जन स्वास्थ्य अभियान के संयोजक डॉ शकील ने 20 जिलों के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता पर सर्वे रिपोट जारी करते हुए कहा कि देश में हर साल छह करोड़ 30 लाख लोग स्वास्थ्य संबंधी खर्चों की वजह से गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं. बिहार में इलाज के दौरान निजी जेब से होनेवाले कुल खर्च का दो तिहाई हिस्सा दवाओं पर होता है.
सरकारी अस्पतालों में मात्र 14 लोग इलाज कराने जाते हैं. उन्हाेंने बताया कि एनएफएच फोर के तहत बिहार में सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने के दौरान गर्भवती महिला को औसतन 1724 रुपये अपनी जेब से खर्च करनी पड़ती है. कार्यक्रम के दौरान राजस्व मंत्री मदन मोहन झा, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री नंद किशोर यादव , जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार , संजीव चौरसिया समेत अन्य उपस्थित थे.