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Thursday, March 28, 2024

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चंपारण के अहुना मटन को मिलेगी राष्ट्रीय पहचान! डीएम ने GI टैगिंग के लिए बनायी कमेटी

Champaran Ahuna Mutton GI Tag: जीआई टैग उस उत्पाद की गुणवत्ता व उसकी विशेषता को दर्शाता है, अगर जीआई टैग मिल जाता है तो चंपारण की मीट ढाबा, होटल के माध्यम से रोजगार दिलायेगा और लोगों के पलायन पर रोक लगेगी.

चंपारण मटन को भोजन के रूप में अहुना, हांडी व बटलोही मीट भी कहा जाता है. इस डीस की जड़े पूर्वी चंपारण से सटे नेपाल से भी जुटता है. हांडी मटन नेपाल सीमावर्ती पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन से शुरू होकर मोतिहारी में व्यापक रूप पकड़ा, जहां बिहारी ही नहीं दूसरे प्रदेश के लोग भी आकर मटन का स्वाद लेते हैं.

नेपाल में यह मीट खुले बर्तन में बनता है, जबकि चंपारण में इसे मिट्टी के ढक्कन से ढककर आटा से सिलकर बनाया जाता है. जिसके जीआई टैग (भौगोलिक संकेतक)के लिए जिला प्रशासन सक्रिय है. जीआई टैग (GI Tag) उस उत्पाद की गुणवत्ता व उसकी विशेषता को दर्शाता है, अगर जीआई टैग मिल जाता है तो चंपारण की मीट ढाबा, होटल के माध्यम से रोजगार दिलायेगा और लोगों के पलायन पर रोक लगेगी.

जीआई टैग के लिए डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने 19 जुलाई को 11 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है, जो अपना प्रस्ताव प्रशासन के माध्यम से सरकार तक पहुंचायेगी. बिहार व देश के बड़े शहरों में भी चंपारण मीट (Champaran Meat) एक ब्रांड का रूप ले चुका है, जहां दुकानों पर कारीगर भले ही लोकल हो, लेकिन चंपारण बोर्ड मिल जायेगा. अगर जीआई टैग मिलता है तो दुकानदारों, रेस्टोरेंट मालिकों, मीट शॉप दुकानदारों की कमायी बढ़ेगी और यहां के मीट के बारे में लोगों को समझाया जा सकेगा. बेहतर ढंग से मीट काटने, स्वच्छता का ध्यान रखने, पैकेजिंग करने व मांस के लिए स्वस्थ्य पशुओं का चयन करने आदि का भी प्रशिक्षण दिया जायेगा.

जीआई टैग को ले रसगुल्ले पर हो चुकी है लड़ाई- बंगाल व उड़ीसा ने रसगुल्ले पर दावा करते हुए जीआई टैग की मांग उठायी थी, लेकिन इस बार चंपारण मीट को लेकर कोई विवाद नहीं है, क्योंकि इसका नाम ही ऐसा है कि यह मीट चंपारण से ही निकल देश व दुनिया में फैली है. बिहार के लिट्टी-चोखा के साथ चंपारण मटन आदि डीस देश के कोने-कोने में परचम लहरा रहा है. चंपारण मीट को जीआई टैग मिलने की ज्यादा संभावना है, जिसने देश व दुनिया में अपनी पहचान बनायी है.

11 सदस्यीय कमेटी में शामिल अधिकारी व व्यवसायी- जीआई टैग प्रस्ताव बनाने के लिए जिन 11 सदस्यीय कमेटी का डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने किया है, उसमें अधिकारी, व्यवसायी, होटल संचालक और ढाबा से जुड़े लोग है. इसमें मुख्य रूप से अपर समाहर्ता राजकिशोर लाल, अनुलोशिनि पदाधिकारी सुधीर कुमार, एसडीओ सिकरहना, प्राचार्य एमएस कॉलेज, श्रम अधीक्षक पूर्वी चंपारण, होटल संचालक सुनिल कुमार जायसवाल, रेस्टोरेंट संचालक अंगद सिंह, बलुआ विजडम होटल के राजीव कुमार, चेंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष सुधीर अग्रवाल, चेंबर ऑफ कामर्स रक्सौल के अध्यक्ष अरूण गुप्ता और बलुआ व्यवसायी संघ के अध्यक्ष का नाम शामिल किया गया है.

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Posted By : Avinish Kumar Mishra

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