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सुस्ती : राज्य में कहीं बाढ़ की स्थिति, तो कहीं पर सूखे की मार, प्रदेश में सिंचाई पर करोड़ों खर्च लेकिन अब भी अधूरा है लक्ष्य

पटना: बिहार में कृषि योग्य भूमि को सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध करवाने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं. इनमें सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किये, लेकिन लक्ष्य अधूरा है. प्रदेश में कुल 93.6 लाख हेक्टेयर जमीन में से 56.03 लाख हेक्टेयर पर खेती होती है. इसमें से करीब 53.53 लाख हेक्टेयर जमीन पर बड़ी और […]

पटना: बिहार में कृषि योग्य भूमि को सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध करवाने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं. इनमें सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किये, लेकिन लक्ष्य अधूरा है. प्रदेश में कुल 93.6 लाख हेक्टेयर जमीन में से 56.03 लाख हेक्टेयर पर खेती होती है. इसमें से करीब 53.53 लाख हेक्टेयर जमीन पर बड़ी और मध्यम योजनाओं से सिंचाई क्षमता सृजित होने का अनुमान था. साल 2011 में केवल पांच योजनाओं को पूरा करने के लिए 1569 करोड़ रुपये का बजट दिया गया, इनमें से अब भी कई पर काम चल रहा है.

मार्च 2016 तक सिंचाई के 29.46 लाख हेक्टेयर क्षेत्र का सृजन हुआ. इस पुरानी योजना को सुधार कर मार्च 2017 तक 29.69 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा देेने का लक्ष्य रखा गया. इसे पूरा करने के लिए 930.91 करोड़ रुपये का बजट दिया गया. इनमें से कई योजनाओं पर काम पूरा नहीं हो सका. अब साल 2017-18 में 2.977 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता सृजन का लक्ष्य है. इसे पूरा होने पर मार्च 2018 तक कुल 32.667 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो जायेगी. इसके लिए कुल 1696.50 करोड़ रुपये खर्च करने का बजट है.

गाद जमा होने और अन्य कारण से जो नहरें बंद हो गयी हैं. उनके जीर्णोद्धार का काम भी इसी बजट से किया जायेगा.

पांच योजनाओं के लिए 1569 करोड़ रुपये का बजट : साल 2011 में कोसी बराज के आधुनिकीकरण पर 525.55 करोड़ रुपये, पूर्वी गंडक नहर के आधुनिकीकरण पर 461.61 करोड़, नेपाल हितकारी गंडक योजना के तहत बिहार क्षेत्र की स्कीम पर 171.84 करोड़, पश्चिमी गंडक नहर के आधुनिकीकरण पर 130 करोड़, सोन नहर के आधुनिकीकरण के अवशेष कार्यों पर 280 करोड़ का बजट रखा गया था. इन पर अभी काम जारी है.
28 साल में रिकॉर्ड उपलब्धि : हालांकि सिंचाई विभाग के सूत्रों की मानें तो नहरों के बेहतर संचालन से किसानों को खेती में सुविधा हुई है. मार्च 2016 के अंत तक सभी नहरों के अंतिम छोर तक पानी पहुंचा कर 19.31 लाख हेक्टेयर खरीफ क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवायी गयी है. विभागीय सूत्रों ने इसे पिछले 28 सालों में रिकॉर्ड उपलब्धि बताया है. उन का कहना है कि एक नहर सम्पोषण नीति भी बनायी जा रही है जिससे सिंचाई सुविधाओं को बेहतर बनाया जा सकेगा.
नदियों को जोड़ कर सिंचाई का काम
आमतौर पर उत्तरी बिहार के अधिकांश क्षेत्रों में हर साल बाढ़ आती है. वहीं, दक्षिणी बिहार का हिस्सा सूखे की चपेट में रहता है. इस समस्या के समाधान के लिए भी विभाग ने नया प्लान बनाया. राज्य की नदियों को आपस में जोड़ कर सिंचाई सुविधाएं मुहैया कराने पर काम चल रहा है. आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि इससे राज्य में सिंचाई के साथ ही बाढ़ प्रबंधन भी हो सकेगा. यह काम नदियों के पानी के बहाव को अलग-अलग धाराओं में विभाजित करके ही किया जा सकता है. इस कड़ी में कोसी बेसिन से पूरब महानंदा बेसिन में बीच की नदियों को जोड़ने की कोसी-मिंच लिंक योजना पर काम शुरू करने पर विचार हो रहा है. इसके लिए भारत सरकार की तकनीकी सलाहकार समिति की स्वीकृति भी मिल गयी है. इस पर भारत सरकार के वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की स्वीकृति का इंतजार किया जा रहा है. यह योजना शुरू होते ही अररिया, सहरसा, सुपौल, किशनगंज और पूर्णिया जिले के 2,11,400 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो जायेगी.

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