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ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय का अपना इतिहास रहा है.

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पटना विश्वविद्यालय एलुमिनाई एसोसिएशन का पूर्ववर्ती छात्र सम्मेलन

संवाददाता, पटना

ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय का अपना इतिहास रहा है. सभी मिल कर काम करें तो विश्वविद्यालय की पुरानी गरिमा वापस लौट सकती है. सरकार हर स्तर पर सहयोग करने के लिए तैयार है. उन्होंने ये बातें रविवार को पटना विश्वविद्यालय एलुमनायी एसोसिएशन की ओर से साइंस कॉलेज परिसर में आयोजित पूर्ववर्ती छात्र सम्मेलन में कहीं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार स्तर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हर स्तर संसाधन उपलब्ध कराये जा रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने के लिए प्रयासरत है. मुख्यमंत्री का पटना विश्वविद्यालय से खास लगाव रहा है. मंत्री ने सेवानिवृत्त शिक्षकों से आग्रह किया कि वे छात्र व विश्वविद्यालय में हित में शिक्षण कार्य में सहयोग करें. विश्वविद्यालय प्रशासन औरएलुमनायी एसोसिएशन से कहा कि वे एक कोर कमेटी बनाये हम उनकी बातों को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे. मंत्री ने अपने भाषण के दौरान छात्र जीवन की यादों को ताजा किया. उन्होंने कहा कि हम सभी संकल्प लें कि विश्वविद्यालय को ऊंचाई पर पहुंचाने का हर संभव प्रयास करेंगे.

सैदपुर में बनेगा मेगा टाउन शिप

कुलपति डॉ. अजय कुमार सिंह ने कहा कि पिछले चार-पांच वर्षो में विश्वविद्यालय के बहुत सारे विकास के काम किये गये हैं. परिसर में ही नये एकेडमिक एवं प्रशासनिक भवन का निर्माण हो रहा है. साइंस ब्लॉक और गर्ल्स हास्टल बनाने का काम किया जा रहा है. सैदपुर परिसर में मेगा टाउन शिप का बनाने का प्रस्ताव है. इंडोर स्टेडियम भी बनाने का प्रस्ताव है. कुलपति ने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय की पहचान रिसर्च से होती है. हाल के दिनों में रिसर्च कार्य में तेजी आयी है 35 प्रोजेक्ट पर काम हो गया है. आने वाले समय और रिसर्च पर कार्य किये जायेंगे. समारोह को बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. गिरीश चौधरी, पूर्व कुलपति प्रो. रास बिहार प्रसाद सिंह, पूर्व कुलपति केसी सिन्हा, कुलसचिव प्रो. शालिनी, डीन प्रो. अनिल कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान, साइंस कालेज के प्राचार्य प्रो. अतुल्य आदित्य पांडेय ने विचार व्यक्त किया. सभी वक्ताओं ने विश्वविद्यालय की पुरानी गरिमा को वापस लाने और मिलकर काम करने का संकल्प लिया. मंच का संचालन डॉ. ध्रुव कुमार ने किया. मौके पर एलुमिनायी एसोसिएशन के उपाध्यक्ष कर्नल कामेश कुमार, संयुक्त सचिव मनोज कुमार, कोषाध्यक्ष जय शंकर बिहारी, प्रो. केएन पासवान, प्रो. आरके मंडल सहित सभी सदस्य मौजूद रहे.

म्यूजिकल चेयर और क्रिकेट में पूर्ववर्ती विद्यार्थियों ने दिखाया जलवा

पटना विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित एलुमनायी मीट का शुभारंभ 1946 बैच के पूर्ववर्ती छात्र केशव प्रसाद सिंह ने किया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के पूर्ववर्ती विद्यार्थियों ने दोस्तोंं के साथ मिलकर कॉलेज के पुराने दिनों की यादें ताजा की. रविवार को एलुमनायी के बीच क्रिकेट मैच का भी आयोजन किया गया. क्रिकेट मैच में पूर्ववर्ती विद्यार्थियों ने भाग लेते हुए शानदार प्रदर्शन किया. वहीं विश्वविद्यालय की पूर्ववर्ती छात्राओं के बीच म्यूजिकल चेयर का भी आयोजन किया गया. मौके पर पूर्ववर्ती विद्यार्थियों ने दोस्तों के साथ लंच करते हुए कॉलेज की पुरानी कहानियों को एक-दूसरे साझा किया. एलुमनायी मीट में यूएसए, म्यांमार, दुबई में कार्यरत पूर्ववर्ती विद्यार्थी भी शामिल हुए. इस लम्हे को पूर्ववर्ती विद्यार्थियों ने सेल्फी लेते हुये अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर एक दूसरे के बेहतर स्वास्थ्य की कामना की.

पूर्ववर्ती विद्यार्थियों ने कहा एकेडमिक स्तर को और बेहतर बनाने की आवश्यकता

– विश्वविद्यालय के एकेडमिक स्तर को और भी बेहतर बनाने की आवश्यकता है. बिना एकेडिक स्तर को सुधारे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त नहीं किया जा सकता है. – केशव प्रसाद सिंह, 1946 बैच

– एलुमनायी मीट रेगुलर आयोजित किया जाना चाहिये इससे विश्वविद्यालय की बेहतरी में बड़ा योगदान किया जा सकता है. इसके साथ ही सबसे जरूरी है कि विश्वविद्यालय में टीचिंग को इंप्रूव किया जाना चाहिये. – उदार झा, 1965 बैच

– मैंने विश्वविद्यालय से 1987 में आइएससी की पढ़ाई की इसके बाद मैंने पटना मेडिकल कॉलेज से 1989 में एडमिशन लिया. वर्षों बाद कॉलेज कैंपस में आकर काफी बदलाव दिखा है. इंफ्रास्ट्रक्चर में भी बदलाव किया जा रहा है. जरूरत है कि टीचर्स की कमी को दूर किया जाये- डॉ गोगी कुमार, 1987 बैच, यूएसए

– मैंने 1972 में पटना वीमेंस कॉलेज में एडमिशन लिया था. यहां से हिंदी में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद एमए की पढ़ाई भी विश्वविद्यालय से ही की. एलुमनायी मीट में शामिल होने के लिए असम से आयी हूं. पुराने दोस्तों से मिलकर और कॉलेज में आकर जो सुखद एहसास हुआ है उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती हूं- डॉ किरण सिंह, 1972 बैच, असम

– मैंने विश्वविद्यालय में 1977 में इंग्लिश विभाग में एडमिशन लिया था. इसके बाद 1991 में जेआरएफ कर मिडिल ईस्ट के विभिन्न देशों की यूनिवर्सिटी में शिक्षक के रूप में कार्य किया. 18 वर्षों में मैंने यमन, दुबई, लिबिया और सउदी अरब में शिक्षक के रूप में कार्य किया. आज अपने कॉलेज में आकर पुरानी यादें आखों के सामने घूम रही है. इस तरह का आयोजन हमेशा किया जाना चाहिये- अनिल कुमार प्रसाद, 1977 बैच, दुबई

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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