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कैबिनेट के फैसले : वार्ड सदस्यों की बढ़ेगी भूमिका
पंचायती राज संशोधन िबल, 2017 को मंजूरी पटना : पंचायत स्तर पर राज्य सरकार की योजनाओं के बेहतर और प्रभावी क्रियान्वयन में अब मुखिया, उपमुखिया के अलावा सभी वार्ड सदस्यों की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण होगी. वार्ड स्तर पर गठित समिति को सशक्त करने के लिए राज्य सरकार बिहार राज्य पंचायती राज संशोधन विधेयक, 2017 […]
पंचायती राज संशोधन िबल, 2017 को मंजूरी
पटना : पंचायत स्तर पर राज्य सरकार की योजनाओं के बेहतर और प्रभावी क्रियान्वयन में अब मुखिया, उपमुखिया के अलावा सभी वार्ड सदस्यों की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण होगी. वार्ड स्तर पर गठित समिति को सशक्त करने के लिए राज्य सरकार बिहार राज्य पंचायती राज संशोधन विधेयक, 2017 को विधानमंडल से पास कराने जा रही है.
इसके लिए पंचायती राज अधिनियम, 2006 में अहम संशोधन करने की मंजूरी शुक्रवार को कैबिनेट की विशेष बैठक में दी गयी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में सिर्फ इसी अधिनियम में संशोधन से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी. अब इसे विधानमंडल की मंजूरी ली जायेगी. इसके लिए जल्द ही विधानमंडल का विशेष सत्र भी बुलाया जा सकता है. इस संशोधन के बाद राज्य में सात निश्चयों से जुड़ी योजना को गति देने में खासतौर से मदद मिलेगी. इसके पहले पटना हाइकोर्ट ने सरकार की इस योजना को वार्ड की मंजूरी से ही लागू करने पर रोक लगा दी थी.
अधिनियम में ये होंगे बदलाव
-लोक निर्माण समिति को छोड़ कर अन्य सभी समितियों का गठन पंचायत के निर्वाचित सदस्यों के बीच से चुनाव के माध्यम से कराया जायेगा.
-प्रत्येक समिति में अध्यक्ष समेत कम-से-कम तीन और अधिक-से-अधिक पांच सदस्य होंगे.
-लोक निर्माण समिति में ग्राम पंचायत के विभिन्न वार्डों से निर्वाचित सभी ग्राम पंचायत सदस्य (वार्ड सदस्य) सदस्य होंगे.
– प्रत्येक समिति अपने दायित्वों का प्रभावी तरीके से निर्वहण करने के लिए विशेषज्ञों एवं जनहित से प्रेरित व्यक्तियों में अधिक-से-अधिक दो को सदस्य कोऑप्ट (सहयोजित) कर सकते हैं.
– योजना, समन्वय एवं वित्त समिति और लोक निर्माण समिति का पदेन सदस्य एवं अध्यक्ष मुखिया होंगे.
– सामाजिक न्याय समिति का पदेन सदस्य एवं अध्यक्ष उपमुखिया होंगे.
– मुखिया प्रत्येक अन्य समिति के लिए इसके निर्वाचित सदस्यों के बीच से अध्यक्ष को नामित करेगा.
– सभी समिति में कम-से-कम एक महिला सदस्य होना अनिवार्य होगा. सामाजिक न्याय समिति में उपलब्धता के अनुसार एक सदस्य एससी-एसटी समुदाय का होगा.
– पंचायत सचिव योजना, समन्वय एवं वित्त समिति और लोक निर्माण समिति का सचिव होंगे.
– संबंधित डीएम इन समितियों में किसी सरकारी सेवक को सचिव के रूप कार्य करने के लिए नामित करेंगे.
-वार्ड सभा के माध्यम से योजनाओं का क्रियान्वयन करने के लिए प्रबंधन समिति का गठन किया जायेगा. संबंधित वार्ड से निर्वाचित ग्राम पंचायत सदस्य उस वार्ड समिति के पदेन अध्यक्ष होंगे.
– राज्य सरकार के पास समय-समय पर ग्राम पंचायत निधि से राशि के उपयोग एवं व्यय के लिए निर्देश देने का अधिकार होगा.
– सरकार ग्राम पंचायत को ग्राम पंचायत निधि से वार्ड के लिए अनुमोदित योजनाओं का क्रियान्वयन वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के माध्यम से कराने का निर्देश दे सकती है.
पंचायत स्तर पर गठित होंगी छह समितियां
अलग-अलग क्षेत्रों की योजनाओं का पंचायत स्तर पर बेहतर तरीके से क्रियान्वयन के लिए छह समितियां बनायी गयी हैं. हालांकि, ये समितियां पहले से ही गठित हैं, लेकिन इनके अधिकार क्षेत्र या दायरे को ज्यादा बड़ा किया गया है. प्रत्येक ग्राम पंचायत इन समितियों के माध्यम से अपने कार्यों का प्रभावी तरीके से निर्वहण करेगी. जिन छह समितियों का गठन किया गया है, उनमें योजना, समन्वय एवं वित्त समिति, उत्पादन समिति, सामाजिक न्याय समिति, शिक्षा समिति, लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता समिति और लोक निर्माण समिति शामिल हैं.
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