हुई थी. हाथी पर चढ़ कर सभा स्थल पर पहुंचे सुभाषचंद्र बोस के लिए उस वक्त करीब दो मील तक पूरे रास्ते को झंडा और बैनर से पाट दिया गया था. इस सभा ने नेताजी ने क्रांतिकारी हुंकार भरी थी.

1939 से 1941 के बीच दर्जनों स्थानों पर की सभाएं 

सुभाषचंद्र बोस का सबसे अधिक दिनों तक बिहार प्रवास 1939 में हुआ. अभिलेखागार की रिपोर्ट के मुताबिक सुभाष चंद्र बोस अपनी बिहार यात्रा में 26 अगस्त, 1939 को मुजफ्फरपुर से शुरू की. 26 अगस्त 1939 को सुभाष चंद्र बोस के विश्वसनीय शशोधर दास ने उनको एक मिठाई की दुकान के उद्घाटन पर बुलाया था. मिठाई की दुकान का उद्घाटन करने के बाद शहर के ओरिएंट क्लब में आयोजित अभिनन्दन समारोह में शामिल हुए। यहां उन्होंने देश की आजादी के लिए क्रांतिकारियों के बीच भाषण दिये. उन्होंने तिलक मैदान में एक बड़ी सभा को भी संबोधित किया था. 27 अगस्त, 1939 को पटना के बांकीपुर, दानापुर के कच्ची तालाब, आरा नागरी प्रचारिणी सभा और जहानाबाद की किसान सभा में वे शरीक हुए. कच्ची तालाब इलाके में सभा दोपहर में हुई सभा में तीन हजार से अधिक लोग इक्ट्ठा हुए थे. खगौल के बाद सुभाष बाबू की सभा पटना सिटी के मंगल तालाब इलाके में हुई. सुभाष बाबू ने इसी दिन बांकीपुर लॉन सभा की. इस सभा में उस समय 10 से 15 हजार लोग सुनने आये थे. पटना के तत्कालीन जिलाधिकारी एमजेड खान ने मुख्य सचिव को उनके उनके भाषण की लिखित जानकारी दी.

1939 में दरभंगा और मुंगेर में की थी कई सभाएं

अखिल भारतीय किसान सभा के तत्वाधान में मुंगेर और दरभंगा जिले में सुभाष चंद्र बोस की 24 एवं 25 दिसंबर सन 1939 को संपन्न हुई. 24 तारीख की सभा दरभंगा जिले के हजपूरा में आयोजित की गई, इस सभा में लगभग 3000 व्यक्ति उपस्थित थे. नेताजी की दूसरी सभा समस्तीपुर शहर में आयोजित की गयी, इस सभा में लगभग 1000 व्यक्ति उपस्थित थे. 25 दिसंबर को लखीसराय में सभा आयोजित की गई. इस सभा में लगभग 5000 व्यक्तियों की उपस्थिति थी, इसी दिन जमालपुर में आयोजित सभा में लगभग 3000 व्यक्ति उपस्थित थे. मुंगेर शहर के तिलक मैदान में आयोजित सभा में भी 3000 व्यक्तियों की उपस्थिति थी. लखीसराय से पटना आने के क्रम में मोकामा स्टेशन पर गाड़ी रूकी तो भीड़ ने उन्हें घेर लिया. उनके स्वागत में दो सौ से अधिक लोग जुट आये थे.

सुभाष चंद्र बोस का बिहार आगमन की उपलब्ध सूची
  1. 28 अगस्त, 1919 को आरा

  2. 26 अगस्त, 1939, मुजफरपुर

  3. 27 अगस्त, 1939, गांधी मैदान पटना

  4. 28 अगस्त, 1939, आरा

  5. 24 और 25 दिसंबर, 1939- दरभंगा और मुंगेर

  6. 8 फरवरी, 1940 जहानाबाद, ठाकुरबाड़ी

  7. जनवरी 1941 में दरभंगा, गोमो

Undefined
Subhash chandra bose jayanti: नेताजी ने बिहार से भरी थी हुंकार, इन शहरों से रहा है रिश्ता, जानें कब कहां आये 2
1940 में आये थे जहानाबाद

आठ फरवरी 1940 को सुभाष बाबू जहानाबाद के ठाकुरबाड़ी आये थे. इस समय उनके साथ स्वामी सहजानंद सरस्वती भी थे. जहानाबाद की सभा में भाग लेने वे दिन के 12 बजे ही पहुंच गये थे. लेकिन, एक छोटी नदी में उनकी कार फंस गयी थी. इसके कारण वे ठाकुरबाड़ी स्थित सभा स्थल पर पांच बजे शाम को पहुंच पाये. जहानबाद स्टेशन पर उतरने पर उनका जयकारे के साथ भीड़ ने स्वागत किया था. वर्ष 1941 में नेता जी दरभंगा के मनीगाछी आए थे. मनीगाछी प्रखंड के मकरंदा गांव निवासी महान स्वतंत्रता सेनानी कंटीर झा उर्फ गांधी की डायरी में इस बात का उल्लेख मिलता है. झा की डायरी के अनुसार वर्ष 1941 में दरभंगा आए सुभाष बाबू रामनंदन मिश्र के आवास पर रुके और वहां से उन्होंने दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह से उनके निवास स्थान नरगौना पैलेस में मुलाकात की. इस मुलाकात में महाराज ने सुभाष बाबू को एक थैली भेंट की. झा की डायरी ‘यादों की याद नामक संकलित पुस्तक में पृष्ठ संख्या 12 पर इसका उल्लेख किया है, लेकिन तारीख का जिक्र नहीं है.

1941 में गोमो में दिखे थे अंतिम बार

नेताजी सुभाषचंद्र बोस का बिहार के जिन शहरों से बहरा नाता रहा उनमें धनबाद प्रमुख है. 18 जनवरी 1941 को पुराना कंबल ओढ़ कर कार के सहारे गोमो रेलवे स्टेशन पहुंचकर ट्रेन पकड़ी थी. इस एतिहासिक महानिष्क्रमण यात्रा के दौरान नेताजी ने इसी गोमो को साक्षी बनाते हुए ट्रेन पकड़ी थी. आज भी गोमो के लिए ये रोमांच का विषय बना हुआ है. गोमो स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या 1-2 के मध्य उनकी प्रतिमा लगाई गई. सुभाष चंद्र बोस के महानिष्क्रमण यात्रा के क्रम में भी उनके परिवार का बिहार से संपर्क बना रहा. 11 अप्रैल, 1942 नेताजी सुभाष बोस का परिवार दरभंगा आकर महाराजा कामेश्वर सिंह से मुलाकात की थी. इस मुलाकात को इतना गुप्त रखा गया था कि महाराजा खुद गाड़ी चलाकर उन्हें लाने गये थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें