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बिजली का बिल: सरकारी कार्यालयों में बकाया की समस्या को दूर करने की पहल, एक महीने में लगेंगे प्रीपेड मीटर

पटना: बिजली का बिल जमा नहीं करने में सरकारी कार्यालय भी बड़े बकायेदारों की लिस्ट में शामिल हैं. कई कारणों से कुछ कार्यालय इसे जमा ही नहीं कर रहे हैं. इस समस्या को दूर करने के लिए मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने सभी विभागों के प्रधान सचिव या सचिव को लिखित आदेश जारी किया […]

पटना: बिजली का बिल जमा नहीं करने में सरकारी कार्यालय भी बड़े बकायेदारों की लिस्ट में शामिल हैं. कई कारणों से कुछ कार्यालय इसे जमा ही नहीं कर रहे हैं. इस समस्या को दूर करने के लिए मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने सभी विभागों के प्रधान सचिव या सचिव को लिखित आदेश जारी किया है.

इसके तहत यह कहा गया है कि सभी सरकारी कार्यालयों में एक महीने के अंदर इलेक्ट्रॉनिक प्री-पेड मीटर लगाये जायेंगे. फिलहाल राज्य के सभी बड़े कार्यालयों में यह पहल शुरू की जायेगी. इसके बाद इसे सभी कार्यालयों में एक समान रूप से लागू कर दिया जायेगा. सरकारी कार्यालयों में करोड़ों रुपये का बिजली बिल बकाया होने की समस्या को लेकर मुख्य सचिव के स्तर पर इसकी गहन समीक्षा की गयी है. इसके बाद यह निष्कर्ष निकाला गया है.

प्री-पेड मीटर होने से यह सुविधा होगी कि सरकारी कार्यालयों को मोबाइल की तरह ही पहले इन्हें रिचार्ज करना पड़ेगा. जिस कार्यालय को जितने की बिजली का उपयोग करना है, उसे उतने रुपये का रिचार्ज करवाना होगा. फिर यह समाप्त होने पर फिर से रिचार्ज करना होगा. ठीक प्री-पेड मोबाइल की तरह ही यह काम करेगा. ऐसा करने से बिजली के बकाये बिल और इसके वसूली की समस्या ही समाप्त हो जायेगी.
विभागों का बकाया पहुंचा 100 करोड़ से ज्यादा : राज्य के तकरीबन सभी सरकारी कार्यालयों में बिजली का बकाया बिल 100 करोड़ से ज्यादा पहुंच गया है, जिसका खामियाजा नाॅर्थ बिहार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी और साउथ बिहार पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी को उठाना पड़ रहा है. इस बकाये बिल का भुगतान करने में विभागीय या कार्यालय स्तर पर एक तो लापरवाही बरती जाती है. दूसरी, कई बार बिजली बिल में त्रुटी होने या एकाउंट में राशि नहीं होने की वजह से बिल का भुगतान समय पर नहीं हो पाता. कुछ कार्यालय देर से भुगतान करते भी हैं, तो उन्हें पेनाल्टी काफी देनी पड़ती है. इस पेनाल्टी को देने में कई कार्यालय आनाकानी करते हैं. इस तरह की कई वजहों से दोनों बिजली कंपनियों का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है. इस समस्या को दूर करने के लिए यह पहल की गयी है.
बिना कनेक्शन के ही भेजा बिजली बिल
पटना. बिजली विभाग की गड़बड़ियाें से हर कोई परेशान है, लेकिन कई बार यह परेशानी इस कदर बढ़ जाती है कि इसका अंदाजा जिला उपभोक्ता फोरम में दर्ज मामले को देख कर लगाया जा सकता है. बक्सर निवासी राजनारायण पांडेय जो की बीपीएलधारक है. उन्हें बिजली विभाग ने इस कदर से परेशान कर दिया कि वह कोर्ट से भी न उम्मीद हो चुके हैं.

इससे वह जिला फोरम की लंबी और सुस्त न्याय प्रक्रिया से निराश होकर रोने लगे, जब उनसे रोने की वजह पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि वह बक्सर जिले के दुलारपुर पंचायत के सिमरी खैरा पट्टी गांव के निवासी है. वर्ष 2000 में बिजली कनेक्शन के उद्देश्य से कार्यालय में आवेदन दिये. जहां, कर्मचारी ने उनके बिजली कनेक्शन के नाम पर 500 रुपया लिया. पर इसके बदले न तो राजनारायण से उनके घर के कागजात मांगें गये और न ही उन्हें 500 रुपये लेने की कोई रशीद दी गयी. इसके बाद उन्हें यह कह कर भेज दिया गया कि बिजली का कनेक्शन कुछ महीने में मिल जायेगा. लेकिन, पांच वर्ष तक उन्हें कनेक्शन नहीं दिया गया.

बिजली कार्यालय के कर्मी यह कह कर टहलाते रहे कि उसके घर तक बिजली के पोल नहीं गये हैं. लेकिन, इसी बीच वर्ष 2005 में राजनारायण को बिजली विभाग ने 6,500 का बिजली बिल भेज दिया. इसकी शिकायत करने पर भी किसी प्रकार की सूचना राजनारायण को नहीं दी गयी, पर बिल लगातार जारी रहा. उन्हें विभाग ने 13,000 का बिल भेज दिया था. इसके बाद 2005 में राजनारायण ने जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज करायी. नौ वर्षों तक जिला फोरम में केस चलने के बाद राजनारायण केस हार गये. इसके बाद उन्होंने अपील फाइल की, जहां उनकी सुनवाई की जा रही है. पर अपील में भी राजनाराण के पास बिजली कर्मी को 500 रुपये देने का कोई सबूत नहीं हो पाने के क्रम में उन्हें निराशा ही हाथ लगती दिखायी दे रही है. उन्होंने बताया कि कोर्ट भी गरीबों की नहीं सुन रही है, जब मेरे घर बिजली कनेक्शन दिया ही नहीं गया, तो मुझे बिल कैसे भेज दिया गया है. इसका जवाब मांगने के बजाय कोर्ट मुझसे ही सवाल कर रही है.

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